कोलकाता : पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 से पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और बंगाल के मतुआ समुदाय के लोगों को झटका लगा है. बंगाल चुनाव से पहले संशोधित नागरिकता कानून (CAA) लागू नहीं हो पायेगा. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा है कि लोकसभा एवं राज्यसभा की कमेटी ने इसको लागू करने की समयसीमा बढ़ा दी है.
गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में कांग्रेस के सांसद वीके श्रीकंदन के एक प्रश्न के लिखित जवाब में यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि कानून को लागू करने की समयसीमा 9 अप्रैल से बढ़ाकर 9 जुलाई कर दी गयी है. श्री शाह ने बताया कि जनवरी, 2020 में संशोधित नागरिकता कानून संसद से पास हुआ था. अब उससे जुड़े कानून तैयार हो रहे हैं.
श्री राय ने बताया कि संशोधित नागरिकता कानून 2019 के कानून तैयार हो रहे हैं. लोकसभा एवं राज्यसभा में विधि मामलों की समिति ने कानून तैयार करने की समयसीमा 9 अप्रैल से बढ़ाकर 9 जुलाई करने की जानकारी दी है. उधर, सूत्रों ने खबर दी है कि राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) लागू होगा या नहीं, यदि लागू होगा, तो कब से लागू होगा, इसके बारे में भी अंतिम फैसला नहीं हुआ है.
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संशोधित नागरिकता कानून में भारत के पड़ोसी देशों बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से पलायन कर भारत में शरण लेने वाले हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाईयों को भारत की नागरिकता दी जायेगी. नागरिकता उन लोगों को मिलेगी, जो 31 दिसंबर 2014 तक बांग्लादेश, पाकिस्तान एवं अफगानिस्तान में प्रताड़ना से तंग आकर हिंदुस्तान चले आये.
केंद्र सरकार ऐसे लोगों को शरणार्थी मानेगी और उन्हें भारत की नागरिकता दी जायेगी. इस कानून के संसद के दोनों सदनों से पारित होने के बाद पूरे देश में इस कानून के खिलाफ प्रदर्शन शुरू हो गा था. फरवरी के अंत में कोरोना की दस्तक की वजह से सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों का दौर थम गया. सरकार ने बार-बार कहा कि सीएए लागू होगा, लेकिन अब तक इसे लागू नहीं किया जा सका है.
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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के लिए मुश्किल यह है कि अब वह बंगाल के उत्तर 24 परगना में बसने वाले मतुआ समुदाय के लोगों को क्या जवाब देंगे. श्री शाह ने बार-बार इस समुदाय के लोगों को आश्वस्त किया था कि इस कानून को बंगाल में लागू किया जायेगा और बांग्लादेश से आये अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता दी जायेगी.
सीएए को लागू करने में देरी की वजह से मतुआ समुदाय के बनगांव से भाजपा सांसद शांतनु ठाकुर पिछले दिनों नाराज हो गये थे. तृणमूल ने उन पर डोरे डालने भी शुरू कर दिये थे. हालांकि बाद में भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व की पहल के बाद शांतनु शांत हुए और स्पष्ट किया कि जिन दलों ने सीएए का विरोध किया है, उस पार्टी में वह कभी नहीं जायेंगे. पहले तृणमूल यह कहे कि वह सीएए लागू करायेगी, तब वह उसके साथ जाने के बारे में सोचेंगे.
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सीएए के लागू नहीं होने से भारतीय जनता पार्टी के वोट बैंक पर असर पड़ सकता है. मतुआ समुदाय को भाजपा ने आश्वस्त किया था कि इस कानून को हर हाल में लागू किया जायेगा और उन्हें भारत की नागरिकता दी जायेगी. अब जबकि स्पष्ट हो गया है कि बंगाल चुनाव से पहले यह कानून अमल में नहीं आयेगा, तो भाजपा की चिंता बढ़नी लाजिमी है.
Posted By : Mithilesh Jha