म्यूटेशन की प्रक्रिया में पारदर्शिता एक और कदम आगे बढ़ गयी है. वरीय अधिकारियों द्वारा दिये गये आदेशों के पालन में सीओ अब टाल-मटोल नहीं कर सकेंगे. भूमि सुधार उपसमाहर्ता एवं अपर समाहर्ता के आदेशों के अनुपालन की ऑनलाइन व्यवस्था हो गयी है. राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने डीसीएलआर मॉड्यूल लांच कर दिया है.
अब भूमि सुधार उपसमाहर्ता या अपर समाहर्ता के कार्यालय के आदेश का समय से पालन करना अंचलाधिकारी के लिए अनिवार्य हो गया है. ऐसा न होने पर मेल के जरिये अधिकारियों को इसकी सूचना हो जायेगी. दोनों कार्यालयों के आदेश को लेकर रैयतों को अंचल कार्यालयों का चक्कर लगाने से मुक्ति मिल जायेगी.
रैयत जमाबंदी के मामलों में सीओ के फैसले के खिलाफ डीसीएलआर के यहां अपील करते थे. यहां हुए फैसले के अनुपालन को रैयत सीओ के यहां जाते थे, तो फैसले की कॉपी नहीं मिलने आदि का बहाना बना दिया जाता था. इससे उच्च अधिकारी के आदेश का पालन कराने को रैयत को अंचल कार्यालय के कई चक्कर लगाने पड़ते थे.
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह ने बताया कि अभी तक यदि अंचल अधिकारी के किसी आदेश को भूमि सुधार उपसमाहर्ता द्वारा निरस्त कर दिया जाता है अथवा अपर समाहर्ता द्वारा किसी की जमाबंदी को निरस्त कर दिया जाता था, तो सीओ द्वारा उसके क्रियान्वयन की कोई पारदर्शी व्यवस्था नहीं थी. म्यूटेशन के मामलों में डीसीएलआर एवं एडीएम के आदेशों के अनुपालन की ऑनलाइन व्यवस्था नहीं थी. इस कमी को महसूस किया जा रहा है.
डीसीएलआर मॉड्यूल में डीसीएलआर या एडीएम के कार्यालय के आदेश का पालन करना सीओ के लिए आवश्यक होगा. आदेश सीओ के कार्यालय के मेल पर सीधे जायेगा. यह विभाग का एक तरह का इंटरनल मैकेनेज्म है. सीओ वरीय अधिकारियों के म्यूटेशन के मामले में दिये गये आदेशों का पालन करने के लिए बाध्य होंगे. न तो उनके द्वारा इससे संबंधित कोई अभिलेख खोला जायेगा न ही किसी तरह का नोटिस जारी किया जायेगा.
Posted By :Thakur Shaktilochan