World Cancer Day 2021, Jharkhand News, रांची न्यूज : कैंसर के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए विश्व भर में चार फरवरी को ‘विश्व कैंसर दिवस’ मनाया जाता है. हर साल पूरे विश्व में 76 लाख लोग कैंसर की वजह से जान गंवा देते हैं. यदि कैंसर की पहचान हो जाये और इसका इलाज शुरू कर दिया जाये, तो निश्चित ही इस बीमारी को हराया जा सकता है. आज विश्व कैंसर दिवस पर हम राजधानी की ऐसी महिलाओं की कहानी उन्हीं की जुबानी प्रस्तुत कर रहे हैं, जिन्होंने अपने हौसले की बदौलत कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी को मात दी है.
बरियातू की संगीता चंद्रा कैंसर से लड़कर जंग जीत चुकी हैं और अब मैं हूं और मैं रहूंगी भी… का संदेश दे रही हैं. उन्होंने बताया : एक मार्च 2012 में ब्रेस्ट में कुछ एहसास हुआ. उस समय पति दूसरे शहर में नौकरी कर रहे थे. दो छोटे बच्चे थे. समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं. तब नेट पर सर्च किया, लेकिन कुछ समझ नहीं आने पर अपनी आंटी को इस बारे में जानकारी दी. उन्होंने ही डॉ शोभा चक्रवर्ती से दिखवाया. जांच में पता चला की सेकेंड स्टेज पर कैंसर है. 25 मार्च को डॉ अजय कुमार ने ऑपरेशन किया. मेरे लिए कीमोथेरेपी जैसे क्रिटिकल स्टेज का सामना करना काफी कठिन है. लेकिन अगर खुद को मजबूत बनाये रखें, तो हर बीमारी से लड़ सकते हैं. लोगों से यही कहना है कि इस बीमारी से डरें नहीं. सही समय पर इलाज करने पर जीवन फिर से जिया जा सकता है. आत्मविश्वास बनाये रखने की जरूरत है.
लोहरदगा की उमी शलमा गृहिणी हैं. उन्हें पांच साल पहले ओवरी कैंसर होने की जानकारी मिली. इलाज कराया और आज पूरी तरह से स्वस्थ हैं. पति सोहेल अमीन ने बताया कि उमी को पेट में दर्द था. डॉक्टर के पास गये, तो उन्होंने कैंसर की आशंका जतायी. टेस्ट करवाया तो पहले स्टेज कैंसर के बारे में मालूम चला. इलाज करवाने से लेकर पैसे की चिंता सताने लगी थी. किसी तरह गांव की जमीन दो लाख में बंधक रखकर इलाज शुरू कराया. तीन कीमो हुआ. हर कीमो में 15-16 हजार रुपये खर्च हो जाते थे. आगे की इलाज के लिए रिश्तेदारों से आर्थिक मदद ली. एक साल लगातार इलाज चला. इसमें करीब चार से पांच लाख रुपये खर्च हुए. आज इस बात की खुशी है कि पत्नी पूरी तरह से स्वस्थ है. हम लोगों ने सही समय पर कैंसर का इलाज कराया और कैंसर को मात देकर नयी जीवन की शुरुआत की.
गोस्सनर कॉलेज की प्रोफेसर डॉ तंद्रा प्रसाद 2017 में कैंसर की चपेट में आ गयीं. छह महीने तक लगातार इलाज चला. इसके बाद फिर कॉलेज जाने लगीं. यह संभव हुआ उनकी हिम्मत और आत्मविश्वास से. आज डॉ तंद्रा कैंसर से जूझ रहे लोगों को प्रेरित भी करती हैं. उन्होंने बताया : जैसे ही पता चला कि मुझे कैंसर है, पूरा परिवार परेशान था लेकिन मैं घबरायी नहीं. लेकिन, मैंने कैंसर से लड़ाई लड़ी. छह महीने तक इलाज चला और स्वस्थ हुई. मेरा मानना है कि किसी भी बीमारी का डटकर सामना करें. हताश न हाें. उससे लड़कर जीतने की कोशिश करें. कैंसर से फाइट करना पड़ता है, जो मैंने भी किया. आज कई कैंसर पीड़ितों को मोटिवेट करती हूं. मुझे हमेशा परिवार का साथ मिला.
Posted By : Guru Swarup Mishra