Jharkhand Crime News, Gumla News, गुमला न्यूज (दुर्जय पासवान) : पुलिस ने नहीं दी गाड़ी, बाइक पर ढोया शव. यह समाचार प्रभात खबर में छपने के बाद झारखंड पुलिस व गुमला प्रशासन हरकत में आया. इस मामले पर झारखंड के डीजीपी नीरज सिन्हा ने संज्ञान लिया. उन्होंने गुमला एसपी एचपी जनार्दनन को कार्रवाई करने का निर्देश दिया. इधर, मामले को गंभीरता से लेते हुए गुमला एसडीओ ने सुनील कुमार भगत के शव का फॉरेंसिक जांच कराने का ऑर्डर जारी कर दिया. आज फॉरेंसिक जांच के लिए शव को रिम्स लाया जायेगा.
पुलिस की निगरानी में शनिवार को शव को बक्सा में सील किया गया. फॉरेंसिक जांच के लिए शव को आज रांची रिम्स ले जाया जायेगा. सुरसांग थाना के एएसआई अजीत कुमार राय शव को लेकर रांची जायेंगे. एएसआई श्री राय ने बताया कि फॉरेंसिक जांच का आदेश प्राप्त हो गया है. शव को सील कर गुमला पोस्टमार्टम हाउस में रखा गया है. आज सात मार्च को शव को लेकर रांची जायेंगे.
गुमला के पुलिस अधीक्षक एचपी जनार्दनन ने शव को बाइक से ढोने के संबंध में कहा कि सुरसांग नक्सल इलाका है. नक्सल इलाका होने के कारण रात को पुलिस का मूवमेंट संभव नहीं था. परिजनों से कहा गया था कि शव को रातभर सुरसांग थाना में रखते हैं. सुबह को पुलिस की निगरानी में शव को गुमला पोस्टमार्टम हाउस ले जाया जायेगा. परंतु परिजन नहीं माने. परिजन अपनी मर्जी से शव को बाइक से गुमला सदर अस्पताल ले गये.
गुमला शहर के लक्ष्मण नगर निवासी बीटेक के छात्र सुनील कुमार भगत का शव साढ़े तीन माह बाद हीरादह नदी से मिला है. सुनील अपने दोस्तों के साथ पिकनिक मनाने गया था. तभी नदी में डूबकर उसकी मौत हो गयी थी. प्रशासन शव को खोज नहीं पाया. परिजन खुद शव को खोज रहे थे. अंत में पांच मार्च को पिता विवेकानंद भगत ने खुद शव को हीरादह नदी के बीच पहाड़ के समीप खोजा निकाला था. परिजनों के अनुसार शव मिलने के बाद प्रशासन का जो सहयोग मिलना चाहिए, वह नहीं मिला. साढ़े तीन माह से बेटे के लिए तड़पते रहे. शव खोजते रहे. जब शव मिला तो प्रशासन ने शव को गुमला अस्पताल ले जाने के लिए गाड़ी तक नहीं दी थी.
हीरादह नदी में डूबकर मरे युवक सुनील कुमार भगत के पिता विवेकानंद भगत ने डीसी को ज्ञापन सौंपा है. मृतक बेटे के नरकंकाल को एफएसएल रांची भेजकर उसकी फॉरेंसिक जांच कराकर शव सौंपने की मांग की है. जिससे शव का अंतिम संस्कार परिवार के लोग कर सकें. ज्ञापन में कहा है कि मेरा बेटा सुनील कुमार भगत 15 नवंबर 2020 को अपने दोस्तों के साथ रायडीह प्रखंड स्थित हीरादह घूमने गया था. जहां नदी में डूबने से उसकी मौत हो गयी थी. काफी खोजबीन के बाद उसका शव चार मार्च 2021 को मिला. बेटे के शव की पहचान बांये पैर में कटे अंगूठा को देखकर किया था. तब मैंने सुरसांग थाना जाकर बेटे के शव मिलने की सूचना दी.
सूचना मिलने पर थानेदार की उपस्थिति में करीब शाम चार बजे हीरादह से लाश को बाहर निकाला गया. वहीं पर थानेदार द्वारा शव का पंचनामा किया गया. तब मैंने थानेदार से कहा कि एक गाड़ी की व्यवस्था कर दें, ताकि मैं अपने बेटे के नरकंकाल को लेकर गुमला सदर अस्पताल जाऊं, लेकिन थानेदार ने मेरी बातों पर ध्यान नहीं दिया. इसके बाद अपने स्तर से गाड़ी ढूंढने का प्रयास किया. गाड़ी नहीं मिलने पर मोटरसाइकिल से ही अपने बेटे के शव को लेकर गुमला सदर अस्पताल चला गया.
दूसरे दिन यानी पांच मार्च को सदर अस्पताल के चिकित्सकों द्वारा मेरे बेटे के नरकंकाल की जांच करने के बाद रिम्स रांची रेफर कर दिया गया. परिवार के लोग दिन के तीन बजे नरकंकाल को लेकर रांची गये. साढ़े पांच बजे रांची पहुंचने के बाद रिम्स के पोस्टमार्टम रूम ले गये. जहां चिकित्सकों ने कहा कि यहां पर फोरेंसिक जांच नहीं होगी. कारण पूछने पर रिम्स के डॉक्टरों ने बताया कि नरकंकाल को थाना द्वारा सील नहीं किया गया है और न ही मजिस्ट्रेट की अनुमति ली गयी है. इसलिए इस शव की फॉरेंसिक जांच नहीं की जा सकती है. शव को वापस ले जाओ.
रिम्स के चिकित्सकों से सहयोग नहीं मिलने के कारण रात में नरकंकाल को लेकर गुमला वापस आये. उन्होंने डीसी से नरकंकाल की फॉरेंसिक जांच करने की अनुमति देने की मांग की है, ताकि वे अपने बेटे का दाह संस्कार कर सकें. ज्ञापन सौंपने वालों में अनुसूचित जाति जनजाति सगंठनों के अखिल भारतीय परिसंघ गुमला के सदस्यगण, अध्यक्ष गोविंदा टोप्पो व कमल उरांव मौजूद थे.
Posted By : Guru Swarup Mishra