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जम्मू-कश्मीर में अवैध रूप से बसे हैं दस हजार रोहिंग्या
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सरकार ने की वापस भेजने की तैयारी
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रोहिंग्याओं ने 30 स्थानों पर ठिकाने बनाये हैं
जम्मू : राज्य में अवैध रूप से रह रहे करीब दस हजार रोहिंग्याओं को वापस म्यांमार भेजा जाएगा. इनसे सुरक्षा के लिए खतरे को देखते हुए वापसी तक इन्हें आबादी से दूर डिटेंशन सेंटर में रखे जाने की तैयारी है. सभी जिलों में इनका सत्यापन कराया जा रहा है.
रोहिंग्या प्रदेश के पांच जिलों जम्मू, सांबा, डोडा, पुंछ व अनंतनाग में अस्थायी ठिकाने बनाकर रह रहे हैं. जम्मू जिले में ही रोहिंग्याओं ने 30 स्थानों पर ठिकाने बना रखे हैं. मार्च 2017 में तत्कालीन गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने इनका डाटा बेस तैयार करने को कहा था.
गृह मंत्रालय के निर्देश पर अब नए सिरे से इन्हें चिह्नित किया जा रहा है. सूत्रों ने बताया कि पहला रोहिंग्या जम्मू में वर्ष 1994 में आकर बसा था. 2008 से 2016 के बीच इनकी संख्या तेजी के साथ बढ़ी.
जम्मू में रहने वाले रोहिंग्याओं को वापस भेजने के लिए समय-समय पर भाजपा, हिंदुवादी संगठनों, पैंथर्स पार्टी, चैंबर ऑफ कामर्स समेत अन्य संगठन मांग कर चुके हैं. यहां रहने वाले रोहिंग्याओं के पास स्टेट सब्जेक्ट, वोटर आईकार्ड, राशन कार्ड व आधार कार्ड भी मिल चुके हैं. कई तो बिजली बिल भी चुकाते हैं.
रोहिंग्याओं पर कई आपराधिक मामले भी दर्ज हुए हैं. पाकिस्तान की आईएसआई, आतंकी संगठन आईएस तथा कट्टर अलगाववादी संगठनों से गठजोड़ की भी आशंका जताई जाती रही है. 2015 में कश्मीर में मुठभेड़ में छोटा बर्मी नामक रोहिंग्या मारा गया था. अलगाववादियों की ओर से भी रोहिंग्याओं के प्रति समर्थन जारी किया जा चुका है.
सैन्य प्रतिष्ठानों के आसपास के इलाकों में भी रोहिंग्याओं की बस्तियां हैं. सुंजवां में सैन्य प्रतिष्ठान, नगरोटा में 16 कोर मुख्यालय के इलाके के करीब और छन्नी हिम्मत इलाके में भी सैकड़ों रोहिंग्याओं ने अस्थायी ठिकाने बने रखे हैं.