बिहार में मकर संक्रांति के दिन राजनीतिक गलियारे की दही चूड़ा पार्टी हर बार की तरह इस बार भी चर्चे में रही. हालांकि इस बार राजद सुप्रीमो लालू यादव की उपस्थिति नहीं रही लेकिन जेडीयू (JDU) के पूर्व मंत्री जय कुमार सिंह के आवास पर हुए आयोजन में जमकर सियासी खिचड़ी पकी. जदयू से टिकट नहीं मिलने के कारण बागी हुए नेताओं की उपस्थिति भी इस पार्टी में दिखी. इस दौरान उनका आपसी प्रेम छलकता दिखा और घरवापसी के संकेत भी आपसी चर्चाओं से बाहर आए.
बिहार में JDU के पूर्व अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह के आवास पर दही चूड़ा का आयोजन हर बार होता रहा है. लेकिन इस साल कोरोना को लेकर उनके आवास पर आयोजन नहीं हुआ. लेकिन इसका जिम्मा उठाया जेडीयू (JDU) के पूर्व मंत्री जय कुमार सिंह ने, जिनके आवास पर दही चूड़ा भोज का आयोजन हुआ तो जमकर सियासी खिचड़ी वहां पकी.
जेडीयू के जिन नेताओं ने टिकट नहीं मिलने पर पार्टी से बगावत की थी वो भी इस मौके पर एकजुट दिखे. टिकट नहीं मिलने के कारण जदयू छोड़ रालोसपा गए रणविजय शाही भी इसमें शामिल हुए. उन्होंने इस बार गोह से RLSP के टिकट पर चुनाव लड़ा था. इस आयोजन में उनका लगाव फिर से जेडीयू की तरफ होते दिखा.
वहीं बागी होकर बैकुंठपुर से निर्दलीय चुनाव लड़े मंजीत सिंह भी इस आयोजन में शामिल थे. तो जदयू छोड़ तरैया से निर्दलीय चुनाव लड़े शैलेंद्र प्रताप ने भी इस आयोजन में वशिष्ठ नारायण सिंह से मुलाक़ात की.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बागी नेताओं में घर वापसी की इच्छा जग गई है. मंजीत सिंह ने नीतीश कुमार को अपना राजनीतिक पिता जैसा बताया और कहा कि चुनाव के दौरान कुछ ऐसी हालात हो गई थी जिससे दल छोड़ना पड़ा लेकिन राजनीति में सब जायज है.
वहीं रण विजय सिंह ने कहा कि इस बार टिकट काटे जाने के कारण मैं थोड़ा नाराज हो गया था, जिसके कारण दल छोड़ना पड़ा था.लेकिन सियासत सम्भावनाओं का ही खेल है.वहीं JDU के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने भी इशारे में बागी नेताओं के घरवापसी पर एंट्री कराए जाने के संकेत दिए हैं.
Posted by: Thakur Shaktilochan