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संत कोलंबा कॉलेज का हाल बेहाल, रख-रखाव के लिए फंड नहीं, विद्यार्थियों की संख्या नगण्य

संत कोलंबा कॉलेज का छात्रावास का हाल बेहाल है, संसाधनों के अभाव में हॉस्टेल की स्थिति जर्जर है

हजारीबाग : सन 1899 में स्थापित संत कोलंबा कॉलेज का छात्रावास संसाधनों के अभाव में जर्जर स्थिति में है. कहा जाता है कि कॉलेज परिसर का मेन हॉस्टल झारखंड-बिहार का पहला हॉस्टल है. यहां रह कर हजारों की संख्या में विद्यार्थी इंजीनियर, डॉक्टर और शिक्षक बन देश-विदेश में सेवा दे चुके हैं. 100 वर्षों तक झारखंड, बिहार और बंगाल के विद्यार्थी इस छात्रावास में रह पढ़ाई के लिए हजारीबाग आते थे. इस ऐतिहासिक छात्रावास को बचाने की पहल अब तक नहीं की गयी है.

120 बेड का है हॉस्टल

संत कोलंबा कॉलेज का मेन हॉस्टल 120 बेड का है. यहां भोजन के लिए अलग से मेस था, लेकिन वह भी जर्जर होकर बंद पड़ा है. छात्रावास में रहनेवाले विद्यार्थियों को सिंगल बेड के लिए 700 रु प्रतिमाह एवं मल्टी बेडवाले कमरे के लिए 500 रुपये प्रति माह शुल्क निर्धारित है. कॉलेज परिसर में अभी भी विद्यार्थी रहते हैं, लेकिन कोविड-19 के कारण वर्तमान में यहां विद्यार्थी नहीं हैं. यहां का मेस पिछले चार वर्ष से बंद है.

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डीजे हॉस्टल

डीजे हॉस्टल में 50 बेड की सुविधा है. हॉस्टल में बिजली-पानी व किचन की व्यवस्था थी, लेकिन अब हॉस्टल के चारों ओर एवं छत पर झाड़ियां उग आयी है. यह हॉस्टल पूर्ण रूप से जर्जर और ध्वस्त हो चुका है. यह 20 वर्ष पहले से बंद पड़ा है.

गर्ल्स हॉस्टल 15 साल पुराना

संत कोलंबा कॉलेज परिसर में 65 बेड का गर्ल्स हॉस्टल 15 साल पुराना है. यह हॉस्टल बनने के बाद से ही बंद है. कॉलेज प्रशासन की ओर से यहां सिंगल बेड के लिए 700 रु प्रतिमाह एवं मल्टी बेड वाले कमरे के लिए 500 रुपये प्रतिमाह शुल्क निर्धारित किये गये थे. इस हॉस्टल के चारों तरफ झाड़ियां हैं.

मरम्मत संभव नहीं

कॉलेज के प्राचार्य डॉ सुशील टोप्पो ने बताया कि मेन हॉस्टल की देखरेख के लिए दो कर्मचारी है. एक केयर टेकर एवं एक स्वीपर है. ध्वस्त डीजे हॉस्टल की मरम्मत संभव नहीं है. गर्ल्स हॉस्टल में छात्राओं का नामांकन नहीं हुआ है. इस कारण यहां बीए की कक्षा दो वर्ष पूर्व तक चली. अब बीएड का अपना भवन है. हॉस्टल दो वर्ष से बंद होने के कारण एवं कर्मचारी के अभाव में स्थिति खराब हो गयी है.

संत कोलंबा कॉलेज के प्राचार्य डॉ सुशील टोप्पो ने बताया कि 23 एकड़ भूमि में कॉलेज का परिसर है. इसमें वर्ग कक्ष, कार्यालय, स्टॉफ क्वार्टर, हॉस्टल, प्रयोगशाला व पुस्तकालय है. इसके रख-रखाव के लिए राज्य सरकार या विभावि की ओर से फंड नहीं मिलता है.

कॉलेज को प्रतिमाह 18 हजार कंटेनजेंसी मिलता है, जिससे रख रखाव किया जाता है. ऐसी स्थिति में कॉलेज की स्थिति खराब होती जा रही है. प्रत्येक वर्ष के बजट में रख-रखाव के लिए 50 हजार प्रतिमाह का प्रावधान बनाकर विभावि एवं राज्य सरकार को भेजा जाता है. इसके बावजूद यह बजट कॉलेज को नहीं मिलता है. कर्मचारी की कमी एवं बजट नहीं होने के कारण यह स्थिति है.

Posted By : Sameer Oraon

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