Mahashivratri 2021 Date, Time, Puja Vidhi, Shubh Muhurat, Vrat Ke Niyam, Maha Shivaratri Parana Time, Significance: सनातन धर्म में महत्वपूर्ण चार रात्रियों में से एक महाशिवरात्रि (Mahashivratri) पर्व त्रयोदशी युक्त चतुर्दशी में गुरुवार, 11 मार्च को मनायी जायेगा. इस बार फाल्गुन कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को चतुर्ग्रही योग में गुरु, बुध, शनि एवं चंद्रमा- ये सभी ग्रह मकर राशि में विराजमान रहेंगे. इस दिन धनिष्ठा नक्षत्र के शिव योग उपरांत सिद्ध योग में यह महाशिवरात्रि भक्तों को ऐश्वर्य एवं भौतिक सुखों में उन्नति व वृद्धि दिलायेगा. इस दिन भगवान भोलेनाथ की पूजा (Lord Shiva Puja Vidhi)-अभिषेक अत्यंत फलदायी होगी, क्योंकि शास्त्रों में गुरु को ज्ञान, भौतिक सुखों एवं संवाद का कारक ग्रह माना गया है. लिखा है – य:सतत कर्तृनाम भक्तानां अशुभं पापं च शयति नाशयति सः शिव:।
अर्थात् भक्तों के किये गये पापों को नाश कर सत्कर्म को देने वाले शिव हैं. शिव तो केवल भाव के भूखे हैं. अगर भावना में भक्ति-समर्पण हो, तो वे आसानी से प्रसन्न हो जाते हैं. शिवरात्रि शिव और शक्ति के मिलन का एक महान पर्व है. पौराणिक मान्यता के अनुसार, जो व्यक्ति वर्षभर कोई व्रत-उपवास नहीं रखता और वह मात्र महाशिवरात्रि का व्रत रखता है, तो उसे पूरे वर्ष के व्रतों का पुण्य प्राप्त हो जाता है.
मान्यतानुसार, इस दिन भगवान की पूजा रात्रि के समय एक बार या फिर संभव हो तो चार बार करनी चाहिए. वेदों का वचन है कि रात्रि के चार प्रहर बताये गये हैं. इस दिन हर प्रहर में भगवान शिव की पूजा अत्यंत फलदायी है. इस पूजा से सभी कामनाएं पूर्ण होती हैं.
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महाशिवरात्रि के दिन प्रात: स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लें.
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भगवान शिव का अभिषेक करें.
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इस दिन शिवलिंग का बिल्वपत्र, आक, धतूरा, फूल, अक्षत, भस्म आदि से शृंगार करना चाहिए.
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शिवपुराण और महामृत्युंजय मंत्र का जप करना चाहिए.
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रात्रि में भी शिवजी की आरती और पूजा करनी चाहिए.
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इस दिन गलत कार्यों, क्रोध, अहंकार से दूर रहें तथा दान-पुण्य करें.
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महाशिवरात्रि पर प्रात: स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लें. फिर पूजा आरंभ करें.
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व्रत में नियमों का कठोरता से पालन करने से इसका पूर्ण फल प्राप्त होता है.
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साथ ही महाशिवरात्रि के व्रत का पारण भी विधिपूर्वक करना चाहिए.
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सूर्योदय और चतुर्दशी तिथि के अस्त होने के मध्य समय में ही व्रत पारण करना चाहिए.
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निशिथकाल: गुरुवार (11 मार्च) की रात्रि 12:12 से 01:01 बजे रात्रि तक.
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प्रथम प्रहर: गुरुवार संध्या 06:29 से 09:32 बजे रात्रि तक.
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द्वितीय प्रहर: रात्रि 09:33 से 12:36 बजे तक
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तृतीय प्रहर: रात्रि 12:37 से 03:39 बजे तक
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चतुर्थ प्रहर: गुरुवार मध्यरात्रि के उपरांत 12 मार्च की प्रात: 03: 41 से 06: 43 बजे तक.
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शिवरात्रि पारण समय: शुक्रवार, 12 मार्च को प्रात: 06:34 बजे के बाद.
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महाशिवरात्रि के दिन व्रती को स्नान वाले जल में काले तिल डालकर स्नान करना चाहिए.
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इसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
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काले वस्त्र धारण न करें.
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महाशिवरात्रि निर्जला या फलाहार दोनों तरह से रखा जा सकता है.
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महाशिवरात्रि के दिन शिव पूजन से पहले नंदी की पूजा करें.
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भगवान को पंचामृत से स्नान कराएं.
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तत्पश्चात् गंगाजल से स्नान कराएं.
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अंत में भगवान को बेर और फलों का भोग चढ़ाएं.
यः शम्भूपूजनमिदं पठति प्रदोषे
तस्य स्थिरां रथगजेंद्रतुरंगयुक्तां,
लक्ष्मी सदैव सुमुखीं प्रददाति शम्भुः॥
पं श्रीपति त्रिपाठी
ज्योतिषाचार्य व धर्म विशेषज्ञ
Posted By: Sumit Kumar Verma