नयी दिल्ली : अमेरिका के राष्ट्रपति आज डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल का आखिरी दिन है. नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन 20 जनवरी को शपथ लेंगे. अपने कार्यकाल के दौरान डोनाल्ड ट्रंप ने कई फैसले लिये. इनमें कई विवादित भी रहे. आइए जानें डोनाल्ड ट्रंप के 10 बड़े फैसले…
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सत्ता संभालने के बाद एक सप्ताह के अंदर पांच बड़े फैसले लिये थे. इनमें सबसे विवादित फैसला सात मुसलिम देशों से आनेवाले मुसलमान शरणार्थियों की अमेरिका में एंट्री पर बैन था. उन्होंने सीरिया, सूडान, सोमालिया, इरान, इराक, लीबिया और यमन के शरणार्थियों के अमेरिका आने पर रोक लगा दी थी. हालांकि, अमेरिकी अदालतों ने फैसले पर रोक लगा दी.
पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा नियुक्त किये गये राजदूतों को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शपथ लेने के बाद बुलाने का फैसला किया था. उन्होंने आदेश जारी करते हुए कहा था कि सभी राजदूत अमेरिकी समय के अनुसार 20 जनवरी तक अपना कार्यालय छोड़ दें. ट्रंप कार्यकाल के दौरान ऐसा भी वक्त आया, जब चीन, जर्मनी, कनाडा, जापान, सऊदी अरब जैसे देशों में राजदूत के पद कई दिनों तक रिक्त रहे.
डोनाल्ड ट्रंप ने चुनावी वादे को पूरा करने के लिए अमेरिका-मैक्सिको सीमा पर दीवार बनाने के लिए दस्तावेज पर हस्ताक्षर किये. साथ ही प्रोजेक्ट को जल्द से जल्द शुरू करने का भी आदेश दे दिया. एक लाख करोड़ से भी ज्यादा का खर्च आनेवाले इस दीवार की लागत का पैसा भी ट्रंप ने मैक्सिको से वसूलने की बात कही. घुसपैठ और ड्रग माफिया पर लगाम लगाने के लिए बन रही दीवार के लिए 15 करोड़ डॉलर भी जारी किये गये थे.
डोनाल्ड ट्रंप पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौते से अलग करने का ऐलान कर चर्चा में आ गये थे. ट्रंप ने कहा था कि पेरिस समझौता भारत और चीन जैसे देशों के लिए फायदेफंद है. इस समझौते से अमेरिका को घाटा होगा, इसलिए वह इस समझौते से अलग रहेगा. हालांकि, ट्रंप के फैसले की काफी आलोचना भी हुई थी. पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने फैसले को ‘खुदकुशी’ करार दिया था.
राष्ट्रपति ट्रंप ने पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा किये गये एक व्यापार समझौते ‘ट्रांस पैसिफिक पार्टनरशिप’ (टीपीपी) से अलग होने के दस्तावेज पर हस्ताक्षर कर विवाद में आ गये थे. इस समझौते का उद्देश्य एशियाई प्रक्षेत्र में चीन के दबदबे को कम करना था. साथ ही 12 एशियाई देशों के साथ फ्री ट्रेड को बढ़ावा देना था.
डोनाल्ड ट्रंप ने इजराइल की राजधानी के तौर पर येरुशलम को मान्यता देते हुए अमेरिकी दूतावास यहीं रखने का फैसला किया. करीब 70 सालों की अमेरिकी नीति को एक हस्ताक्षर से बदलते हुए उन्होंने कहा थाकि अब तेल अवीव नहीं, बल्कि येरुशलम में अमेरिकी एंबेसी होगी. हालांकि, अरब और यूरोप में इस फैसले का भी काफी विरोध हुआ था.
डोनाल्ड ट्रंप ने परमाणु कार्यक्रम पर बातचीत के बजाये और ओबामा के दौर में अमेरिका और ईरान के बीच हुए समझौते को लागू करने का फैसला किया. ट्रंप ने इजराइल के साथ मिलकर ईरान की नामी हस्तियों को निशाना बनाना शुरू कर दिया. इससे ईरान का झुकाव चीन की ओर बढ़ने लगा और अमेरिका से दूरी बढ़ने लगी.
सीरिया और अफगानिस्तान में हालात सुधरने के पहले ही सियासी फायदा उठाने के उद्देश्य से ट्रंप ने वहां से सैनिकों को वापस बुलाने का फैसला कर लिया. ट्रंप के अड़ियल रवैये का खामियाजा भी भुगतना पड़ा. सीरिया और अफगानिस्तान में अमेरिकी साख को करारा झटका लगा. एक ओर रूस जहां सीरिया पैर पसारने लगा, वहीं पाकिस्तान चीन की मदद से अफगानिस्तान में पैठ जमाने में लग गया.
विश्व स्वास्थ्य संगठन की कुल फंडिंग में अमेरिका करीब 40 फीसदी अमेरिकी हिस्सा देता है. ट्रंप ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को चीन की कठपुतली बताते हुए अमेरिकी मदद रोक दी. कोरोना महामारी काल में डोनाल्ड ट्रंप के फैसले का काफी विरोध हुआ. उन्होंने कहा था कि अमेरिकी टैक्सपेयर्स के पैसे पर कोई ऐश नहीं कर सकता.
डोनाल्ड ट्रंप जस्टिस गिन्सबर्ग की मौत के बाद युवा जस्टिस बैरेट को नियुक्त कर दिया. इसके लिए उन पर अपनी शक्ति का गलत इस्तेमाल करने का भी आरोप लगा. माना जाता है कि उन्होंने यह फैसला इसलिए किया था कि राष्ट्रपति चुनाव में अगर फैसला सुप्रीम कोर्ट पहुंचे, तो फैसला उनके पक्ष में हो.