कोरोना से बचाव के लिए जारी जंग के बीच लापरवाही और नासमझी का वाकया सामने आया है. लापरवाही स्वास्थ्य महकमे की और नासमझी किसान की है. मुशहरी में खेत में पीपीई किट को बिजुका बनाकर टांग दिया गया है, ताकि इसे देख कर नीलगाय या जंगली सूअर डर जायें. आशंका है कि जिस पीपीई किट को लकड़ी में टांग कर खेतों में लगाया गया है, वह मुशहरी सीएचसी में उपयोग किया हुआ है. इसे स्वास्थ्य महकमे की लापरवाही ही कहा जायेगा कि मुशहरी सीएचसी परिसर में जहां-तहां उपयोग किया हुआ पीपीइ किट फेंका हुआ भी दिख रहा है. सीएचसी परिसर में जांच किट से लेकर सूई भी इधर-उधर फैले हुए दिख रहे हैं.
मेडिकल कचरा को सही तरीके से निष्पादित करने की जिम्मेवारी एक एजेंसी की है. इस बारे में जब स्वास्थ्य प्रबंधक आलोक कुमार का ध्यान आकृष्ट कराया गया, तो उनका कहना था कि ऐसा नहीं हो सकता है. लेकिन, मौके पर पहुंचने के बाद वे भी चौंक गये. उन्होंने इसके लिए एजेंसी को जिम्मेवार बताया. एजेंसी के समन्वयक विजय उपाध्याय ने कहा कि वाहन प्रतिदिन वहां जाता है. कचरा उठाने का गाइड लाइन है कि उसे पैक कर देना है. इसके लिए पॉइंट चिह्नित किया गया है. दूसरी जगह से कचरा का उठाव नहीं करना है. इस संबंध में सिविल सर्जन डॉ शैलेश प्रसाद सिंह ने बताया कि जो भी इस लापरवाही के लिए जिम्मेदार होंगे, उन पर कार्रवाई होगी.
इस्तेमाल किये गये पीपीई किट पर 72 घंटों तक संक्रमण का खतरा रहता है. अगर 72 घंटे से पहले किसी ने उसे छुआ होगा और पीपीई किट कोरोना पॉजेटिव के संपर्क में आया होगा तो संक्रमण फेल सकता है. इस्तेमाल किया हुआ पीपीइ किट इधर उधर कतई नहीं फेंका जाना चाहिए. उसे ढक्कनबंद डस्टबिन में ही डालना है. अस्पताल को भी बायो मेडिकल वेस्ट के निस्तारण की व्यवस्था करनी चाहिए.
डॉ विनय कुमार,एसीएमओ
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हर पीपीई किट को इस्तेमाल के बाद नष्ट करना है. अगर नष्ट नहीं किया गया है तो उसे अलग मेडिकल कचरे के रूप में रखना है. इधर उधर अगर फेंका गया है तो लापरवाही है. सीएचसी प्रभारी व ब्लॉक हेल्थ मैनेजर से इसकी जानकारी ली जायेगी. जहां भी किट है, उसे वहां से हटाया जायेगा.
डॉ शैलेश प्रसाद सिंह,सिविल सर्जन
Posted By :Thakur Shaktilochan