बीते दिन सोमवार को पीएम मोदी ने राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब दिया. साथ ही पीएम मोदी ने कृषि कानून सहित विभिन्न मुद्दों पर विपक्ष को जबाव भी दिया. प्रधानमंत्री ने अपने 75 मिनट के भाषण में कृषि कानून को लेकर सरकार की स्थिति स्पष्ट कर दी. वहीं, आज लोकसभा में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी राष्ट्रपति के अभिभाषण पर बोलेंगे. ऐसे में सभी की नजरें आज सदन पर लगी हुई हैं.
गौरतलब है कि, राहुल किसान आंदोलन और कृषि कानूनों को लेकर पहले से ही काफी सक्रिय हैं. और आज सदन में वो अपनी बात रखेंगे. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि आज सदन में गहमा-गहमी का माहौल हो सकता है. बता दें, पीएम मोदी ने सोमवार को अपने संबोधन में साफ कर दिया कि सरकार कृषि कानूनों को वापस नहीं लेगी. साथ ही उन्होंने यह आश्वासन भी दिया था कि किसान घबराएं नहीं, एमएसपी था, एमएसपी है और एमएसपी रहेगा. बता दें, राज्यसभा के बाद कल यानी बुधवार को लोकसभा में पीएम मोदी जवाब देंगे.
हरित क्रांति में शास्त्रीजी का भी हुआ था विरोध: पीएम मोदी ने कहा कि कहा कि जब देश में सुधार होते हैं, तो उसका विरोध होता है. हरित क्रांति के समय जब कृषि सुधार हुए, तब भी ऐसा हुआ था. आंदोलन हुए थे. तब लाल बहादुर शास्त्री जी प्रधानमंत्री थे और कैबिनेट में भी विरोध के स्वर उठे थे, लेकिन शास्त्री जी आगे बढ़े.
मनमोहन सिंह ने जो कहा था, वही काम हम कर रहे: विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए पीएम ने कहा कि सरकारें किसी की भी रही हों, सभी कृषि सुधारों के पक्ष में रहीं हैं. यह अलग बात है कि वे इन्हें लागू नहीं कर सकीं. पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का उल्लेख करते हुए कहा कि वह भी ऐसे सुधारों के पक्ष में थे. सच तो यही है कि जो मनमोहन सिंह ने कहा था, वही काम हम कर रहे हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से बातचीत फिर से शुरू करने के आमंत्रण के बाद किसान संगठन सरकार से वार्ता के लिए तैयार हो गये हैं. नये कृषि कानून के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसान यूनियनों ने सोमवार को सरकार से अगले दौर की बातचीत के लिए एक तारीख तय करने के लिए कहा है. हालांकि, किसान यूनियनों ने राज्यसभा में प्रधानमंत्री मोदी की टिप्पणी पर आपत्ति भी जतायी जिसमें पीएम ने कहा था कि देश में आंदोलनजीवी नामक आंदोलनकारियों की एक नयी नस्ल उभरी है.
Posted by: Pritish Sahay