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एक वर्ष पूर्व नक्सल प्रभावित 18 गांवों में पहुंची थी बिजली, अब बन रहे हैं आत्मनिर्भर बन रहे किसान

प्रखंड के गड़िया, अमकुदर, पथेल, बानियाबांध, धवैया, पचफेडी, बघमरी, बिरबिरा, कुराग, कसियाडीह, हमरा, सहातू, बैंगोखुर्द, रोपनीटांड़, मधुवा, भांग आदि.

Chatra News, Chtara Naxal News, Electricity Facility In Kanhachatti Chatra कान्हाचट्टी : नक्सल प्रभावित गांवों में बिजली पहुंचने से लोग खेती कर आत्मनिर्भर बन रहे हैं. जानकारी के अनुसार एक वर्ष में प्रखंड के 18 गांवों में बिजली पहुंचायी गयी थी. बिजली आने से जंगल-पहाड़ों से घिरे उक्त रोशनी से जगमगा उठते हैं. वहीं किसानों को सिंचाई करने में सुविधा हो गयी है. उक्त गांवों की पांच सौ एकड़ भूमि में अब किसान सालों भर साग-सब्जी लगा कर आत्मनिर्भर बन रहे हैं. बिजली आने से गांव में कई इलेक्ट्रॉनिक्स व इलेक्ट्रिक की दुकानें खुल गयी है, जिससे युवकों को रोजगार मिल गया है.

इन गांवों में पहुंची बिजली

प्रखंड के गड़िया, अमकुदर, पथेल, बानियाबांध, धवैया, पचफेडी, बघमरी, बिरबिरा, कुराग, कसियाडीह, हमरा, सहातू, बैंगोखुर्द, रोपनीटांड़, मधुवा, भांग आदि.

क्या कहते हैं ग्रामीण

किसान सुरेश सिंह भोगता ने कहा कि गांव में बिजली पहुंचना वर्षों का सपना पूरा हुआ. बिजली के भरोसे ही दो एकड़ में गेहूं की फसल लगायी है. बिजली की वजह से सिंचाई की सुविधा हो गयी है. ऐसे में गेहूं के अलावे टमाटर, मटर व फूलगोभी की खेती भी करते हैं. बुधन सिंह भोगता ने कहा कि जब गांव में बिजली नहीं थी, तो महंगे दाम पर केरोसिन खरीदना नहीं पड़ रहा था. इलेक्ट्रॉनिक्स दुकानदार गुड्डू कुमार ने कहा कि गांव में बिजली पहुंचने से अच्छी आमदनी हो रही है. इलेक्ट्रॉनिक्स समान खूब बिक रहा है. पहले दूसरे जगह जाकर कार्य करना पड़ता था. अब घर में ही रोजगार मिल गया. छात्रा काजल कुमारी ने कहा कि मैट्रिक का तैयारी कर रहीं हूं. बिजली की रोशनी में पढ़ाई करने में अच्छा लग रहा है. जब गांव में बिजली नहीं थी, तो दीया व लालटेन की रोशनी में पढ़ाई करने में काफी दिक्कत होती थी.

Posted By : Sameer Oraon

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