बाढ़, सूखे, बीमारी आदि से फसल के नुकसान के जोखिम से किसानों को राहत देने के इरादे से शुरू की गयी महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के पांच साल पूरे हो गये हैं. इस अवधि में करोड़ों खेतिहरों को इस योजना का फायदा मिला है. केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अनुसार, जनवरी, 2016 से अब तक 90 हजार करोड़ रुपये बीमा के तौर पर किसानों को दिये गये हैं.
योजना के महत्व को इस तथ्य से समझा जा सकता है कि इसके लागू होने से पहले औसतन प्रति हेक्टेयर बीमित राशि 15,100 रुपये थी, जो योजना के बाद बढ़कर 40,700 रुपये हो चुकी है. किसानों को बाहरी कारकों की वजह से फसल के बर्बाद होने की आशंका से छुटकारा दिलाने के लिए इस योजना में बीमा अवधि को बुवाई से पहले और फसल कटने के बाद तक निर्धारित किया गया है.
ऐसा भी होता है कि किन्हीं कारणों से किसान फसल की बुवाई समय से नहीं कर पाते या फसल के पकने से पहले बेमौसम की बारिश, कम बरसात, आंधी या कीट प्रकोप से उनकी मेहनत बेकार हो जाती है. इस बीमा योजना में ऐसे नुकसान की भरपाई भी की जाती है. हमारे देश की लगभग 60 फीसदी आबादी अपने रोजी-रोजगार के लिए खेती और उससे जुड़े कारोबार पर निर्भर है.
ज्यादातर किसानों के पास बहुत थोड़ी जमीन का ही मालिकाना है. ऐसे में उपज के कम होने या खराब हो जाने का सीधा मतलब उनके ऊपर दुखों का पहाड़ टूटना है. हमारे किसान लंबे समय से कृषि संकट से भी जूझ रहे हैं और अर्थव्यवस्था के उतार-चढ़ाव का भी अधिक असर उन पर ही पड़ता है. बड़ी मात्रा में खेती बारिश के आसरे होती है. बीते सालों में जलवायु परिवर्तन की वजह से प्राकृतिक आपदाओं की बारंबारता भी बढ़ी है.
ऐसे में फसल बीमा योजना किसानों के लिए बड़ा सहारा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस योजना की उपलब्धियों के बारे में बताते हुए कहा है कि अधिक से अधिक किसानों को इसके बारे में जानकारी हासिल करनी चाहिए और अपनी फसल का बीमा कराना चाहिए. इसके अलावा सरकार द्वारा खेती को फायदेमंद कारोबार बनाने के लिए किसानों को वित्तीय सहायता देने, मिट्टी की गुणवत्ता व उत्पादकता को बेहतर बनाने तथा मौसम की जानकारी मुहैया कराने जैसी सराहनीय पहलें भी हुई हैं.
ग्रामीण क्षेत्रों में पैदावार को सुरक्षित, संरक्षित और संवर्धित करने के लिए व्यापक इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए बड़े पैमान पर निवेश की योजना है. किसानों को आसानी से ऋण मिले, आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल बढ़े तथा उपज की उचित कीमत मिले, इसके लिए भी सरकार लगातार प्रयासरत है. कृषि क्षेत्र में विकास के लिए सुधार की कोशिशें भी हो रही हैं. किसानों की मेहनत का ही नतीजा है कि कोरोना काल में भी खेती में बढ़ोतरी हुई है और कृषि उत्पादों का निर्यात बढ़ा है. समुचित निवेश और नीति से इस वृद्धि को विस्तार देने की आवश्यकता है.
Posted By : Sameer Oraon