Shukra Asta 2021: शुक्र ग्रह को सभी सुख सुविधाओं का मुख्य कारक माना जाता है. शुक्र ग्रह का अस्त काल 14 फरवरी दिन रविवार से शुरू हो जाएगा. ऐसे में शुक्र ग्रह का अस्त होना काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. मान्यता है की शुक्र के प्रभाव से ही व्यक्ति को भौतिक शारीरिक और वैवाहिक सुखों की प्राप्ति होती है. इसलिए ज्योतिष में शुक्र ग्रह को भौतिक सुख वैवाहिक सुख भोग-विलास शौहरत कला प्रतिभा सौन्दर्य रोमांस काम-वासना और फैशन-डिजाइनिंग आदि का कारक माना जाता है. शुक्र का अस्त होने पर सभी प्रकार के मांगलिग कार्य पर रोक लग जाती है. जिस प्रकार गुरु तारा का उदय मांगलिक कार्यों के लिए महत्वपूर्ण है, उसी तरह शुक्र तारा का उदय भी सभी प्रकार के मांगलिक कार्यों के महत्वपूर्ण माना जाता है.
हिन्दू पंचांग के अनुसार शुक्र तारा माघ शुक्ल तृतीया यानी 14 फरवरी 2021 से अस्त हो रहा है जो चैत्र शुक्ल पक्ष की षष्ठी यानी 18 अप्रैल 2021 को उदित होगा. इसलिए शादी-विवाह करने के लिए 18 अप्रैल तक इंतजार करना होगा. गुरु और शुक्र के अस्त होने की वजह से नींव पूजन, गृह प्रवेश, मुंडन, नए प्रतिष्ठान का शुभारंभ नहीं किया जाना चाहिए, लेकिन बालक के जन्म लेने के बाद के सूतक आदि संस्कार, नामकरण, पूजन-हवन, कथा वाचन, सगाई समेत भूमि, वाहन, ज्वेलरी आदि की खरीद-फरोख्त की जा सकती है.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जिस प्रकार किसी भी ग्रह का सूर्य के नजदीक आना उसे अस्त कर सकता है, ठीक उसी प्रकार जब शुक्र ग्रह का गोचर होता है और वह किसी विशेष स्थिति में सूर्य के इतना समीप आ जाता है कि उन दोनों के मध्य 10 अंश का ही अंतर रह जाता है तो शुक्र ग्रह अस्त हो जाता है. जब ऐसी स्थिति बनती है तो शुक्र के मुख्य कारक तत्वों में कमी आ जाती है और वह अपने शुभ फल देने में कमी कर सकता है.
प्रत्येक व्यक्ति चाहता है कि उसके जीवन में स्नेह और प्रेम बरकरार रहे और सभी प्रकार के सुखों से प्राप्त होते रहें. इसके लिए शुक्र ग्रह का मजबूत होना अति आवश्यक है. शुक्र एक कोमल ग्रह है और सूर्य एक क्रूर ग्रह. इसलिए जब शुक्र अस्त होता है तो उसके शुभ परिणामों की कमी हो जाती है और ऐसे में व्यक्ति कई प्रकार के सुखों से वंचित हो सकता है.
ज्योतिष के अनुसार शुक्र ग्रह वृषभ और तुला राशि का स्वामी होता है, वहीं मीन इसकी उच्च राशि है, जबकि कन्या इसकी नीच राशि कहलाती है. शुक्र को 27 नक्षत्रों में से भरणी पूर्वा फाल्गुनी और पूर्वाषाढ़ा नक्षत्रों का स्वामित्व प्राप्त है. वहीं, ग्रहों में बुध और शनि ग्रह शुक्र के मित्र ग्रह हैं. सूर्य और चंद्रमा इसके शत्रु ग्रह माने जाते हैं. शुक्र का गोचर 23 दिन की अवधि का होता है. शुक्र एक राशि में करीब 23 दिन तक रहता है. दरअसल शुक्र ग्रह सभी सुख-सुविधाओं का मुख्य कारक है.
वहीं सनातन धर्म में जहां प्रत्येक कार्य के लिए एक अभीष्ट मुहूर्त निर्धारित है. वहीं कुछ अवधियां ऐसी भी होती है जब शुभकार्य के मुहूर्त का निषेध होता है. इस अवधि में सभी शुभ कार्य जैसे विवाह, सगाई, गृहारंभ, मुंडन व गृहप्रवेश के साथ व्रतारंभ एवं व्रत उद्यापन आदि वर्जित रहते हैं. वहीं, शुक्र ग्रह नैसर्गिक रूप से भी शुभ ग्रह है. इसीलिए सभी प्रकार के मांगलिक कार्यों में शुक्र ग्रह का अस्त होना त्याज्य माना गया है. शुभ एवं मांगलिक मुहूर्त के निर्धारण में शुक्र के तारे का उदित स्वरूप में होना बहुत जरूरी है. शुक्र के तारे के अस्त होने पर किसी भी प्रकार के शुभ और मांगलिक कार्यों के मुहूर्त नहीं बनते.
Posted by: Radheshyam Kushwaha