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वैष्णव कुंभनगर के तपस्वी खाक चौक कई संतों की धूनी साधना का केंद्र
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चारो ओर आग का घेरा
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सिर पर आग से भरी मटकी
वृंदावन : यहां चल रहा वैष्णव कुंभनगर के तपस्वी खाक चौक कई संतों की धूनी साधना का केंद्र बना हुआ है. चारो ओर आग का घेरा बनाकर बीच में बैठे साधनारत कई तपस्वी तो सिर पर आग से भरी मटकी भी रखे हुए हैं. यह कठिन तपस्या देख श्रद्धालु आश्चर्यचकित भी हो रहे हैं और उनके आगे श्रद्धावनत भी.
महंत भगवतदास ने बताया कि तपस्वी खालसे में बाबा भंडारी, मलखान बाबा, विजयरामदास सहित कई संत वृंदावन की इस पावन धरा पर लगे कुंभ में जनकल्याण की भावना से अपनी साधना में लीन हैं. धूनी साधना के संबंध में उन्होंने बताया कि यह कई प्रकार की होती है. पहली पंच धूनी साधना. इसमें पांच ओर से अग्नि प्रज्वलित बीच में साधु अपनी साधना करते हैं. इसके बाद आठ धूनी और बारह धूनी साधना भी इसी प्रकार होती है.
चौरासी धूनी साधना कठिन होती है. इसमें चौरासी स्थानों पर अग्नि प्रज्जवलित कर साधु बीच में बैठकर साधना करता है. इस साधना में साधु इतना लीन हो जाता है कि उसे संसार से कोई मतलब नहीं रह जाता. जब तक साधना पूरी नहीं होगी, साधु अपना स्थान नहीं छोड़ सकता.
धूनी साधनाओं में सबसे कठिन सिर पर अग्नि प्रज्जवलित कर साधना करना होता है. इसमें साधु चारों ओर अग्नि में घिरे होने के बाद मटके में अग्नि जलाकर बीच में बैठकर साधना करते हैं. यह साधना बहुत कठिन है. कई साधु 18 वर्ष से इस साधना को अनवरत कर रहे हैं.
धूनी साधना वसंत पंचमी से शुरू होकर ज्येष्ठ के दशहरे पर पूरी होती है. महंत भगवतदास बताते हैं कि जो साधु वसंत पंचमी से इस साधना को शुरू करता है, फिर चाहे कितनी भी परेशानी या कठिनाइयां क्यों ना आएं, वह ज्येष्ठ माह के दशहरे पर ही पूरा करता है. उन्होंने बताया कि यह साधना दोपहर के समय होती है. तपती धूप भी साधु की साधना में बाधा नहीं बनती.
Posted By : Amitabh Kumar