RBI Monetary Policy Review: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने शुक्रवार को मौद्रिक नीति समीक्षा में प्रमुख नीतिगत दर रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया और इसको चार प्रतिशत पर बरकरार रखा. इस वजह से आपके होम लोन (Home Loan) की ईएमआई में कोई बदलाव नहीं होगा. हालांकि केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने नीतिगत उदार रुख को बनाये रखा है. जिसका मतलब है कि भविष्य में जरूरत पड़ने पर कोविड-19 संकट से प्रभावित अर्थव्यवस्था को समर्थन देने के लिए मुद्रास्फीति को काबू में रखते हुए नीतिगर दर में कटौती की जा सकती है.
रिजर्व बैंक ने रेपो रेट को 4 प्रतिशत जबकि रिवर्स रेपो दर 3.35 प्रतिशत पर बरकरार रखा है. रेपो वह दर है जिसपर केंद्रीय बैंक वाणिज्यिक बैंकों को एक दिन का उधार देता है. रिवर्स रेपो दर वह दर है जिस पर बैंक अपना जमा राशि केंद्रीय बैंक के पास रखते हैं. ब्याज दरें कम नहीं होने का मतलब है कि लोगों के आवास, वाहन समेत अन्य कर्ज की किस्तों में कोई बदलाव नहीं होगा.
अगर आप निकट भविष्य में होम लोन लेने की तैयारी कर रहे हैं तो यह समय आपके लिए बेस्ट है. इस समय कई बैंक कम ब्याज दरों पर ग्राहकों को होम लोन ऑफर कर रहे हैं. कोरोनावायरस महामारी के कारण जहां बैंकों को ग्राहकों को फायदा पहुंचाने के लिए कई प्रकार के लोन पर ब्याज दरों में कटौती की है, वहीं अब कुछ समय बाद बैंक फिर से ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर सकते हैं. लोन लेने से पहले केवल एक चीज जरूर पता कर लें कि बैंक के रेपो रेट एक्सटर्नल बेंचमार्क से तो नहीं जुड़ा है. ऐसा होने पर ब्याज दर में उतार-चढ़ाव होते रहता है. जिससे ईएमआई पर असर पड़ेगा.
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जिसका भी होम लोग एक्सटर्नल बेंचमार्क से लिंक किया हुआ है. आरबीआई के फैसले का उसके ईएमआई पर कोई असर नहीं पड़ेगा. एक्सपर्ट की राय है कि अगर बैंक अपनी तरफ से मार्जिन कर करने का फैसला लेते हैं तो उस बैंक के ग्राहकों को कुछ फायदा जरूर मिल सकता है. वहीं अगर बैंकों ने अकाउंट पर रिस्क प्रीमियम बढ़ा दिया तो होम लोन की ईएमआई बढ़ भी सकती है.
जिन ग्राहकों को होम लोन बेस रेट या बेंचमार्क प्राइम लेंडिंग रेट (BPLR) से लिंक है, उनके ईएमआई समान रहेंगे. ऐसे ग्राहकों को एक्सपर्ट की राय है कि वे अपने लोन को एक्सटर्नल बेंचमार्क से लिंक करा लें. आरबीआई की ओर से रेपो रेट में किसी भी बदलाव का असर इससे लिंक लोन पर तुरंत पड़ता है. अगर एसबीआई की बात करें तो यहां 10 दिसंबर 2020 से प्रभावी बीपीएलआर 12.05 फीसदी है. जबकि बेस रेट 7.30 फीसदी है.
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रिजर्व बैंक ने सितंबर 2020 में एमसीएलआर की रिसेट पीरियड को एक साल से घटाकर 6 महीने कर दिया है. इसका मतलब हुआ कि बैंक का मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड बेस्ड लेंडिंग रेट (MCLR) अब 6 महीने में भी बदल सकता है. बैंक अगर इसे रिवाइज कर इसमें कटौती करता है तो इसका असर ग्राहकों के ईएमआई पर तुरंत पड़ता है. वहीं इसपर रेपो रेट जैसे बाहरी कारकों का कोई असर नहीं पड़ता है.
आरबीआई ने शुक्रवार को गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को लक्षित दीर्घकालिक रेपो परिचालन (टीएलटीआरओ) व्यवस्था के तहत बैंकों से कर्ज सुविधा दिलाने का प्रस्ताव किया. टीएलटीआरओ योजना संकट ग्रस्त क्षेत्रों को कर्ज सुविधा के लिए पिछले साल अक्टूबर में विशेष रूप से शुरू की गयी है. इसके तहत केंद्रीय बैंक मुश्किल में फंसे क्षेत्र की इकाइयों की वित्तीय मदद के लिए बैंकों को रेपो दर से जुड़ी परिवर्तनशील ब्याज दर पर दीर्घकालिक कर्ज सुलभ कराने की व्यवस्था की है. इसमें तीन साल तक के लिए वितीय सुविधा ली जा सकती है.
Posted By: Amlesh Nandan.
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