हजारीबाग : पदमा प्रखंड की 65 हजार आबादी एक डॉक्टर पर निर्भर है. यहां के लोग चिकित्सीय सुविधा के लिए तरस रहे हैं. प्रखंड के तीन बड़े सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में वर्षों से डॉक्टर का पद खाली है. स्वास्थ्य केंद्र में एकमात्र डॉक्टर शशि जायसवाल हैं. वह भी स्थायी रूप से पदमा में नहीं रहती हैं. सप्ताह में दो-तीन दिन ही वह कुछ घंटों के लिए केंद्र पहुंचती हैं और खानापूर्ति कर निकल जाती हैं.
चंपाडीह स्वास्थ्य केंद्र में सात साल से डॉक्टर का पदस्थापन नहीं हुआ है. पदमा स्वास्थ्य केंद्र में दो पद की जगह मात्र एक डॉक्टर पदस्थापित है. परतन स्वास्थ्य केंद्र में स्थापना काल से ही डॉक्टर का पदस्थापन नहीं हुआ है. तीनों केंद्र का संचालन एएनएम के भरोसे है. लगभग 10 साल से दोनों केंद्र में कंपाउंडर और ड्रेसर का पद खाली है. परतन में प्रसव बड़ी संख्या में करायी जाती है. नियमों को ताक पर रख एएनएम की ओर से प्रसव कराया जाता है.
पदमा प्रखंड का स्वास्थ्य केंद्र सुबह 10 बजे से दोपहर तीन बजे तक ही खुला रहता है. तीन बजे के बाद से यहां सरकारी स्वास्थ्य की कोई व्यवस्था नहीं है. दुर्घटना होने पर मरीज को पदमा से 15 किमी दूर बरही या 25 किमी दूर हजारीबाग जाना पड़ता है. ऐसे में गंभीर रूप से बीमार या घायल लोगों की जान तक चली जाती है.
स्वास्थ्य व्यवस्था के नाम पर पदमा प्रखंड में सरकार की ओर से लाखों की राशि का खर्च होता है, लेकिन जनता को कोई लाभ नहीं मिल पाता. ग्रामीणों को छोटी-छोटी बीमारी के लिए भी झोला छाप डॉक्टरों के पास जाना पड़ता है. प्रत्येक गांव में झोला छाप डॉक्टरों की संख्या अच्छी-खासी है. पदमा, सरैया, रोमी व कुटीपीसी में केंद्र पर हमेशा मरीजों की भीड़ लगी रहती है.
सरकारी अस्पताल में वर्षों से डॉक्टर के नहीं रहने के कारण कम संख्या में ग्रामीण इलाज कराने के लिए जाते हैं. सरकारी अस्पतालों में अब सिर्फ लोग टीकाकरण के लिए जाते हैं. स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थापित एएनएम और सहिया दीदी घर-घर जाकर टीकाकरण का कार्य करती हैं, जिससे लोगों को लगता है कि सरकार अस्पताल में कुछ कार्य होता है.
Posted By : sameer Oraon