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Cattle Smuggling News : झारखंड में गौवंशीय पशुओं व ऊंटों की अवैध तस्करी जोरों पर, ऐसे थम सकती है तस्करी

Cattle Smuggling News, Jharkhand News, पाकुड़ न्यूज (रमेश भगत) : झारखंड में पशुओं के खिलाफ क्रूरता एक बड़ी समस्या बनती जा रही है. खासकर सीमावर्ती इलाकों में पशु तस्करी प्रशासन के लिए भी चुनौती बन गई है. बांग्लादेश व पश्चिम बंगाल से सटा राज्य होने के कारण झारखंड के रास्ते गौवंशीय पशुओं व ऊंटों की अवैध तस्करी जोरों पर हो रही है. पशुओं के प्रति क्रूरता को रोकने के लिए झारखंड राज्य जीव जंतु कल्याण बोर्ड का गठन किया गया है, लेकिन यह बोर्ड सक्रिय नहीं है. इस कारण जिला स्तरीय पशु क्रूरता निवारण समिति भी निष्क्रिय है. इसका सीधा फायदा पशु तस्कर उठाते दिख रहे हैं.

Cattle Smuggling News, Jharkhand News, पाकुड़ न्यूज (रमेश भगत) : झारखंड में पशुओं के खिलाफ क्रूरता एक बड़ी समस्या बनती जा रही है. खासकर सीमावर्ती इलाकों में पशु तस्करी प्रशासन के लिए भी चुनौती बन गई है. बांग्लादेश व पश्चिम बंगाल से सटा राज्य होने के कारण झारखंड के रास्ते गौवंशीय पशुओं व ऊंटों की अवैध तस्करी जोरों पर हो रही है. पशुओं के प्रति क्रूरता को रोकने के लिए झारखंड राज्य जीव जंतु कल्याण बोर्ड का गठन किया गया है, लेकिन यह बोर्ड सक्रिय नहीं है. इस कारण जिला स्तरीय पशु क्रूरता निवारण समिति भी निष्क्रिय है. इसका सीधा फायदा पशु तस्कर उठाते दिख रहे हैं.

जिला स्तरीय पशु क्रूरता निवारण समिति(एसपीसीए) में कुल 11 सदस्य होते हैं. जिसमें उपायुक्त अध्यक्ष, पुलिस अधीक्षक उपाध्यक्ष, जिला पशुपालन पदाधिकारी सदस्य सचिव होते हैं. वहीं डीएफओ, डीटीओ, जिला पशु शल्य चिकित्सा पदाधिकारी, नगर परिषद पदाधिकारी, पशु कल्याण से जुड़ी संस्था के दो सदस्य, गौशाला के सचिव और एक मनोनित सदस्य होते हैं.

जिला पशु क्रूरता निवारण समिति को हर तीन महीने में बैठक कर जिले में किये गये कार्यों की जांच एवं समीक्षा करना है. वहीं तिमाही बैठक के बाद इसकी रिपोर्ट राज्य जीव जंतु कल्याण बोर्ड को सौंपना है, लेकिन इस तरह की कोई बैठक जिलों में नहीं होती है, जबकि तिमाही बैठक को लेकर राज्य सरकार के द्वारा अधिसूचना भी जारी की गई है. बावजूद इसके जिले में जिला पशु क्रूरता निवारण समिति की बैठक नहीं होती है. राज्य के सभी जिलों में जिला पशु क्रूरता निवारण समिति निष्क्रिय है

