कोलकाता : पश्चिम बंगाल में अब तक 16 विधानसभा चुनाव हुए हैं. राज्य ने 8 मुख्यमंत्रियों का कार्यकाल देखा है. इनमें से 4 मुख्यमंत्री कोलकाता या उसके आसपास से ही चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे. 4 नेता ग्रामीण इलाके से चुनाव लड़े और बंगाल के मुख्यमंत्री बने. अब ममता बनर्जी ने कोलकाता से दूर पूर्वी मेदिनीपुर के नंदीग्राम को अपना रणक्षेत्र बनाने का फैसला किया है.
राज्य में वर्ष 2021 में 17वीं बार चुनाव विधानसभा चुनाव होने जा रहा है. इसलिए राजनीतिक सरगर्मी तेज है. पड़ोसी राज्य बिहार की तरह बंगाल में विधान परिषद नहीं है. इसलिए विधानसभा का सदस्य बनने के बाद ही कोई मुख्यमंत्री बनता है या यूं कहें कि मुख्यमंत्री बनने के लिए विधानसभा का सदस्य होना अनिवार्य हो जाता है.
अभी तक बंगाल में 8 मुख्यमंत्री बने हैं. इनमें से अधिकतर मुख्यमंत्रियों ने अपने लिए कोलकाता या कोलकाता के आसपास की विधानसभा सीट से ही चुनाव लड़ना पसंद किया है. गिने-चुने लोग ही दूर-दराज के देहाती इलाकों से चुनाव लड़ा और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री बने.
Also Read: नंदीग्राम के लोग वोट देना चाहते हैं, ममता बनर्जी और शुभेंदु अधिकारी को टक्कर देने पहुंचीं CPM की मीनाक्षी मुखर्जी का Exclusive इंटरव्यूराज्य की प्रथम निर्वाचित सरकार के मुखिया डॉ विधानचंद्र राय ने मध्य कोलकाता के बहूबाजार विधानसभा क्षेत्र को चुना था. वह 1952 से 1962 तक राज्य विधानसभा में बतौर विधायक बहूबाजार का प्रतिनिधित्व करते थे. कोलकाता के ही चौरंगी विधानसभा क्षेत्र को भी उन्होंने आजमाया. वर्ष 1962 का चुनाव उन्होंने यहीं से लड़ा था. इसी वर्ष एक जुलाई को उनका निधन हो गया.
डॉ विधान चंद्र रॉय के निधन के बाद प्रफुल्ल चंद्र सेन ने 1962 का चुनाव हुगली जिला के आरामबाग विधानसभा सीट से लड़ा और जीत दर्ज की. प्रफुल्ल चंद्र सेन के बाद राज्य के अगले मुख्यमंत्री बने थे अजय कुमार मुखर्जी. वर्ष 1967 के विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री बने अजय कुमार मुखर्जी मेदिनीपुर के तमलूक सीट से जीतकर विधानसभा पहुंचे थे.
उन्होंने तमलूक के साथ-साथ तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रफुल्ल चंद्र सेन के खिलाफ भी आरामबाग से चुनाव लड़ा था. बड़ी बात यह हुई कि मुखर्जी ने तब के सिटिंग चीफ मिनिस्टर प्रफुल्ल चंद्र सेन को पराजित भी कर दिया था. वर्ष 1967 में अजय कुमार मुखर्जी से पराजित होने वाले प्रफुल्ल चंद्र सेन न मुख्यमंत्री रहे, न विधानसभा पहुंच सके.
Also Read: ममता बनर्जी पर पीएम मोदी ने कांथी से किया हमला, बोले- दीदी, आप खेला कीजिए, हम सेवा करेंगेवर्ष 1967 के चुनाव में विदा होने वाले और सत्ता पर काबिज होने वाले दोनों ही मुख्यमंत्री ग्रामीण इलाके से चुनाव लड़े थे. मुख्यमंत्री के रूप में अजय मुखर्जी के पहले कार्यकाल के ठीक बाद चीफ मिनिस्टर का पद हासिल कर लेने वाले प्रफुल्ल चंद्र घोष भी ग्रामीण क्षेत्र से ही विधानसभा में पहुंचे थे. झारग्राम विधानसभा क्षेत्र से.
वर्ष 1972 में बतौर मुख्यमंत्री बंगाल की कमान संभालने वाले सिद्धार्थ शंकर रे ने कोलकाता की दो विधानसभा सीटों से चुनाव लड़ा था. भवानीपुर और चौरंगी. श्री रे बाद में पंजाब के राज्यपाल भी बने. सिद्धार्थ शंकर रे के बाद बंगाल के मुख्यमंत्री बने ज्योति बसु ने ग्रामीण क्षेत्र से चुनाव लड़ना पसंद किया. लगातार 23 साल तक मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड बनाने वाले ज्योति बसु दक्षिण 24 परगना जिला के सातगछिया विधानसभा क्षेत्र से पांच बार चुनाव लड़े और हर बार जीते.
Also Read: चुनाव से पहले कौन गा रहा ममता की बंगाल से विदाई का गीत- पीशी जाओ, जाओ, जाओ, पीशी जाओ…वर्ष 1977 से लगातार करीब 25 वर्षों तक इस देहाती इलाके के विधायक रहे. हालांकि, सतगछिया का चयन करने से पहले ज्योति बसु वर्ष 1952 से 1972 तक कोलकाता के पास स्थित बारानगर क्षेत्र का विधायक रह चुके थे.
ज्योति बसु के मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ने के बाद बंगाल को दो मुख्यमंत्री मिले. बुद्धदेव भट्टाचार्य और ममता बनर्जी. दोनों ने शहरी क्षेत्र से ही चुनाव लड़ा. वह भी कोलकाता से. बुद्धदेव पहली बार 1977 में काशीपुर विधानसभा सीट से चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंचे थे.
वर्ष 1987 में बुद्धदेव भट्टाचार्य काशीपुर छोड़कर जादवपुर चले गये. तब से वर्ष 2011 तक मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए वह विधानसभा में इसी इलाके का प्रतिनिधित्व करते रहे. मौजूदा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी कोलकाता को ही पसंद किया. विधानसभा के लिए हुए पिछले दो चुनावों में उन्होंने दक्षिण कोलकाता के भवानीपुर विधानसभा क्षेत्र से जीत दर्ज की.
अब जबकि उनके कई वफादार पार्टी छोड़कर विरोधी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होकर उनके ही खिलाफ ताल ठोंकने लगे हैं, तो ममता दीदी ने वर्ष 2021 का चुनाव पूर्वी मेदिनीपुर जिला के नंदीग्राम विधानसभा सीट से लड़ने का एलान कर दिया है. करीब डेढ़ दशक पहले माकपा सरकार की ओर से उद्योगों के लिए भूमि अधिग्रहण के खिलाफ नंदीग्राम में ही किसानों के लिए आंदोलन किया था.
डॉ विधानचंद्र राय – बहूबाजार एवं चौरंगी
प्रफुल्ल चंद्र सेन – आरामबाग
अजय कुमार मुखर्जी – तमलूक एवं आरामबाग
प्रफुल्ल चंद्र घोष – झारग्राम
सिद्धार्थ शंकर रे – भवानीपुर एवं चौरंगी
ज्योति बसु – बारानगर एवं सतगछिया
बुद्धदेव भट्टाचार्य – काशीपुर एवं जादवपुर
ममता बनर्जी – भवानीपुर
Posted By : Mithilesh Jha