पटना. पटना विश्वविद्यालय में आउटसोर्सिंग से कर्मियों को बहाली के लिए करीब 2019-20 में शिक्षा विभाग द्वारा तीन करोड़ रुपये की राशि दी गयी थी. यह खर्च हो चुका है तथा 2020-21 के लिए संबंधित अनुदान राशि प्राप्त नहीं हुई है.
रिक्त पदों के विरुद्ध संविदा पर नियुक्ति आउटसोर्सिंग द्वारा करने के लिए इस बार बजट में 6.60 करोड़ रुपये के व्यय का प्रावधान किया गया है. यह राशि मुख्यालय, केंद्रीय पुस्तकालय, स्नातकोत्तर विभागों एवं कॉलेजों के लिए होगा. सरकार से राशि नहीं मिलने की वजह से विवि में आउटसोर्सिंग कर्मियों को वेतन भुगतान करने में परेशानी हो रही है.
विश्वविद्यालय मुख्यालय समेत कई कॉलेजों से इस वजह से ऐसे स्टाफ की कमी हो गयी है. ऐसा इसलिए क्योंकि उन्हें देने के लिए विवि के पास राशि ही नहीं बची.
कुछ जरूरी स्टाफ अभी काम कर रहे हैं, लेकिन उन्हें विवि अपने आंतरिक स्रोत से वेतन दे रही है. लेकिन जल्द ही विवि इन्हें वेतन देने में अक्षम हो सकता है. इससे कई काम प्रभावित होंगे.
पटना विवि में शिक्षकेतर कर्मियों के कुल स्वीकृत 1506 पदों के विरुद्ध मात्र 619 ही कार्यरत हैं. इस संबंध में विवि कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सुबोध कुमार कहते हैं कि एक कर्मचारी पर लगभग तीन कर्मियों का भार है.
सरकार द्वारा कर्मियों की बहाली तीन दशकों से नहीं हुई है. इसके अतिरिक्त लैब असिस्टेंट व लाइब्रेरियन के पद भी खाली हैं.
Posted by Ashish Jha