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पंचायत चुनाव से पहले बिहार में सोशल मीडिया क्यों बना है मुद्दा, जानें क्यों गरमायी है सूबे की राजनीति!

बिहार में सोशल मीडिया पर सरकार का विरोध करना अब महंगा पड़ेगा. सांसद, विधायक, मंत्री सहित अब सरकारी कामों के बारे में भ्रामक व आपत्तिजनक टिप्पणी करने वालों पर अब आईटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया जाएगा. आर्थिक अपराध इकाई ने राज्य सरकार के सभी विभागों को इस मामले में पत्र लिखा है. जिसके बाद अब विपक्ष इसपर हमलावर हो गया है. वहीं एनडीए के तरफ से भी पलटवार जारी है. वहीं जल्द ही प्रदेश की गांवों में सरकार का चुनाव होना है. हाल में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में सोशल मीडिया एक मजबूत प्लेटफार्म बनकर उभरा. जिसने राजनीतिक दलों को काफी परेशान भी किया है. वहीं अब पंचायत चुनाव से पहले अब फिर सोशल मीडिया को लेकर सियासी उठापटक शुरू हो गई है.

बिहार में सोशल मीडिया पर सरकार का विरोध करना अब महंगा पड़ेगा. सांसद, विधायक, मंत्री सहित अब सरकारी कामों के बारे में भ्रामक व आपत्तिजनक टिप्पणी करने वालों पर अब आईटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया जाएगा. आर्थिक अपराध इकाई ने राज्य सरकार के सभी विभागों को इस मामले में पत्र लिखा है. जिसके बाद अब विपक्ष इसपर हमलावर हो गया है. वहीं एनडीए के तरफ से भी पलटवार जारी है. वहीं जल्द ही प्रदेश की गांवों में सरकार का चुनाव होना है. हाल में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में सोशल मीडिया एक मजबूत प्लेटफार्म बनकर उभरा. जिसने राजनीतिक दलों को काफी परेशान भी किया है. वहीं अब पंचायत चुनाव से पहले अब फिर सोशल मीडिया को लेकर सियासी उठापटक शुरू हो गई है.

बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान सोशल मीडिया की काफी बड़ी भूमिका रही. बिहार की जनता ने अपने जनप्रतिनिधियों से नाराजगी व क्षेत्र की व्यवस्थाओं को सोशल मीडिया पर सबके सामने जमकर रखा. वहीं सोशल मीडिया प्रचार का भी एक बड़ा माध्यम बना. अब बिहार में पंचायत चुनाव सामने है. सभी दलों की नजरें अब पंचायत में होने वाले चुनाव पर है. स्थानीय मुद्दे भी इसमें बड़े विषय होंगे. इस समय जब सोशल मीडिया नेता से लेकर जनता तक के अंगूठे पर आ चुका हो, तो इसकी ताकत का अंदाजा लगाना मुश्किल भी नहीं. हालांकि धड़ल्ले से हो रहे इसके दुरुपयोग से भी इंकार नहीं किया जा सकता. जिसपर अब लगाम लगाने की तैयारी भी की जा रही है.

वहीं सोशल मीडिया पर सांसद, विधायक, मंत्रियों पर किए जाने वाले आपत्तिजनक पोस्टों पर लगाम लगाने व अधिकारियों के खिलाफ लिखे जाने को गंभीरता से लेते हुए आर्थिक अपराध इकाई ने ऐसे लोगों पर मुकदमा दर्ज कराने का निर्देश दिया है. सोशल मीडिया पर लगाए जा रहे इस लगाम को विपक्ष ने मुद्दा बना लिया. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने सरेआम सीएम को चुनौती दे दी कि वो लिखते रहेंगे, उन्हें गिरफ्तार करके देखा जाए. वहीं हम पार्टी के मुखिया जीतन राम मांझी ने पलटवार करते हुए कहा कि सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट कर दंगे फैलाने की कोशिश होती है. विपक्ष उन्हें बचाने में क्यों लगी है. उन्होंने आशंका जता दी की सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट करके विपक्ष ही कहीं दंगा तो नहीं फैला रही.

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वहीं अब जदयू नेता अजय आलोक नेता प्रतिपक्ष पर हमलावर हैं और ट्वीट के जरिये एक के बाद एक तीखा हमला किया है. उन्होंने गिरफ्तार करने के चैलेंज पर तेजस्वी यादव को ये तक कह दिया कि सरकार को चुनौती नहीं देते, सॉंड को लाल कपड़ा नहीं दिखाते, अपना ही नुकसान होता है. उन्होंने लिखा कि सोशल मीडिया पे कायरों की तरह माँ बहन की गाली, रेप करने क़त्ल करने की धमकी को अब बर्दाश्त नहीं करेंगे .जो उखारना हैं उखाड़ लो. अब अश्लीलता करोगे तो नपोगे.

सोशल मीडिया पर छिड़ी यह जंग किस मोड़ तक जाएगी यह तो भविष्य के गर्त में है. पर एक बात स्पस्ट दिख रही है कि सत्ता दल और विपक्ष दोनों इस मुद्दे पर अपने-अपने दलीलों के साथ मजबूती से खड़ी है और यह मुद्दा सियासी रंग में घुलता ही जाएगा.

Posted By :Thakur Shaktilochan

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