अनुज शर्मा,पटना. सरकार की सभी कोशिशों के कारण सहकारिता विभाग इस बार धान खरीद के लक्ष्य के करीब पहुंच रहा है. इस मिथक को तोड़ दिया है कि धान की सरकारी खरीद का आंकड़ा 20 लाख मीटरिक टन को पार नहीं कर पाता है.
राज्य सरकार एक फरवरी तक करीब 24 लाख एमटी धान की न केवल खरीद कर चुकी है बल्कि 80 फीसदी के करीब किसानों को उनकी उपज का भुगतान भी कर दिया है.
बिहार में कुछ वर्षों से सरकार धान की सरकारी खरीद का लक्ष्य 30 लाख एमटी तय करती आ रही थी. वास्तविक खरीद 20 लाख एमटी से अधिक नहीं हो पा रही थी. 2015 में धान पर एमएसपी के साथ बोनस भी था तब भी बीस लाख एमटी से कुछ अधिक ही खरीद हो पायी थी.
2016-17 में यह आंकड़ा 12 लाख एमटी तक पहुंच गया था़ हालांकि बाद में यह बढ़ा और 20 लाख टन के करीब खरीद होने लगी़ इस बार सरकार ने 40 लाख एमटी धान (30 लाख एमटी चावल) धान की खरीद का लक्ष्य निर्धारित किया.
विपक्ष पुराने रिकार्ड को देखते हुए सरकार के निर्णय पर सवाल उठा रहा था़ सहकारिता विभाग एक फरवरी तक 23 लाख 97 हजार 151.08 मीटरिक टन धान खरीद कर चुका है. इस धान से 16 लाख 06 हजार 091.3 मीटरिक टन चावल तैयार होगा. इसमें 578755.50 मीटरिक टन चावल स्टेट फूड कॉरपोरेशन (एसएफआर) में जमा हो गया है.
जमा सीएमआर (चावल) के कुल मूल्य का 71.48 फीसदी भुगतान भुगतान किया जा चुका है. यह धनराशि 115297.64 लाख रुपये है.
इस बार किसानों ने भी धान बेचने में खूब रुचि दिखायी है. बीते सालों तक लाभ लेने वाले किसानों की संख्या सवा दो लाख के करीब थी. तीन लाख 24 हजार 132 किसान धान बेच चुके हैं. इसमें 256517 को भुगतान हो चुका है. पिछले साल के 1815 रुपये क्विंटल के मुकाबले इस बार साधारण धान की कीमत 1868 रुपये क्विंटल तय की गई है.
कृषि, सहकारिता एवं गन्ना उद्योग मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह का कहना है कि धान की खरीद प्राथमिकता में है़ अधिक से अधिक किसानों तक लाभ पहुंचे़ वे बिना परेशानी के सरकारी रेट पर धान बेच सकें इसके लिये कई महत्वपूर्ण कदम उठाये गये. पिछले सालों से तुलना की जाये तो इस बार धान खरीद प्रक्रिया में अनुकरणीय मानक स्थापित किये गये हैं.
Posted by Ashish Jha