कोलकाता : पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री डॉ विधान चंद्र राय को आधुनिक बंगाल का निर्माता माना जाता है. कई संस्थान तथा पांच शहरों, दुर्गापुर, कल्याणी, विधाननगर, अशोकनगर और हाबरा की स्थापना का श्रेय भी उन्हें जाता है. इतिहास में वह गिने चुने लोगों में हैं, जिन्हें भारत में एक साथ एफआरसीएस और एमआरसीपी की डिग्री मिली.
उनकी याद में हर वर्ष एक जुलाई को नेशनल डॉक्टर्स डे मनाया जाता है. वर्ष 1961 में चार फरवरी को उन्हें भारत रत्न से नवाजा गया. श्री राय के दादा प्राणकाली राय बहरमपुर कलेक्टरेट में कर्मचारी थे. उनके पिता प्रकाश चंद्र राय का जन्म का जन्म 1847 में बहरमपुर में हुआ. विधान चंद्र राय की माता अघोरकामिनी देवी बहरमपुर के जमींदार विपिन चंद्र बसु की बेटी थीं.
बिधान चंद्र का जन्म 1882 में एक जुलाई को पटना के बांकीपुर में हुआ, जहां उनके पिता एक्साइज इंस्पेक्टर थे. श्री राय ने पटना कॉलेजियट स्कूल से मैट्रिक की परीक्षा पास की. प्रेसिडेंसी कॉलेज, कलकत्ता से इंटर, तथा पटना कॉलेज से ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त की. गणित में ऑनर्स की पढ़ाई करने वाले बिधान चंद्र राय वर्ष 1901 में कलकत्ता मेडिकल कॉलेज में पढ़ने पहुंचे.
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उन्होंने मेडिसिन में स्नातकोत्तर की पढ़ाई इंग्लैंड के सेंट बार्थोलोम्यूज हॉस्पिटल में की. इंग्लैंड से वह 1911 में स्वदेश लौटे. कई मेडिकल कॉलेजों में उन्होंने पढ़ाया. डॉ राय न केवल महात्मा गांधी के दोस्त थे, बल्कि उनके डॉक्टर भी थे. जब गांधीजी 1933 में पुणे में अनशन पर बैठे थे, तब डॉ राय ने उनकी चिकित्सा करनी चाही. गांधीजी ने यह कहकर दवा लेने से मना कर दिया कि वह भारत में नहीं बनी थी.
महात्मा गांधी ने डॉ राय से कहा, ‘मैं आपसे चिकित्सा क्यों कराऊं? क्या आप मेरे 40 करोड़ देशवासियों की मुफ्त में चिकित्सा करते हैं?’ इस पर डॉ राय ने कहा, ‘मैं सभी मरीजों की मुफ्त में चिकित्सा नहीं कर सकता. लेकिन, मैं यहां मोहनदास करमचंद गांधी की चिकित्सा करने नहीं आया हूं, बल्कि उसकी चिकित्सा करने आया हूं, जो मेरे देश के 40 करोड़ लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं.’ इसके बाद गांधीजी ने दवा ले ली.
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डॉ राय वर्ष 1925 में राजनीति में आये. वह बंगाल लेजिस्लेटिव काउंसिल के लिए बैरकपुर क्षेत्र से चुनाव के मैदान में उतरे और सुरेंद्रनाथ बनर्जी को पराजित किया. वर्ष 1928 में उन्हें ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी में चुना गया. वह विवादों से दूर रहते थे.
आजादी के बाद कांग्रेस पार्टी ने डॉ राय का नाम बंगाल के मुख्यमंत्री के तौर पर प्रस्तावित किया. हालांकि, डॉ राय अपने पेशे को छोड़ना नहीं चाहते थे. गांधीजी के सुझाव पर डॉ राय ने मुख्यमंत्री का पद ग्रहण किया. 23 जनवरी 1948 में वह पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री बने.
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Posted By : Mithilesh Jha