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आज के ठीक 100 साल पहले रखी गई थी संसद भवन की आधारशिला, जानिए तब ब्रिटेन के ड्यूक ने क्या कही थी बात…

आज से ठीक 100 साल पहले ड्यूक ऑफ कनॉट प्रिंस ऑर्थर ने भवन की नींव रखते हुए अपने भाषण में कहा था कि यह भवन केवल नए प्रतिनिधियों का घर ही नहीं होगा, बल्कि मुझे विश्वास है कि यह भारत के पुनर्जन्म के साथ-साथ उज्ज्वल भविष्य का भी प्रतीक होगा.

  • 12 फरवरी 1921 को ब्रिटेन के ड्यूक ऑफ कनॉट प्रिंस ऑर्थर ने रखी थी नींव

  • सर हर्बर्ट बेकर और सर एडविन लुटियंस ने तैयार की थी संसद भवन का डिजाइन

  • काउंसिल हाउस से जाना जाता था आज का संसद भवन

नयी दिल्ली : आज से ठीक 100 साल पहले जब भारत आजादी पाने से महज 26 साल दूर था, तब ब्रिटेन के ड्यूक ऑफ कनॉट ने दिल्ली में संसद भवन की आधारशिला रखी थी. तब उन्होंने कहा था कि यह ‘भारत के पुनर्जन्म के साथ-साथ उज्ज्वल भविष्य का भी प्रतीक’ होगा. 12 फरवरी 1921 के ठीक एक सदी बाद शुक्रवार को एक ओर जहां लोकसभा और राज्य सभा में विभिन्न दलों के सांसद संसद में बैठे हैं, तो वहीं दूसरी ओर नए संसद भवन का निर्माण कार्य भी चल रहा है.

करीब 560 फुट के व्यास और एक मील के तिहाई हिस्से की परिधि में फैले इस भवन का डिजाइन सर हर्बर्ट बेकर और सर एडविन लुटियंस ने तैयार की थी. लुटियंस ने ही दिल्ली में रायसीना हिल्स इलाके में नयी औपनिवेशिक राजधानी का भी डिजाइन बनाया था. रिकॉर्ड से पता चलता है कि संसद भवन की आधारशिला रखे जाने के मौके पर वायसराय लॉर्ड चेम्सफोर्ड ने एक भव्य समारोह का आयोजन किया था, जिसमें देसी रियासतों के शासन प्रमुखों के साथ-साथ अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने शिरकत की थी.

आज से ठीक 100 साल पहले ड्यूक ऑफ कनॉट प्रिंस ऑर्थर ने भवन की नींव रखते हुए अपने भाषण में कहा था कि यह भवन केवल नए प्रतिनिधियों का घर ही नहीं होगा, बल्कि मुझे विश्वास है कि यह भारत के पुनर्जन्म के साथ-साथ उज्ज्वल भविष्य का भी प्रतीक होगा. उन्होंने कहा था कि सभी ‘महान शासकों, प्रत्येक महान व्यक्ति, प्रत्येक महान सभ्यता ने पत्थरों और कांस्य और मार्बल के साथ-साथ इतिहास के पन्नों पर अपनी पहचान छोड़ी है.

संसद भवन को पहले काउंसिल हाउस के नाम से जाना जाता था. छह साल बाद 1927 में तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इर्विन ने इसका उद्घाटन किया था. यह संसद भवन 1929 में भगत सिंह द्वारा सेंट्रल हॉल के चैंबर में बम फेंके जाने और देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू द्वारा 15 अगस्त 1947 को देश की आजादी के उपलक्ष्य में दिये गए ऐतिहासिक भाषण ‘ट्रिस्ट विद डेस्टिनी’ का गवाह रहा है. इसके अलावा भी इस संसद भवन ने कई ऐतिहासक घटनाओं को देखा है.

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Posted By : Vishwat Sen

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