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बिहार के सभी सरकारी एवं गैरसरकारी कॉलेजों में होगी एक समान फीस, 263 कॉलेजों से मांगा गया फीस स्ट्रक्चर

फिलहाल शिक्षा विभाग ने प्रत्येक विश्वविद्यालय एवं उनके संबंधित कॉलेजों का फीस स्ट्रक्चर मांगा है, ताकि फीस को तार्किक एवं एक मानक पर किया जा सके.

पटना. बिहार के सभी सरकारी एवं गैरसरकारी कॉलेजों में आरक्षित वर्ग की छात्राएं नि:शुल्क पढ़ रही हैं. इसकी फीस राज्य सरकार को देनी होती है.

इस संदर्भ में वर्तमान हालात यह हैं कि पटना विश्वविद्यालय को छोड़ दें तो किसी भी विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेजों की फीस प्रतिपूर्ति नहीं की जा सकी है. आरक्षित वर्ग की लड़कियों को नि:शुल्क पढ़ाने की योजना का ये छह वां साल चल रहा है.

फिलहाल शिक्षा विभाग ने प्रत्येक विश्वविद्यालय एवं उनके संबंधित कॉलेजों का फीस स्ट्रक्चर मांगा है, ताकि फीस को तार्किक एवं एक मानक पर किया जा सके.

विभागीय सूत्रों के मुताबिक वर्तमान में फीस प्रतिपूर्ति के लिए आये प्रस्तावों में प्रत्येक विश्वविद्यालय की फीस स्नातक से स्नातकोत्तर में जमीन आसमान का अंतर है. यही अंतर शिक्षा विभाग की गले की फांस बन गया है.

दरअसल शिक्षा विभाग चाहता है कि प्रत्येक विश्वविद्यालय का संकाय वाइज फीस स्ट्रक्चर एक समान किया जाना चाहिए. विश्वविद्यालयों से रिपोर्ट आने के बाद इस दिशा में शिक्षा विभाग जरूरी कदम उठायेगा.

फिलहाल पांच साल बीत जाने के बाद भी कॉलेजों की करोड़ों की फीस प्रतिपूर्ति रुकी हुई है. जिसकी वजह से कॉलेजों की आर्थिक दशा सोचनीय बनी हुई है.

विभागीय सूत्रों के अनुसार उच्च शिक्षा विभाग ने सभी विश्वविद्यालय एवं उनसे संबद्ध 263 कॉलेजों से उनका फीस स्ट्रक्चर मांगा है. सभी का फीस स्ट्रक्चर आने के बाद एक विशेष स्ट्रक्चर के आधार पर ही फीस प्रतिपूर्ति की जायेगी.

विभागीय सूत्रों के मुताबिक एक ही योजना का शुल्क भुुगतान गैर तार्किक माना जा रहा है. इस विसंगति पूर्ण भुगतान से कानूनी पेचीदगियां खड़ी हो सकती हैं.

अभी तक पीयू में फीस का भुगतान किया गया है

उल्लेखनीय है कि अभी तक केवल पटना विश्वविद्यालय की छह हजार से अधिक आरक्षित वर्ग की लड़कियों की फीस का भुगतान किया गया है. उल्लेखनीय है कि आरक्षित वर्ग की लड़कियों को स्नातक से लेकर स्नातकोत्तर तक नि:शुल्क पढ़ाया जाना है.

विभागीय सूत्रों के मुताबिक जब इंटर पास लड़की को कॉलेज में पढ़ने के लिए प्रोत्साहन राशि का प्रावधान किया गया है तब से लड़कियों के एडमिशन पचास फीसदी से भी अधिक हैं, जिसमें आरक्षित वर्ग के लड़कियों की संख्या उत्साहजनक है.

Posted by Ashish Jha

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