कोलकाता (नवीन राय) : राज्य की अतिमहत्पूर्ण सीट में शुमार नंदीग्राम विधानसभा केंद्र लोगों के बीच चर्चा का केंद्र बना हुआ है. क्योंकि इस सीट पर राज्य की राजनीति की दिशा और दशा निर्भर कर रहा है. यह वहीं सीट हैं जो राज्य की सत्ता पर 34 सालों से काबिज वाममोर्चा की विदाई की वजह बना था.
ऐसे में पाला बदलते हुये शुभेंदु अधिकारी ने जैसे ही भाजपा का दामन थामा तो लोग इस सीट पर भाजपा की जीत पक्की मान रहे थे. लेकिन ममता बनर्जी ने सारे समीकरण को धत्ता बताते हुए खुद इस सीट से उतरने का एलान करके इस सीट को चर्चा के केंद्र में ला दिया.
ऐसे में बुधवार को अपनी दावेदारी जताते हुए ममता बनर्जी ने इस सीट पर अपना नामांकन दाखिल कर दिया है. जवाब में भाजपा से शुभेंदु अधिकारी गुरुवार को अपना नामांकन पत्र जमा करेंगे. अब सबकी निगाहें इस पर टिकीं है कि नंदीग्राम से संयुक्त मोर्चा के उम्मीदवार कौन होगा.
वाममोर्चा सरकार के समय लाल दुर्ग के रूप में मशहूर इस सीट के हाथ से निकलने के बाद माकपा का सुपड़ा ही यहां से साफ हो गया था. संयुक्त मोर्चा की बैठक के समय जब सीट बंटवारा की बात तय हुई तो तकरीबन 40 फीसदी मुसलमान मतदाता की संख्या को देखते हुए अब्बास सिद्दिकी ने आईएसएफ का उम्मीदवार यहां से उतारने का दावा किया था.
तृणमूल कांग्रेस और भाजपा ने इस सीट पर अपने उम्मीदवार का नाम उजागर कर दिया है. लेकिन संयुक्त मोर्चा के खेमें में अभी भी खामोशी है. पांच दिन पहले, ममता ने सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के 291 सीटों के लिए अपनी उम्मीदवारी की घोषणा की. उन्होंने गोरखा जन मुक्ति मोर्चा के लिए दार्जिलिंग, कर्सियांग और कलिमपोंग की सीटें छोड़ दीं. विपक्षी लेफ्ट फ्रंट, कांग्रेस और इंडियन सेकुलर फ्रंट ने तृणमूल उम्मीदवार की सूची के तुरंत बाद अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की.
उसी दिन, वाममोर्चा के अध्यक्ष विमान बसु ने कहा, नंदीग्राम प्रतिष्ठित सीट है, यहां उम्मीदवार का नाम बाद में सूचित किया जाएगा. लेकिन संयुक्त मोर्चा के खेमें में अभी भी खामोशी है. सूत्रों के मुताबिक, वाम मोर्चा और कांग्रेस ने नंदीग्राम सीट संयुक्त मोर्चा के तीसरे सहयोगी अब्बास सिद्दीकी की पार्टी आईएसएफ छोड़ दी थी.
ब्रिगेड में संयुक्त मोर्चे की सार्वजनिक सभा से पहले, अब्बास सिद्दीकी ने कहा कि उनके परिवार का कोई व्यक्ति नंदीग्राम में खड़ा होगा. फुरफुरा शरीफ के पीरजादा यह बताना नहीं चाहते थे कि वह उम्मीदवार कौन होगा. ऐसा माना जाता है कि नौशाद सिद्दीकी नंदीग्राम से संयुक्त मोर्चे के उम्मीदवार हैं.
हालांकि, फुरफुरा शरीफ ने उनके बारे में कुछ भी स्पष्ट नहीं किया. वाम नेता भी चुप हैं. गठबंधन के तहत मिली सीटों पर कांग्रेस ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है. दोनों युद्धरत गुटों के बीच चल राजनीतिक लड़ाई के बीच फुरफुरा शरीफ के उम्मीदवार आए यहां आए जरूर लेकिन इसके बाद वह गायब हो गया.
स्थिति को देखते हुये माकपा ने इस सीट से अपना उम्मीदवार उतारने का मन बना लिया है. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि एआईएसएफ उम्मीदवार के गायब होने और नंदीग्राम में अपने अस्तित्व की लड़ाई बचाने में लगी माकपा का उम्मीदवार उतरने का मतलब है, ममता बनर्जी को सीधे फायदा पहुंचाना. संयुक्त मोर्चा और तृणमूल कांग्रेस की मूल लड़ाई भाजपा से है.
ऐसे में आईएसएफ उम्मीदवार का नहीं आना और माकपा का चुनाव में उतरना सीधे ममता को फायदा पहुंचायेगा. क्योंकि ऐसी स्थिति में मुसलमान वोट बैंक में जो सेंधमारी के कयास लगाया जा रहा था वह एक तरह से ठप हो गया है. तब लड़ाई ममता बनर्जी बनाम शुभेंदु अधिकारी होगी. जिसका फायदा ममता को मिल सकता है.
Posted By: Pawan Singh