Bengal Mob Lynching: बंगाल चुनाव के चौथे चरण की वोटिंग के दौरान शनिवार को दो घटनाएं सामने आईं और दो सवाल भी. दोनों सवाल हैं- राजनीति बुरी होती है? तो, राजनीति करने वाले क्या होते हैं? यह सवाल इसलिए उठ रहा है कि पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के चौथे चरण की वोटिंग के दौरान शनिवार को कूचबिहार के शीतलकुची में केंद्रीय बलों की फायरिंग में चार लोगों की मौत हो गई.
शीतलकुची फायरिंग की घटना पर तमाम तरह के आरोप-प्रत्यारोप हो रहे हैं. टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का इस्तीफा मांग रही हैं. तो, पीएम मोदी घटना के लिए टीएमसी की हिंसा वाली राजनीति को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. शीतलकुची फायरिंग की घटना के दिन ही एक और खौफनाक वारदात सामने आई. बिहार के किशनगंज पुलिस स्टेशन के एसएचओ अश्विनी कुमार की बंगाल के उत्तर दिनाजपुर में पीट-पीटकर हत्या कर दी गई. इस घिनौनी घटना पर ममता बनर्जी चुप हैं.
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बिहार के किशनगंज पुलिस स्टेशन के एसएचओ अश्विनी कुमार बाइक चोरी के मामले में छापा मारने के लिए टीम के साथ पश्चिम बंगाल के उत्तर दिनाजपुर के गोलपोखर पहुंचे थे. जहां उनकी भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी थी. उनकी टीम के बाकी लोग मौके से फरार हो गए थे, जिन्हें रविवार को सस्पेंड कर दिया गया है. सभी पर कर्तव्य में लापरवाही बरतने का आरोप है.
लाडले के ऐसे गुजरने का सदमा इंस्पेक्टर अश्विनी कुमार की मां सहन नहीं कर सकीं. उनका निधन रविवार को दिल का दौरा पड़ने से हो गया. एक तरफ एसएचओ अश्विनी कुमार की मॉब लिंचिंग की गई. दूसरी तरफ शीतलकुची फायरिंग की घटना सामने आई. फायरिंग में चार लोगों की मौत पर बंगाल का सियासी पारा चढ़ गया. बंगाल की सीएम ममता बनर्जी और पीएम मोदी एक-दूसरे से चुनावी मंच पर भिड़ गए.
कूचबिहार के शीतलकुची फायरिंग और एसएचओ अश्विनी कुमार की मॉब लिंचिंग की घटना पूरी तरह से अलग है. लेकिन, सवाल इंसान की जान की कीमत का है. जिस शीतलकुची फायरिंग में मारे गए लोगों को इंसाफ दिलाने के लिए ममता बनर्जी रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रही थीं. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पीड़ित परिवारों से बात कर रही थीं, वही, ममता बनर्जी अश्विनी कुमार के गुजरने पर खामोश क्यों हैं?
सीएम ममता बनर्जी ने अश्विनी कुमार की मौत पर किस वास्ते चुप्पी साध रखी है? क्या शीतलपुर फायरिंग की तरह अश्विनी कुमार की मौत से उन्हें पॉलिटिकल माइलेज नहीं मिलने की फिक्र है? क्या ‘मां, माटी, मानुष’ की बात करने वाली टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी सिर्फ अपने चुनावी फायदे और सेलेक्टिव पॉलिटिक्स के रास्ते आगे बढ़ रही हैं? खास बात यह है कि खुद को आम जनता की हितैषी बताने वाली ममता बनर्जी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में केंद्र सरकार को निरंकुश करार दिया पर अश्विनी कुमार पर चुप रहीं. जबकि, एसएचओ अश्विनी कुमार की मॉब लिंचिंग बंगाल में हुई है और ममता बनर्जी अभी भी सीएम हैं.
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किशनगंज पुलिस स्टेशन के एसएचओ अश्विनी कुमार जाबांच पुलिसकर्मी थे. पुलिस में रहते हुए उन्होंने पब्लिक फ्रेंडली वर्क कल्चर को बढ़ावा दिया था. जनवरी 2017 में अश्विनी कुमार ने अपनी जान पर खेलकर चार लोगों को मॉब लिचिंग का शिकार होने से बचा लिया था. अश्विनी कुमार की बदकिस्मती कहिए उत्तर दिनाजपुर में उनकी पीट-पीटकर हत्या कर दी गई और उनके साथ गए दूसरे पुलिसकर्मी जान बचाकर भाग गए. जिसे भी घटना की खबर मिली उसकी आंखें नम हैं और ममता बनर्जी चुप हैं.
आज हम सबके बीच अश्विनी कुमार नहीं हैं, राजनीति है और बंगाल चुनाव का चार चरण बाकी है. लिहाजा, पॉलिटिकल माइलेज लेने की कोशिश जारी है. शीतलकुची पर ममता बनर्जी प्रेस कॉन्फ्रेंस से इंसाफ मांग रही हैं. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से पीड़ित परिवारों से बात कर रही हैं. राजनीति का शातिरपना देखिए अश्विनी कुमार पर बंगाल की सीएम ममता बनर्जी चुप हैं. अब पहले दो सवालों पर चलते हैं- राजनीति बुरी होती है? तो, राजनीति करने वाले क्या होते हैं? जवाब आपको खोजना है. वैसे, वक्त सबका हिसाब करना जानता है.