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गलवान घाटी व पैंगोंग झील इलाके से सैनिकों को पीछे ले भारत के अधिकारों का ‘आत्मसमर्पण’
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रक्षा बजट में मामूली और अपर्याप्त इजाफा देश के साथ ‘धोखा’
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पाकिस्तान की ओर से आतंकवाद को बढ़ावा देना जारी
पूर्व रक्षा मंत्री ए.के एंटनी ने गलवान घाटी व पैंगोंग झील इलाके से सैनिकों को पीछे ले जाना और बफर जोन बनाना के फैसले को भारत के अधिकारों का ‘आत्मसमर्पण’ बताया है. एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके एंटनी ने कई बातों का जिक्र किया है.
पूर्व रक्षा मंत्री ने कहा, भारत सीमा पर कई चुनौतियों का सामना कर रहा है और दो मोर्चों पर युद्ध जैसी स्थिति है, ऐसे में रक्षा बजट में मामूली और अपर्याप्त इजाफा देश के साथ ‘धोखा’ है. इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में एंटनी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार पर निशाना साधा है.
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उन्होंने कहा, सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा को ऐसे समय में उचित प्राथमिकता नहीं दे रही है जब चीन आक्रामक हो रहा है और पाकिस्तान की ओर से आतंकवाद को बढ़ावा देना जारी है. उन्होंने कहा कि सैनिकों का पीछे हटना अच्छा है क्योंकि इससे तनाव कम होगा लेकिन इसे राष्ट्रीय सुरक्षा की कीमत पर नहीं किया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा, गलवान घाटी एवं पैंगोंग झील से सैनिकों को पीछे हटाना आत्मसमर्पण है. इन इलाकों को भारत नियंत्रित करना था यह सरेंडर करने जैसा है. हम अपने अधिकारों का समर्पण कर रहे हैं. 1962 में भी गलवान घाटी के भारतीय क्षेत्र होने पर विवाद नहीं था. सैनिकों को पीछे लाना और बफर जोन बनाना अपनी जमीन का आत्मसमर्पण करना है.
पूर्व रक्षा मंत्री ने सियाचिन इलाके में पाकिस्तानी मदद से चीन किसी भी वक्त खुराफाद शुरू कर सकता है. सरकार की क्या योजना है क्या पहले जैसी स्थिति बन पायेगी देश की सरकार पहले जैसी स्थिति बनाये और देश की जनता का भरोसा जीते . सरकार को इस संबंध में राजनीतिक पार्टियों से भी चर्चा करनी चाहिए . रक्षा बजट नहीं बढ़ाया गया है इससे भी गलत संदेश गया है