पाकुड़ जिले में 12 जनवरी को वन क्षेत्र पदाधिकारी अनिल सिंह ने एक ट्रक में अमानवीय तरीके से रखे गये 14 ऊंटों को जब्त किया है. जिसमें से दो ऊंट की मौत ट्रक में ही हो गई थी. वहीं दो ऊंट की मौत इलाज के दौरान हो गई. बाकी बचे ऊंटों का इलाज किया जा रहा है. इन ऊंटों को राजस्थान से मालदा ले जाया जा रहा था. ऊंटों को लेकर स्पष्ट दिशा निर्देश है कि ऊंटों को राजस्थान से बाहर नहीं ले जाया जा सकता है. राजस्थान में ऊंट राजकीय पशु है. बावजूद इसके ऊंटों को राजस्थान से हरियाणा लाया गया. हरियाणा के कनाना में ऊंटों को एक 12 चक्का ट्रक(संख्या आरजे 14 जीजे 7531) में लोड किया गया. ऊंटों के मुंह में कपड़ा डाल दिया गया था. ट्रक में पहले 8 ऊंटों को बैठाया गया. जिसके बाद 6 ऊंटों को बैठे हुए ऊंटों के ऊपर बैठा दिया गया. इन ऊंटों को हरियाणा से दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार होते हुए झारखंड में प्रवेश किया गया. फिर झारखंड से ऊंटों को पश्चिम बंगाल के मालदा ले जाया जाना था. लेकिन ऊंटों को पाकुड़ में वन क्षेत्र पदाधिकारी अनिल सिंह ने पकड़ लिया.

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ऊंटों के राजस्थान से हरियाणा लाने और फिर उसे ट्रक में लाद कर पश्चिम बंगाल ले जाने के मामलें से ही समझा जा सकता है कि राज्यों में पशुओं की तस्करी को रोकने के लिए संबंधित पदाधिकारियों में कितनी संवेदनशीलता है. वहीं यह मामला केंद्र व राज्य सरकार के नियमों का भी घोर उल्लंघन है. पाकुड़ जिला पशुपालन कार्यालय में जिला पशु क्रूरता निवारण समिति को लेकर किसी तरह की गाइडलाइन नहीं है. जिला पशुपालन पदाधिकारी कमलेश्वर कुमार भारती ने बताया कि जिला पशु क्रूरता निवारण समिति को लेकर कार्यालय में दिशा निर्देश नहीं है. इसकी मांग राज्य से की गई है.

हर साल पशुओं के कल्याण को लेकर केंद्र सरकार के द्वारा सभी राज्यों को 14 से 30 जनवरी तक पशु कल्याण पखवाड़ा मनाने व बंसत पंचमी के दिन जीव जंतु कल्याण दिवस मनाने का निर्देश दिया जाता है, लेकिन राज्य जीव जंतु कल्याण बोर्ड व जिला पशु क्रूरता निवारण समिति के सक्रिय नहीं रहने के कारण जिलों में पशु कल्याण पखवाड़ा अमूमन नहीं मनाया जाता है.

राज्य जीव जंतु कल्याण बोर्ड की निदेशक नैंसी सहाय ने बताया कि राज्य में जीव जंतु कल्याण बोर्ड सक्रिय नहीं है. राज्य में तीन साल पहले जीव जंतु कल्याण बोर्ड की बैठक हुई थी. बोर्ड का फिर से गठन करने की जरुरत है. राज्य स्तरीय बोर्ड का गठन होने के बाद जिला स्तरीय पशु क्रूरता निवारण समिति का गठन किया जाएगा. जिसके बाद पशुओं के कल्याण के लिए वृहद पैमाने पर कार्य किया जाएगा.

गैर सरकारी संस्था पीपुल फॉर एनिमल के एनिमल वेल्फेयर ऑफिसर राणा घोष ने बताया कि राज्य सरकार की सक्रियता से पशु के खिलाफ ना सिर्फ क्रूरता में कमी आयेगी बल्कि इसे पूरी तरह समाप्त किया जा सकता है. राज्य में जीव जंतु कल्याण बोर्ड है, वहीं सभी जिलों में जिला पशु क्रूरता निवारण समिति है. जिसका गठन तो हो गया है लेकिन वे सक्रिय नहीं है. जिला समिति में जिले के सभी वरीय पदाधिकारी मौजूद है. ऐसे में इनके सक्रिय होने से पुरे राज्य में पशु तस्करी व उनके खिलाफ होने वाली क्रूरता पूरी तरह से रुक सकती है.

Posted By : Guru Swarup Mishra

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