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Republic Day 2021 : सरायकेला की छुटनी को पद्मश्री और लोहरदगा के शहीद बनुआ उरांव को राष्ट्रपति वीरता पदक, जानें इसके पीछे के कहानी

सरायकेला की छुटनी को पद्मश्री और लोहरदगा के शहीद बनुआ उरांव को राष्ट्रपति वीरता पदक

jharkhand presidential gallantry medal award winner, padmashree award on 26 january 2021 from jharkhand रांची : झारखंड के लिए सोमवार का दिन गौरव भरा रहा. गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पद्म पुरस्कारों और राष्ट्रपति पदक की घोषणा की गयी. झारखंड में डायन प्रथा के खिलाफ आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभानेवाली सरायकेला-खरसावां निवासी छुटनी महतो को ‘पद्मश्री’ पुरस्कार दिया जायेगा. वहीं, नक्सलियों के साथ हुई मुठभेड़ में अपने साथियों की जान बचाते हुए शहीद होनेवाले लोहरदगा निवासी एएसआइ बनुआ उरांव को मरणोपरांत ‘राष्ट्रपति वीरता पदक’ पुरस्कार देने की घोषणा की गयी.

इसके अलावा झारखंड कैडर के तीन आइपीएस समेत 13 पुलिसकर्मियों को राष्ट्रपति पदक से सम्मानित किया जायेगा. झारखंड से पद्मश्री पानेवाली 60 वर्षीय छुटनी महतो सरायकेला-खरसावां के गम्हरिया से सटे बिरबांस की रहनेवाली हैं. वह डायन प्रथा के खिलाफ अभियान चलानेवाली संस्था ‘फ्री लीगल एड कमेटी’ की सक्रिय सदस्य हैं. उनके बुरे वक्त में साथ देनेवाले प्रेमचंद कहते हैं कि छुटनी को यह सम्मान मिलने से मुझे बहुत खुशी है. उन्होंने कहा कि 30 साल की उम्र में छुटनी को उसके ससुराल महतांडीह में डायन कह मैला पिलाया गया था. इस घटना के बाद वह अपने मायके बिरबांस में आकर रहने लगी थी. इसी दौरान वह कमेटी के संपर्क में आयी.

उनसे लड़ाई, जो महिलाओं का सम्मान नहीं करते

डायन के नाम पर मैंने गहरा जख्म झेला है. चार बच्चों को लेकर घर छोड़ना पड़ा. यदि मैं डायन होती, तो उन अत्याचारियों को खत्म कर देती, पर ऐसा कुछ होता नहीं है. ओझा के कहने पर ग्रामीणों ने ऐसा जुल्म किया, जिसकी कल्पना सभ्य समाज नहीं कर सकता है. प्रशासन भी ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करते हैं. मैं उस असभ्य समाज से लोहा ले रही हूं, जहां नारी को सम्मान नहीं मिलता. मरते दम तक मेरा संघर्ष जारी रहेगा. 1995 में मेरे लिए कोई खड़ा नहीं हुआ. लोग मुझसे जलते थे कि मैं क्यों अच्छे कपड़े पहनती हूं.

बनुआ ने जान देकर साथियों को बचाया था

06-07 जून 2018. सरायकेला के कुचाई थाना क्षेत्र के कसरौली जमरो में सिकरम्बा पहाड़ी में नक्सलियों के जुटने की सूचना थी. एएसपी प्रियरंजन के नेतृत्व में पुलिस टीम उस ओर रवाना हो गयी. टीम कसरौली व कररा के बीच स्थित पहाड़ी की ओर बढ़ ही रही थी, तभी नक्सलियों ने हमला कर दिया था. टीम के आगे-आगे चल रहे एएसआइ बनुआ बिना समय गंवाये नक्सलियों की ओर फायरिंग करते हुए आगे तेजी से बढ़ गये. इसी दौरान उन्हें पेट में गोली लगी. घायल होते हुए भी गोली चलायी और साथी पुलिसकर्मियों को सुरक्षित बचा लिया.

एक को राष्ट्रपति वीरता पदक

शहीद बनुआ उरांव, एएसआइ (मरणोपरांत)

दो को वीरता पुलिस पदक

प्रकाश रजक, एसआइ

कुणाल, एएसपी अभियान

दो को विशिष्ट सेवा पदक

मुरारी लाल मीणा, एडीजी, विशेष शाखा

संपत मीणा, ज्वाइंट डायरेक्टर, प्रतिनियुक्त, सीबीआइ, दिल्ली

आठ को सराहनीय सेवा पदक

साकेत कुमार सिंह, आइजी अभियान सह प्रवक्ता, झारखंड

कैलाश प्रसाद, हवलदार, आइआरबी-5 गुमला

सत्येंद्रनाथ, ड्राइवर हवलदार, एसटीएफ, रांची

रामजन्म प्रसाद, कांस्टेबल-92, जेएपीटीसी, पदमा, हजारीबाग

तिल प्रसाद जैसी, हवलदार-322, जैप-1, रांची

मनोज कुमार दास, एएसआइ, बोकारो

सुनील कुमार राय, एएसआइ, लातेहार

नंदजी यादव, हवलदार, एसटीएफ

Posted By : Sameer Oraon

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