Jharkhand News, Gumla News, गुमला (दुर्जय पासवान/सुनील) : बिहार के गोपालगंज स्थित ईंट भट्ठा से मृतक बुधवा पन्ना एवं करमा पन्ना का शव गुरुवार (18 फरवरी, 2021) की सुबह एंबुलेंस से मारासिल्ली गांव लाया गया. दोनों शव का पोस्टमार्टम गोपालगंज में ही कराया गया था. वहीं, बिना पोस्टमार्टम के मंगू उरांव के शव को गांव लाया गया था जिसका गुरुवार को गुमला सदर हॉस्पिटल में पोस्टमार्टम हुआ. बता दें कि जहरीली शराब पीने से गुमला के 3 मजदूरों की मौत गोपालगंज में हो गयी थी.
जहरीली शराब पीने के कारण बिहार के गोपालगंज में 3 मजदूरों की मौत हो गयी थी. गुरुवार को इन तीनों मजदूरों का शव गुमला के मारासिल्ली गांव लाया गया. गांव में शव आते ही मातम छा गया. वहीं, दूसरी ओर गांव के अन्य मजदूर सोमरा उरांव, शनि उरांव, सुमति उरांव, कांता कुमारी, कर्मी कुमारी, खुशबू कुमारी गोपालगंज से अपने गांव वापस आ गये हैं. इस दौरान बीमार सोमरा उरांव का भरनो प्रखंड के अस्पताल में स्वास्थ्य जांच कराया गया जहां चिकित्सकों ने उसे खतरे से बाहर बताया.
इधर, मारासिल्ली गांव में मजदूरों का शव गुरुवार की सुबह आने पर भरनो पुलिस गांव पहुंची और मृतक मंगू उरांव के शव को पोस्टमार्टम कराकर परिजनों को सौंप दिया. पुलिस ने मृतकों के परिजनों से फर्द बयान लिया. परिजनों ने पुलिस को आवेदन देकर उक्त मामले की जांच करते हुए भट्ठा संचालक और मुंशी के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की.
भरनो पुलिस ने कहा कि पुलिस हर बिंदु पर छानबीन कर रही है. गोपालगंज से लौटे मजदूर अगर भरनो थाना में लिखित आवेदन देंगे, तो यहां भी प्राथमिकी दर्ज की जायेगी. वहीं, मारासिल्ली गांव के 3 मजदूरों की गोपालगंज में जहरीली शराब पीने से मौत की खबर पर गुरुवार को कई लोग गांव पहुंचे और वापस लौटे मजदूरों से जानकारी लेते नजर आये. शव गांव पहुंचने के बाद परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है.
गोपालगंज से वापस लौटे मजदूर सोमरा उरांव बीमार हैं. उन्होंने बताया कि भगवान की कृपा है कि मैं बच गया. नहीं तो हमारे गांव के 3 साथियों के साथ मेरी भी जान जा सकती थी. उन्होंने सरकार से मजदूरों को मदद करने की मांग की है जिससे वे इस संकट से निकल सके. वापस लौटे मजदूर शनि उरांव एवं उसकी पत्नी सुमति उरांव ने कहा कि हमलोग गरीबी के कारण काम करने के लिए गोपालगंज गये थे. लेकिन, वहां जाकर हम फंस गये. हमें मारने की साजिश रची गयी थी. हमलोग बच गये. गांव के 3 साथी जहरीली शराब पीने से मर गये. सरकार से गुहार है कि हमें गांव में ही काम दें. गोपालगंज में बुधवा पन्ना की मौत हो गयी है. उसकी बेटी करमी कुमारी भी घटना के समय गोपालगंज में अपने पिता के साथ थी. करमी ने सरकार व प्रशासन से मदद की गुहार लगायी है. जिससे परिवार का जीविका चल सके.
पंचायत जनप्रतिनिधि माधुरी देवी ने कहा कि गांव में मनरेगा से एक काम दिया गया है. लेकिन, मनरेगा से पैसा मिलने में देरी होने के कारण सभी मजदूर मनरेगा में काम करना नहीं चाहते और हर साल बरसात खत्म होने के बाद पलायन कर जाते हैं. सरकार को मजदूरों को गांव में ही रोजगार मिले और समय पर पैसा. इसके लिए पहल करनी चाहिए.
