Supreme Court Notice To Central Government सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को आबादी के हिसाब से राज्यवार अल्पसंख्यकों की पहचान की मांग वाली याचिका पर सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार से जवाब मांगा है. सुप्रीम कोर्ट ने पांच समुदायों के अल्पसंख्यक दर्जे के खिलाफ अलग-अलग हाईकोर्ट में विचाराधीन मामलों को एक जगह स्थानांतरित करने की मांग वाली याचिका पर केंद्रीय गृह मंत्रालय, कानून मंत्रालय और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय को नोटिस भेजा है और चार हफ्तों में जवाब मांगा है. मामले में अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद होगी.
गौर हो कि दिल्ली, मेघालय और गुवाहाटी में हाईकोर्ट पहले से ही राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम, 1992 की धारा 2 (सी) की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को सीज कर चुके हैं. अक्टूबर 1993 में, इस अधिनियम के तहत अधिसूचना जारी की गई थी. अधिसूचना में पांच समुदायों मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध और पारसी को देशभर में अल्पसंख्यक घोषित किया गया था. जिसको लेकर भाजपा नेता और अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने याचिका दायर की थी.
याचिका में कहा कि अल्पसंख्यक-बहुसंख्यक खत्म किया जाए, अन्यथा देश के नौ राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा दिया जाए. नेशनल कमिशन फॉर माइनॉरिटी एक्ट 1992 के उस प्रावधान को उन्होंने खत्म करने की मांग की है, जिसके तहत देश में अल्पसंख्यक का दर्जा दिया जाता है. अश्विनी उपाध्याय ने यह भी मांग की है कि अगर कानून कायम रखा जाता है तो जिन 9 राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक हैं, उन्हें राज्यवार स्तर पर अल्पसंख्यक का दर्जा दिया जाए, ताकि उन्हें अल्पसंख्यक का लाभ मिल सके.
अश्विनी उपाध्याय ने याचिका में कहा कि देश के 9 राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक हैं, मगर उनको अल्पसंख्यक का लाभ नहीं मिल पा रहा है. याचिका में बीजेपी नेता कहा कि लद्दाख, मिजोरम, लक्ष्यद्वीप, कश्मीर, नागालैंड, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, पंजाब और मणिपुर में हिंदू की जनसंख्या अल्पसंख्यक के तौर पर है. उन्होंने कहा कि इन राज्यों में अल्पसंख्यक होने के कारण हिंदुओं को अल्पसंख्यक का लाभ मिलना चाहिए, लेकिन उनका लाभ उन राज्यों के बहुसंख्यक को दिया जा रहा है.
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