शुक्रवार 11 मार्च को महाशिवारत्रि (Shivratri 2021) का पावन त्योहार मनाया जायेगा. बाबा बैद्यनाथ धाम देवघर सहित देशभर में भोलेनाथ के बारह ज्योतिर्लिंगों का भी इस दिन कुछ अधिक ही महत्व रहता है. बिहार-झारखंड सहित आस-पास के शिवभक्तों के लिए देवघर बाबाधाम मंदिर का काफी अधिक महत्व रहता है. वहीं बिहार के सुल्तानगंज स्थित अजगैबीनाथ धाम में भी लोगों की उतनी ही आस्था है जहां के उत्तर वाहिनी गंगा का जल देवघर के बाबा बैद्यनाथ को चढ़ाया जाता है.
महाशिवरात्री के दिन देवघर के बाबा बैद्यनाथ और माता पार्वती का विवाह काफी धूम-धाम से मनाया जाता है. इस दिन भी बाबा बैद्यनाथ के पास बिहार के सुल्तानगंज स्थित अजगैबीनाथ धाम का जल काफी महत्व रखता है. यहां से भेजे गए जल से अभिषेक के बाद ही भोलेनाथ के विवाह का रस्म शुरू किया जाता है.
वहीं अजगैबीनाथ धाम की एक कहानी भी बेहद दिलचस्प है. एक तरफ तो अजगैबीनाथ धाम का जल भोलेनाथ के लिए बेहद पवित्र माना जाता है और शिवभक्त वहीं से पैदल कांवर यात्रा की शुरूआत करते हैं लेकिन दूसरी तरफ एक कहानी बेहद दिलचस्प है जिसके कारण यहां के महंत देवघर नहीं जाते हैं.
अजगैबीनाथ के महंत देवघर मंदिर नहीं जाते हैं. वो यहां प्रवेश नहीं करते जिसके पीछे एक कहानी बतायी जाती है. कहा जाता है कि सदियों पहले ब्रह्मलीन महंत हरनाथ भारती रोजाना गंगा स्नान कर गंगा जल चढ़ाने देवघर जाया करते थे. इसी दौरान एक दिन भगवान शिव ने वेष बदलकर उनको दर्शन दिये.
भोलेनाथ ने कहा कि अब उन्हें देवघर आने की जरुरत नहीं है. उनका एक शिवलिंग अब महंत के तपस्या स्थान में मृगचर्म के नीचे प्रकट हो चुका है. और जब महंत वापस अजगैबीनाथ गए तो उन्होंने वहां उस शिवलिंग को प्रकट पाया.
Posted By: Thakur Shaktilochan