jharkhand high court latest news, jharkhand lower court latest case update रांची : झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने शुक्रवार को एक याचिका पर सुनवाई के बाद फैसला सुनाते हुए कहा कि निचली अदालत पीड़ित को मुआवजा देने की सिफारिश कर सकती है, लेकिन मुआवजा की राशि तय करने का अधिकार उसे नहीं है. सीआरपीसी की धारा-357 (CRPC Section 357) में इस तरह का कोई प्रावधान नहीं है.
अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान रांची की निचली अदालत ने अारोपियों को एक लाख रुपये मुआवजा राशि पीड़ित को देने का आदेश दिया है, जो उचित नहीं है. अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि निचली अदालत को जमानत या अग्रिम जमानत की सुनवाई के दौरान पीड़ित को मुआवजा देने के लिए राशि तय करने का कोई अधिकार नहीं है.
अदालत की अनुशंसा के बाद डीएलएसए पूरी जांच करती है. फिर मुआवजा देने पर निर्णय लेती है. अदालत ने उक्त आदेश पारित करते हुए याचिका को निष्पादित कर दिया. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी सुमित कुमार साव, अमित साव, ए कमल व संचिता मालाकार की अोर से याचिका दायर की गयी थी. उन्होंने एक लाख रुपये मुआवजा राशि पीड़ित को देने संबंधी निचली अदालत के आदेश को चुनाैती दी थी.
सुमित कुमार साव व अन्य की ओर से अग्रिम जमानत याचिका दायर की गयी थी. रांची की निचली अदालत ने 20 जनवरी 2020 को अग्रिम जमानत देते समय याचिकाकर्ताओं को एक लाख रुपये बतौर मुआवजा पीड़ित (सूचक) को देने का आदेश दिया था. ज्ञात हो कि मो एम आलम ने एक कार खरीदी था. कार बेचनेवाले ने एनअोसी नहीं दिया था. इसी दाैरान गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हो गयी. एनअोसी नहीं रहने की वजह से कार मालिक को बीमा का लाभ नहीं मिल पाया. इसे लेकर लोअर बाजार थाना में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी. इसमें सुमित कुमार साव व अन्य को आरोपी बनाया गया था.
Posted By : Sameer Oraon