RBI MPC Meeting : भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को द्विमासिक मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद रेपो रेट की घोषणा की. इस बार भी उसने रेपो रेट को 4 फीसदी पर बनाए रखने का फैसला किया है. हालांकि, इस दौरान केंद्रीय बैंक ने नकदी आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में बदलाव करने का फैसला किया है. उसने सीआरआर को 3 फीसदी से बढ़ाकर 4 फीसदी कर दिया है. सीआरआर में बढ़ोतरी का मतलब यह है कि इसका असर सीधा आम आदमी की जेब पर पड़ेगा.
आरबीआई ने बैंकों को मई 2021 तक सीआरआर को बढ़ाकर 4 फीसदी करने का निर्देश दिया है. रिजर्व बैंक के इस फैसले से आम आदमी को लोन लेना महंगा पड़ेगा. हालांकि, वरिष्ठ नागरिकों और फिक्स्ड डिपॉजिट करने वालों को इससे फायदा ही होगा. बैंक में रकम जमा करने वालों को पहले से ज्यादा ब्याज मिलने की उम्मीद जाहिर की जा रही है. संभावना यह भी है कि आरबीआई के इस निर्देश के बाद देश के बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट की ब्याज दरों में बढ़ोतरी करेंगे.
फिक्स्ड डिपॉजिट करने वालों को कैसे होगा फायदा
यह बात जाहिर है कि आरबीआई की ओर से सीआरआर में 1 फीसदी बढ़ोतरी करने के बाद इसका सीधा फायदा देश के बैंकों में फिक्स्ड डिपॉजिट करने वालों को मिलेगा. इसका मुख्य कारण यह है कि सीआरआर के तहत बैंकों को अपनी बैलेंसशीट का एक निश्चित हिस्सा आरबीआई के पास जमा करना पड़ता है. इस जमा रकम पर बैंकों को ब्याज भी मिलता है. फिलहाल, आरबीआई की ओर से निश्चित जमा राशि पर बैंकों को 3 फीसदी ब्याज मिलता है.
अब चूंकि आरबीआई ने सीआरआर को अगले 4 महीनों के लिए बढ़ाकर 4 फीसदी कर दिया है. इसका मतलब है कि बैंकों को अब पहले से 1 फीसदी ज्यादा ब्याज मिलेगा. यदि बैंकों को ज्यादा ब्याज मिलता है, तो उसका लाभ बैंकों में फिक्स्ड डिपॉजिट करने वाले ग्राहकों को भी मिलेगा. उम्मीद यह भी जाहिर की जा रही है कि आरबीआई के फैसले के बाद देश के बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट पर मिलने वाली ब्याज दरों में बढ़ोतरी करेंगे.
लोन लेना होगा महंगा
वहीं दूसरी ओर, आरबीआई द्वारा सीआरआर में बढ़ोतरी करने से लोन लेने वालों की जेब पर बोझ बढ़ जाएगा. इसका प्रमुख कारण यह है कि सीआरआर में वृद्धि होने से बैंकों के पास पूंजी में कमी हो जाती है. उन्हें अपनी कुल रकम का एक बड़ा हिस्सा आरबीआई के पास रिजर्व रखना पड़ता है. ऐसी स्थिति में बैंकों के पास कर्ज लेने वालों को लोन की रकम देने के लिए पैसा कम पड़ जाता है. इस कारण देश के ज्यादातर बैंक अधिक ब्याज पर लोगों को कर्ज मुहैया कराते हैं, ताकि नकदी की कमी को पूरा किया जा सके. इसके साथ ही, यदि आरबीआई सीआरआर में कटौती करता है, तो बाजार में नकदी बढ़ जाती है, जिससे देश में महंगाई बढ़ने की आशंका अधिक रहती है.
Posted By : Vishwat Sen
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