छपरा. कोरोना महामारी के दौरान हुए लॉकडाउन के बाद से ही महंगाई ने आम जनता की परेशान कर दी है. लोगों के लिए सफर करना भी पहले से महंगा गया है. लॉकडाउन खुलने के बाद से ही निजी सवारियों का किराया बढ़ गया है.
ग्रामीण क्षेत्रों में चलने वाली बसों का काफी बुरा हाल है. इन क्षेत्रों में यात्रा करने वाले लोगों को ड्राइवर और कंडक्टर के मनमानी का सामना करना पड़ रहा है. यह लोग आम यात्रियों से मनमाने ढंग से किराया वसूल रहे हैं, जिससे यात्रियों की परेशानी काफी बढ़ गयी है.
मनमाने किराये को लेकर जब यात्री इनका विरोध करते हैं तो मनमानी करने वाले ड्राइवर उन्हें बस में भी नहीं चढ़ाते. यात्रियों की परेशानी के बाद भी ऐसी बसों पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. इन किरायों में 10 से 30 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई है.
इस तरह ऑटो, निजी वाहन, बस, रिक्शा, ई रिक्शा इन सब के चालकों ने पहले की तुलना में किराया भी बढ़ा दिया है. इस अतिरिक्त किराये का बोझ अब आम जनता झेल रही है. कई महीनों तक यात्री वाहन बंद रहने के कारण उनके चालकों को काफी नुकसान हुआ था. वाहन भाड़े में बढोतरी की एक यह भी वजह है.
कोरोना के पहले छपरा से पटना जाने के लिए बस का किराया 60 से 65 रुपये लगता था, लेकिन यह किराया अब बढ़कर 90 से 100 रुपये हो गया है. दैनिक यात्रियों का कहना है कि लॉकडाउन में जब सारे पैसेंजर वाहन बंद किये गये थे.
वहीं स्टेट ट्रांसपोर्ट की बसें भी बंद की गयी. लेकिन जब यह फिर से शुरू किये गये तो किराया काफी हद तक बढ़ा दिया गया है. अभी तक ट्रेन से भी कोई विकल्प नहीं है, जिससे मजबूरन अतिरिक्त किराया देकर पटना जाना पड़ रहा है.
रोडवेज किरायों के बढ़ने की एक वजह ट्रेनों का फुल फ्लेज में न चलना है. रेलवे द्वारा पिछले साल मार्च में लोकल ट्रेनों को बंद कर दिया गया था, जिसे अबतक शुरू नहीं किया गया है. ऐसे में लोकल यात्रा करने के लिए लोगों को भाड़े के वाहनों पर निर्भर रहना पड़ रहा है. इसका फायदा उठाकर सवारी वाहनों ऑटो, जीप, बस द्वारा किराया बढ़ा दिया गया है.
पहले लोकल पैसेंजर ट्रेनें चलती थी तो यात्री लोकल में आराम से 10 से 15 रुपये में अपने गंतव्य स्थान तक पहुंच जाते थे. लेकिन जब से लोकल ट्रेनें बंद हुई हैं, यात्रियों को अब एक जगह से दूसरे जगह जाने के लिए 30 से 50 रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं.
Posted by Ashish Jha