कोलकाता (नवीन कुमार राय) : वाम दलों एवं कांग्रेस के छात्र और युवा संगठनों द्वारा संयुक्त रूप से चलाये गये नबान्न अभियान के दौरान हुई पुलिस की बर्बर कार्रवाई के विरोध में लेफ्ट ने शुक्रवार को 12 घंटे के बंद को अभूतपूर्व करार दिया है. कहा है कि कांग्रेस और फुरफुरा शरीफ के पीरजादा अब्बास सिद्दीकी की पार्टी इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आइएसएफ) का भी बंद को समर्थन मिला.
वामदलों के 12 घंटे के बंद के दौरान बंद समर्थक सड़क पर तो दिखे, लेकिन सामान्य जनजीवन को ठप करने में नाकाम रहे. निजी बसें, ऑटो और टैक्सी सुबह से कोलकाता समेत पूरे राज्य में चलीं. कुछ जगहों पर बंद समर्थक हड़ताल को सफल बनाने के लिए सड़कों पर उतरे और कुछ देर के लिए प्रतीकात्मक रूप से सड़क को जाम किया. बाद में पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया.
सुबह-सुबह वामदलों ने कुछ रेलवे स्टेशनों पर ट्रेनों को रोका. बावजूद इसके, हावड़ा और सियालदह स्टेशनों पर भीड़ अन्य दिनों की तरह सुबह भी देखी गयी. जैसे-जैसे दिन चढ़ता गया, हड़ताल का असर कम होता गया. राज्य सरकार की पूरी मशीनरी सार्वजनिक जीवन को सामान्य बनाये रखने की कोशिशों में जुटी रही.
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लाल बाजार सूत्रों के अनुसार, सिर्फ कोलकाता महानगर में 3,500 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था. कोलकाता पुलिस के संयुक्त आयुक्त (मुख्यालय) शुभंकर सरकार ने कहा था कि अगर नाकाबंदी, दुकानों को बंद करने और वाहनों को रोकने की कोशिश की जाती है, तो कानूनी कार्रवाई की जायेगी. हालांकि, ऐसी नौबत नहीं आयी.
दूसरी तरफ, वामपंथी छात्र संगठनों ने भी हड़ताल का आह्वान किया. 11 महीने बाद शुक्रवार को राज्य में नौवीं से बारहवीं तक की कक्षा के छात्रों के लिए स्कूल खुले. छात्र-छात्राओं का जमघट स्कूलों के सामने दिखा. एसएफआई के राज्य महासचिव श्रीजन भट्टाचार्य ने कहा कि छात्र-छात्राओं ने हड़ताल को अपना पूरा समर्थन दिया है.
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गुरुवार को पुलिस ने नबान्न की ओर बढ़ रहे वामदलों एवं कांग्रेस के छात्र संगठनों एवं यूथ विंग के कार्यकर्ताओं पर जमकर लाठियां बरसायीं थीं. साथ ही आंसू गैस के गोले भी दागे थे, जिसमें पुलिसकर्मियों समेत कम से कम 500 लोग घायल हो गये. इसके विरोध में एसएफआई और वामपंथी छात्र संगठनों ने धरना दिया और प्रदर्शन किया.
Posted By : Mithilesh Jha