आनेवाले दिनों में कार की कीमतें बढ़ सकती हैं. कोरोना संकट के बाद वाहन उद्योग को कच्चे माल की बढ़ती कीमतों से जूझना पड़ रहा है. एक रिपोर्ट के अनुसार स्टील की कीमतों में 48% का इजाफा हुआ है, जिसके चलते वाहन बनाने वाली कंपनियाें काे कीमतें बढ़ाने पर मजबूर होना पड़ सकता है.
भारत के ऑटोमोबाइल सेक्टर को COVID-19 के चलते 2020 में काफी संघर्ष करना पड़ा था. जब यह धीरे-धीरे उभर रहा है तब इसे कच्चे माल और स्पेयर पार्ट्स की कमी का सामना करना पड़ रहा है. हालांकि, स्टील की कीमतों में बढ़ोतरी ज्यादा चिंता का विषय है और इसी के चलते जल्द ही भारत में इसी साल दूसरी बार वाहनों की कीमत में इजाफा होने वाला है.
भारत की कुछ ऑटोमोबाइल कंपनियों ने अपने वाहनों की पूरी रेंज की कीमतों में पिछले दो महीनों में बड़ी बढ़ोतरी की है. मारुति सुजुकी ने अपनी कीमतों में 34,000 की बढ़त की है, जहां कि ह्युंडई ने अपने वाहनों में 45,000 तक की बढ़ोतरी कर दी है. महिंद्रा ने भी अपनी कीमतों में 23,000 से लेकर 42,000 तक की वृद्धि की है, रेनॉ ने अपने वाहनों में 45,000 का इजाफा किया है. जबकि टाटा मोटर्स ने अपने वाहनों पर 26,000 की बढ़त की है.
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भारी वाहन सेगमेंट में ट्रकों ने हाल ही में BS4 से BS6 के बदलाव के बाद कीमतों में वृद्धि देखी थी, जिसके कारण अप्रैल से दिसंबर 2020 के बीच ट्रकों की मांग में 54% गिरावट देखने को मिली थी. महिंद्रा को भी आशा है कि स्टील और कच्चे माल की कीमतों में बढ़ोतरी के चलते कमर्शियल व्हीकल्स और SUV की कीमत में भी बढ़ोतरी होगी. लेकिन इस स्थिति से जून-जुलाई के बीच राहत मिलने की भी संभावना जतायी है.
भारत में स्टील निर्माताओं ने Q3 में दो बार कीमतों में वृद्धि की है. फोर्जिंग क्वालिटी स्टील और अन्य तरह के स्टील के लिए कंपनी से अक्टूबर से दिसंबर तक तीन बार मूल्य में वृद्धि की है. एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, आयशर मोटर्स और अशोक लीलैंड ने कहा है कि कंपनी को फिर से अप्रैल 2021 से कीमतों में बढ़ोतरी करनी पड़ेगी.
ऑटोमोबाइल उद्योग ने इस मुद्दे को सरकार के सामने उठाया है और हस्तक्षेप करने की मांग भी की है. तर्क यह है कि अगर सरकार ने समय रहते उचित कदम न उठाये, तो बाजार पर बहुत बुरा असर पड़नेवाला है. बता दें कि मारुति सुजुकी, ह्युंडई, महिंद्रा, रेनॉ जैसी कार कंपनियों ने इस साल कीमतों में 3.5% तक की बढ़ोतरी की है.