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भरनो प्रखंड के मारासिल्ली गांव के 3 मजदूरों की मौत की सूचना पर विधायक जिग्गा सुसारन होरो, बीडीओ नीतू सिंह, सीओ प्रीति केरकेट्टा सहित झामुमो एवं भाजपा कार्यकर्ता गुरुवार को गांव पहुंचे. विधायक ने मृतकों के परिजनों को अंतिम संस्कार के लिए आर्थिक सहयोग किया. बीडीओ की तरफ से परिजनों को 25-25 किलो चावल, एक-एक कंबल और सीओ की ओर से परिजनों को 50-50 किलो चावल दिया गया. विधायक ने परिजनों एवं सरदारिन से पूरे मामले की जानकारी ली.
विधायक श्री होरो ने कहा कि मृतकों के परिजनों को हर प्रकार से सरकारी योजनाओं का लाभ मिलेगा. उन्होंने कहा कि अपनी बेटियों को किसी भी हाल में ईंट भट्ठा में ना भेजें. उन्हें स्कूल भेजें. बच्चियों की पढ़ाई में हर संभव सहयोग करेंगे. उन्होंने मृतक बुधवा पन्ना की 11 वर्षीय बेटी खुशबू कुमारी का एडमिशन कस्तूरबा विद्यालय में कराने का आश्वासन दिया. साथ ही मजदूरों का रजिस्ट्रेशन कराने पर भी जोर दिया.
इधर, तीनों मृतकों के परिजनों ने गोपालगंज जिला के ईंट भट्ठा संचालक नरसिंह साव एवं मुंशी के खिलाफ केस दर्ज कराया है. थानेदार ने कहा कि सभी आवेदन को गोपालगंज जिले के विजयीपुर थाना को अग्रसारित किया जायेगा. उसी थाने में प्राथमिकी दर्ज होगी. मौके पर अभिषेक लकड़ा, झामुमो अध्यक्ष जॉनसन बाड़ा, शमसाद खान, भाजपा अध्यक्ष मनोज वर्मा, भोला केशरी, शंकर शाही, शुभानी उरांव, बजरंग गुप्ता सहित ग्रामीण मौजूद थे.
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भरनो प्रखंड से 7 किमी दूरी पर मारासिल्ली गांव है. इस गांव की आबादी लगभग 1500 है. यह आदिवासी बहुल गांव है. जहां अधिकतर लोग बरसाती कृषि पर निर्भर है. गांव विकास की ओर अग्रसर है. गांव में पक्की सड़क है. लगभग 300 घरों में शौचालय है. पेयजल के लिए सीएम जल नल योजना से 2 एवं पंचायत फंड से 5 जलमीनार लगाया गया है, लेकिन पंचायत भवन अधूरा पड़ा है. इस क्षेत्र में रोजगार का कोई साधन नहीं है. जिस कारण हर साल 500 प्रवासी मजदूर पलायन करते हैं. बरसात खत्म होते ही लोग गांव से पलायन कर दूसरे राज्य चले जाते हैं. फिर बरसात शुरू होते ही सभी मजदूर अपने गांव लौट जाते हैं.
कुछ मजदूरों ने कहा कि पूर्वजों के समय से हमलोग पलायन करते रहे हैं. अभी भी पलायन कर रहे हैं, जबकि कई मजदूरों ने कहा कि गांव में कोई काम नहीं है. आज 3 मजदूर मरे हैं, तो प्रशासन व विधायक की आंख खुली है. अगर यहां रोजगार का साधन रहता, तो लोगों को पलायन करना नहीं पड़ता.
ग्रामीण फूलचंद उरांव, आंजन उरांव, सुकेश उरांव व अश्विनी बड़ाइक ने कहा कि गांव से प्रतिवर्ष लगभग 500 लोग काम के लिए दूसरे राज्यों में पलायन कर जाते हैं और बरसात से पूर्व वापस आकर खेती- बारी करते हैं. सरकार व प्रशासन को चाहिए कि गांव में स्थायी रोजगार की व्यवस्था करे. इधर, ग्रामीणों का कहना है कि मनरेगा में नियमित रूप से काम नहीं मिलता है और काम मिलता भी है, तो समय पर मजदूरी का पैसा नहीं मिलता है. गांव में मजदूरी का पैसा खत्म हो जाता है. ईंट भट्ठा में जाकर काम करने से मोटी रकम जमा हो जाती है. इसलिए लोग पलायन करते हैं.
Posted By : Samir Ranjan.