प्रहलाद कुमार, पटना. राज्य के पर्यटन स्थलों पर भिखारियों की भीड़ नहीं होगी. समाज कल्याण विभाग ने पर्यटन स्थलों को भिक्षावृत्ति से मुक्त कराने का निर्णय लिया है.
पहले फेज में नालंदा, बोधगया, राजगीर के पर्यटन स्थलों को भिक्षावृति से मुक्त कराया जायेगा. मार्च तक यहां के सभी भिखारियों का निबंधन करने के बाद उन्हें आधार से जोड़ा जायेगा.
भिक्षावृति में लगे लोगों को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए मुख्यमंत्री भिक्षावृति निवारण योजना के तहत सहायता की जायेगी.
इस योजना से जुड़े लोगों की सतत निगरानी भी की जायेगी. जो भिखारी भिक्षावृति निवारण योजना से जुड़ेंगे, उन पर नजर रखने को निगरानी टीम होगी. इसमें खुद उसी क्षेत्र के भिखारी होंगे.
उन्हें यह देखना है कि योजना का लाभ लेने के बाद वह व्यक्ति क्या कर रहा है. दोबारा से भिक्षावृति में तो संलिप्त नहीं हो गया है. वहीं, जिनको कौशल विकास के तहत प्रशिक्षण भी दिया जायेगा…
विभाग ने निर्णय लिया है कि अभी जिन भिखारियों ने भिक्षावृति को छोड़कर रोजगार कर रहे हैं, उन्हें इन पर्यटन स्थलों पर रहने वाले भिखारियों को जागरूक करने की जिम्मेदारी दी जायेगी. सभी पर्यटन स्थल पर दो-दो भिखारियों का एक समूह बनाया जायेगा, जो भिखारियों को स्वरोजगार से जुड़ने के लिए प्राेत्साहित करेंगे.
विभाग के अधीन ‘सक्षम’ कार्यालय भिक्षावृति निवारण एवं पुनर्वास अभियान के तहत भिखारियों को अधिकतम 10-10 हजार देती है.
भिखारियों में किसी को 7500,तो अन्य को पांच हजार तक की सहायता की जा रही है, ताकि भिखारी स्वरोजगार से जुड़ सकें. इन राशि से भिखारी ठेला खींच कर,ठेले पर सब्जी या कुछ अन्य सामग्री बेचने का काम कर शुरू कर सकते हैं.
भिक्षावृति निवारण के लिए केंद्र सरकार ने देश के 10 शहरों को चुना है, जिसमें पटना के अलावा दिल्ली, मुंबई, चेन्नई,कोलकाता, लखनऊ, इंदौर, नागपुर, हैदराबाद और बेंगलुरु शामिल हैं. जिन्हें मार्च तक भिक्षावृति मुक्त कराने है. इसको लेकर राज्य सरकार की ओर से इन शहरों में व्यापक अभियान चलाया जा रहा है.
Posted by Ashish Jha