करीब सालभर पहले देश में कोरोना वायरस महामारी की दस्तक हुई थी. इन बीते 12 महीनों में अनिश्चितता, त्रासदी और उथल-पुथल से आमजन का सामना होता रहा. लेकिन, देश में विकसित हो रही वैक्सीनें लाखों लोगों की इस उम्मीद को जिंदा रखने में सफल रहीं कि इससे अनेक जिंदगियां बचायी जा सकेंगी. वैक्सीन की मैराथन सफल हुई, जो दुनिया के लिए भी मिसाल बनी.
महामारी ने 1,54,000 जिंदगियां छीन लीं, लेकिन देश अब मुसीबतों से आगे बढ़ चुका है. भारत दुनिया में सबसे तेजी से 40 लाख लोगों का टीकाकरण वाला देश बन चुका है. भारत ने इस मुकाम को मात्र 18 दिनों में हासिल कर लिया, वहीं अमेरिका को 20 दिन और ब्रिटेन तथा इस्राइल को महीनेभर का समय लग गया. हालांकि, अगस्त के अंत तक 30 करोड़ लोगों का टीकाकरण होना है, उस लक्ष्य के मद्देनजर यह गति धीमी है.
केरल में अभी भी संक्रमण फैल रहा है, लेकिन वहां टीकाकरण अपेक्षाकृत बेहतर है. गुजरात, उत्तराखंड और कर्नाटक का भी प्रदर्शन संतोषजनक है. शुरुआत से ही संक्रमण रोकने को लेकर भारत का नजरिया स्पष्ट था. पश्चिमी देशों के स्वास्थ्य मंत्रालयों से इतर भारत की योजना मुख्य रूप से पांच बिंदुओं पर केंद्रित थी- टेस्टिंग, ट्रैकिंग, ट्रेसिंग, टेक्नोलॉजी और ट्रीटिंग. दूसरी ओर, कोविड-19 वैक्सीन पर शोध के साथ-साथ निर्माण, वितरण और सुरक्षा जैसे मानकों पर भी बहुत पहले ही काम शुरू कर दिया गया था.
स्वास्थ्य तंत्र के लचर ढांचे के बावजूद देश में बहुत ही कम समय में 2500 प्रयोगशालाओं की एक शृंखला खड़ी कर दी गयी. रिकॉर्ड कम समय में तैयार भारत की दोनों ही वैक्सीन- कोविशील्ड और कोवैक्सीन, सुरक्षित और बड़ी आबादी पर जांची गयी हैं. स्वास्थ्यकर्मियों और अग्रिम पंक्ति के कर्मियों का टीकाकरण चल रहा है. दूरदराज इलाकों तक वैक्सीन पहुंचाने, कोल्ड चेन की व्यवस्था और कर्मियों को प्रशिक्षित करना निश्चित ही कठिन कार्य है.
अमेरिका और ब्रिटेन में जिन वैक्सीनों को मंजूरी दी गयी है, उसका प्रभाव भले ही अपेक्षाकृत कम हो, लेकिन संबंधित डेटा उपलब्ध है, जिससे लोगों में आत्मविश्वास बन रहा है. भारत में वैक्सीन के प्रति आमजन में जागरूकता की कमी है. अफवाह और राजनीतिक बयानबाजी एक अलग ही समस्या है.
ऐसे में जरूरी है कि वैक्सीन के पारदर्शी डेटा और प्रभाव की जानकारी आमजन तक पहुंचे. वर्तमान में वैक्सीन लेनेवाले लोग आमजन की तुलना में मेडिकली शिक्षित हैं. उनके इस अनुभव को जागरूकता का आधार बनाया जाये. नियत अवधि तक लक्ष्य प्राप्त करने के लिए अधिक प्रयासों की दरकार है.
वित्तमंत्री ने आम बजट 2021-22 में कोरोना वायरस वैक्सीन के लिए 35,000 करोड़ का आवंटन किया है. टीकाकरण अभियान के लिए यह भारत के आशावाद और दृढ़ इच्छाशक्ति को दर्शाता है. अगला लक्ष्य वर्तमान टीकाकरण अभियान को गति देने पर हो, ताकि देश तेजी से आर्थिक गतिविधियों की तरफ लौट सके.
Posted By : Sameer Oraon