नयी दिल्ली : दक्षिण भारत के सुपरस्टार और बॉलीवुड अभिनेता रजनीकांत ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए राजनीति में नहीं आने का फैसला करने के बाद समर्थकों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया. विरोध प्रदर्शनों को लेकर रजनीकांत ने कहा है कि मेरे कुछ प्रशंसकों ने रजनी मक्कल मंद्रम के निष्कासित कैडरों के साथ राजनीति में प्रवेश नहीं करने के मेरे फैसले के खिलाफ चेन्नई में प्रदर्शन किया. मैंने अपना निर्णय ले लिया है. मैं सभी लोगों से अपील करता हूं कि वे ऐसे प्रदर्शनों में भाग ना लें, क्योंकि इससे मुझे पीड़ा होती है.
Some of my fans along with expelled cadres of Rajini Makkal Mandram have protested in Chennai against my decision of not entering politics. I have taken my decision, I appeal to everyone to not indulge in such things (protest) as it pains me: Rajinikanth pic.twitter.com/ghKMAP1bsj
— ANI (@ANI) January 11, 2021
— Rajinikanth (@rajinikanth) January 11, 2021
रजनीकांत का सियासी नाता करीब ढाई दशक पुराना है. साल 1996 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने कहा था कि ”अगर जयललिता वापस सत्ता में आ जाती है, तो भगवान भी तमिलनाडु को नहीं बचा सकते.” रजनीकांत का बयान सुर्खियों में आ गया और जयललिता चुनाव हार गयी थीं. उसके बाद से कयास लगाये जाने लगे थे कि रजनीकांत राजनीति में प्रवेश कर सकते हैं. लेकिन, 1998 के आम चुनाव में उन्होंने डीएमके गठबंधन को समर्थन देने के बावजूद पार्टी को मात्र छह सीटें ही मिलीं. इसके बाद वे राजनीतिक बयान देना बंद कर दिया.
साल 2014 के आम चुनाव में बीजेपी दक्षिण भारत में बड़ा चेहरा ढूंढ़ रही थी. इसी दौरान बीजेपी नेता नरेंद्र मोदी रजनीकांत के घर पहुंच गये. रजनीकांत ने भी नरेंद्र मोदी को असाधारण नेता ओर बेहतर प्रशासक बताया. इसके बाद फिर कयास लगाये जाने लगे कि वे एक बार फिर राजनीति में आ सकते हैं. इसके बाद साल 2017 में उन्होंने चेन्नई में राजनीति में प्रवेश की घोषणा करते हुए कहा कि ”मैं राजनीति में आ रहा हूं. यह वर्तमान समय की सबसे बड़ी जरूरत है.” साथ ही राजनीतिक पार्टी बनाने की भी घोषणा की. उन्होंने कहा था कि अगला विधानसभा चुनाव लड़ने की भी बात कही थी.
दिसंबर 2020 में उन्होंने तमिल में ट्वीट कर 31 दिसंबर को राजनीतिक पार्टी की घोषणा की थी. लेकिन, 29 दिसंबर, 2020 को ही उन्होंने स्वास्थ कारणों का हवाला देते हुए राजनीति में आने से किनारा कर लिया. मालूम हो कि रजनीकांत को हाई ब्लडप्रशन के बाद हैदराबाद के अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया था. चिकित्सकों ने उन्हें तनाव से दूर रहने और आराम करने की सलाह दी थी.
रजनीकांत के राजनीति में प्रवेश से यू टर्न लेने के बाद उनके प्रशंसकों ने चेन्नई में प्रदर्शन शुरू कर दिया. रजनीकांत से फैसला वापस लेने की मांग प्रशंसक करने लगे. इसके बाद उन्होंने कहा कि मेरे कुछ प्रशंसकों ने रजनी मक्कल मंद्रम के निष्कासित कैडरों के साथ राजनीति में प्रवेश नहीं करने के मेरे फैसले के खिलाफ चेन्नई में प्रदर्शन किया. मैंने अपना निर्णय ले लिया है. मैं सभी लोगों से अपील करता हूं कि वे ऐसे प्रदर्शनों में भाग ना लें, क्योंकि इससे मुझे पीड़ा होती है. साथ ही उन्होंने नेतृत्व का अनुरोध स्वीकार करने और कार्यक्रम में भाग नहीं लेनेवालों को धन्यवाद भी दिया है.