आनंद तिवारी, पटना . पीएमसीएच अस्पताल में प्रबंधन की बड़ी लापरवाही देखने को मिल रही है. यहां चतुर्थ श्रेणी कर्मी से हड्डी के मरीजों का इलाज करावा कर उनकी जिंदगियों से खिलवाड़ किया जा रहा है.
दरअसल यह मामला पीएमसीएच के इमरजेंसी वार्ड स्थित हड्डी व जोड़ आकस्मिक के कमरा नंबर 105 से सटे प्लास्टर रूम का है.
चतुर्थ श्रेणी का कर्मी डॉक्टरों का काम करता दिखा. यह स्वीपर इमरजेंसी में आये मरीजों की हड्डी जोड़ने के लिए प्लास्टर चढ़ाता है. कभी-कभी चोट पर मरहम पट्टी भी कर देता है.
जिस कमरे में कर्मी प्लास्टर चढ़ाता है, उसके ठीक बगल में कमरा नंबर 105 है. इसमें हड्डी विभाग के डॉक्टरों की ड्यूटी लगती है. डॉक्टर मरीज को देख प्लास्टर चढ़ाने के लिए बगल के कमरे में भेजते हैं.
यहां पहले से मौजूद चतुर्थ श्रेणी कर्मी परिजनों को बुलाता है और उनकी मौजूदगी में टूटी हड्डी को जोड़ देता है. नियमानुसार डॉक्टर को ही टूटी हड्डियों को जोड़ने के लिए इलाज के साथ-साथ प्लास्टर करना है.
मरीज के परिजनों का कहना है कि इमरजेंसी के अलावा ऑपरेशन थियरेटर में भी एक्सर्ट ड्रेसर नहीं है. ऐसे में यदि किसी घटना-दुर्घटना में आपके हाथ-पांव टूट गये हों और उसके बेहतर उपचार का भरोसा लेकर कोई मरीज पीएमसीएच अस्पताल पहुंचते हैं तो यहां ऑपरेशन थियेटर में जाने के बाद कोई हड्डी रोग का एक्सपर्ट ड्रेसर नहीं बल्कि अस्पताल का स्वीपर आपकी टूटी हड्डी का प्लास्टर करेगा.
वहीं, परिजनों का कहना है कि प्लास्टर टेबल पर मरीज को पकड़ने के लिए भी कोई वार्ड ब्यॉय या नर्स आदि कर्मी नहीं रहते हैं. परिजन मरीज को खुद अपने कंधे या गोद में लेकर जाते हैं और कर्मी प्लास्टर चढ़ा देता है.
पीएमसीएच के तत्कालीन अधीक्षक डॉ विमल कारक ने कहा कि चतुर्थ श्रेणी कर्मी एक्सरे देख कर प्लास्टर व इलाज कर रहा है, तो यह गलत है. हालांकि इस मामले की जानकारी मुझे नहीं है.
Posted by Ashish Jha