15.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

4 साल की उम्र से परेड में हिस्सा ले रहा है यह घोड़ा, जानें क्यो हो रही चर्चा

भारत के 72वें गणतंत्र दिवस की परेड में 18वीं बार नजर आएगा 61 ‘घुड़सवार रेजिमेंट' का खास घोड़ा ‘रियो', जो चार साल की उम्र से परेड में हिस्सा ले रहा है . कैप्टन दीपांशु श्योराण ने बताया कि भारत में जन्मे हनोवरियन नस्ल के इस घोड़े की उम्र 22 साल है और वह चार साल की उम्र से परेड में हिस्सा ले रहा है.

भारत के 72वें गणतंत्र दिवस की परेड में 18वीं बार नजर आएगा 61 ‘घुड़सवार रेजिमेंट’ का खास घोड़ा ‘रियो’, जो चार साल की उम्र से परेड में हिस्सा ले रहा है . कैप्टन दीपांशु श्योराण ने बताया कि भारत में जन्मे हनोवरियन नस्ल के इस घोड़े की उम्र 22 साल है और वह चार साल की उम्र से परेड में हिस्सा ले रहा है.

इस साल, तीसरी बार वह दुनिया के एकमात्र सेवारत घुड़सवार रेजिमेंट के दल का नेतृत्व करेगा. दीपांशु श्योराण ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘ रियो बेहद खास घोड़ा है. वह कमांडर की बात समझता हैं. यह बेहद गर्व की बात है कि इस गणतंत्र दिवस पर वह 18वीं बार राजपाथ पर 61 ‘घुड़सवार रेजिमेंट’ के एक सदस्य के तौर पर नजर आएगा और 15वीं बार उसपर दल के कमांडर सवार होंगे.”

Also Read: Republic Day Parade 2021: कोरोना संकट में गणतंत्र दिवस परेड, गाइडलाइंस के बीच शौर्य का पराक्रम, इन चीजों को करेंगे मिस

वर्ष 1953 में स्थापित की गई जयपुर स्थित ‘61 घुड़सवार रेजिमेंट’ स्थापना के बाद से ही गणतंत्र दिवस परेड में आकर्षण का केन्द्र बनी रही है. मैसूर लांसर्स, जोधपुर लांसर्स और ग्वालियर लांसर्स सहित छह पूर्ववर्ती शाही सेनाओं की इकाइयों को मिलाकर इसकी स्थापना की गई थी. 1918 में रेजिमेंट के पूर्वजों ने ब्रिटिश सशस्त्र बलों के साथ इज़राइल में हैफा की महत्वपूर्ण लड़ाई लड़ी थी.

उत्तराखंड के काशीपुर के निवासी श्योराण (27) ने कहा कि आधिकारिक वर्दी में राजपथ पर घुड़़सवारी करना अपने आप में एक शानदार और सुखद अनुभव है और फिर ‘रियो’ पर सवार होना इसे अधिक खास बना देता है. युवा अधिकारी ने कहा, ‘‘ रियो आधिकारिक समारोह के लिए प्रशिक्षित है और हम उसका विशेष ध्यान रखते हैं. वह हमारी बात सुनता है और उसका पूरी तरह पालन करता है.”

Also Read: गणतंत्र दिवस के मौके पर बंद रहेंगे यह मेट्रो स्टेशन, जानें सुरक्षा के मद्देनजर किये गये जरूरी बदलाव

अपने परिवार से सशस्त्र बलों में चौथी पीढ़ी के सदस्य श्योराण, सेना में रेजिमेंट की खास स्थान की सराहना करते हैं, जिसे वह देश की सेना के ‘‘अतीत और वर्तमान के बीच की कड़ी” भी मानते हैं. कोविड-19 के मद्देजनर तैयारी करने में परेशानी का सामना करने के सवाल पर उन्होंने कहा, ‘‘ हां, यकीनन यह बेहद चुनौतीपूर्ण था. इस वजह से घोड़ों की संख्या भी कम करके 43 कर दी गई है.” श्योराण 2018 और फिर 2020 में भी सैन्य दल की अगुवाई कर चुके हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें