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Budget 2021 News : क्या होता है ‘ऑफ बजट बोरोइंग’ ? बजट के दौरान सुने जानें वाले इन शब्दों का मतलब क्या जानते हैं आप

वित्त मंत्री Nirmala Sitharaman 1 फरवरी यानी आने वाले मंगलवार को बजट पेश (budget 2021) करने जा रहीं हैं. MODI GOVT,public expenditure revenue expenditure ,direct tax, indirect tax ,budget borrowing, know meaning and all details

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी यानी आने वाले मंगलवार को बजट पेश (budget 2021) करने जा रहीं हैं. केंद्रीय बजट होने की वजह से पूरे देश की निगाह इस बजट टिकी हुई है. बजट के दौरान आपको कुछ ऐसे शब्द सुनने को मिल जाएंगे जिसके बारे में आपको जानना जरूरी है. आइए आपको ऐसे ही कुछ शब्द के बारे में बताते हैं…

ऑफ बजट बोरोइंग: आपने बजट के दौरान ऑफ बजट बोरोइंग शब्द सुना होगा. दरअसल इसका संबंध राजकोषीय घाटे यानी फिस्कल डेफिसिट से होता है. राजकोषीय या वित्तीय घाटा सरकार के खर्च और कमाई के बीच का गैप होता है. यदि सरकार को मिलने वाला राजस्व यानी उसकी कमाई किसी साल कम होती है और खर्च अधिक हो जाता है, तो इस ​स्थिति को राजकोषीय या वित्तीय घाटा की संज्ञा दी जाती है. सरकार प्रयास करती है कि वित्तीय घाटा कम रहे. वित्तीय घाटा कम करने के लिए एक तरीका ऑफ बजट बोरोइंग है. ऑफ बजट बोरोइंग से जुड़ी हर News in Hindi से अपडेट रहने के लिए बने रहें हमारे साथ.

आपको बता दें ऑफ बजट बोरोइंग एक प्रकार का लोन होता है जो केंद्र सरकार सीधे तौर पर लेने का काम नहीं करती है. बल्कि, कोई दूसरा पब्लिक इंस्टीट्यूशन यानी सार्वजनिक संस्था के द्वारा सरकार के कहने पर इस लोन को लेने का काम करती है. इस प्रकार के लोन का मकसद सरकार के खर्च को पूरा करने में मदद करना होता है. ऐसे लोन की लायबिलिटी या दायित्व औपचारिक तौर पर केंद्र सरकार का नहीं होती है. यही वजह है कि इस प्रकार के लोन को देश के राजकोषीय घाटे यानी फिस्कल डेफिसिट में शामिल नहीं किया जाता है. सरकार को इससे देश के राजकोषीय घाटे को कम करने में मदद मिलती है.

डायरेक्ट टैक्स : आइए आपको डायरेक्ट टैक्स (Direct taxes) के बारे में बताते हैं. दरअसल किसी भी व्यक्ति और संस्थानों की कमाई और उसके स्रोत पर इनकम टैक्स, कॉरपोरेट टैक्स, कैपिटल गेन टैक्स और इनहेरिटेंस टैक्स के जरिए पर यह टैक्स सरकार की ओर से लगाया जाता है.

इनडायरेक्ट टैक्स : इनडायरेक्ट टैक्स (Indirect taxes) की बात करें तो ये उत्पादित वस्तुओं और सर्विस, आयात-निर्यात होने वाले प्रोडक्ट पर उत्पाद शुल्क, सीमा शुल्क आदि पर लगाया जाता है.

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बजट घाटा : बजट घाटा (Budgetary deficit) की बात करें तो यह स्थिति तब पैदा होती है जब सरकार का खर्च, राजस्व से अधिक हो जाता है.

राजकोषीय घाटा : सरकार के कुल खर्च और राजस्व प्राप्तियों एवं गैर कर्जपूंजी प्राप्तियों के जोड़ के बीच के अंतर को राजकोषीय घाटा (Fiscal deficit) की संज्ञा दी गई है.

आयकर : किसी भी व्यक्ति की आय और अन्य स्रोतों से होने वाली आय पर लगने वाले टैक्स को आयकर (Income tax)कहा जाता है.

कॉरपोरेट टैक्स : कॉरपोरेट टैक्स (Corporate tax) की बात करें तो ये कॉरपोरेट संस्थानों या फर्मों पर लगाने का काम सरकार करती है, जिसके जरिए सरकार का खजाना भरता है. जीएसटी आने के बाद से यह खत्‍म हो चुकी है.

उत्पाद शुल्क : उत्पाद शुल्क (Excise duties) के बारे में भी आपने सुनाओ ही होगा. देश की सीमा के अंदर बनने वाले सभी उत्पादों पर लगने वाले टैक्‍स को उत्पाद टैक्स की संज्ञा दी गई है. आपको बता दें कि एक्‍साइज ड्यूटी को भी जीएसटी में शामिल करने का काम किया गया है.

सीमा शुल्क : सीमा शुल्क (Customs duties) की बात करें तो ये उन वस्तुओं पर लगाया जाता है, जो देश में आयात की जाती है या फिर देश के बाहर निर्यात करने का काम किया जाता है.

सेनवैट : सेनवैट (CENVAT) शब्द यदि आपने सुनाओ होगा तो आपको शायद पता होगा कि यह केंद्रीय वैल्‍यू एडेड टैक्‍स है, जो मैन्युफैक्चरर पर लगाने का काम सरकार करती है. इसे साल 2000-2001 में पेश करने का काम किया गया था.

बैलेंस बजट : बैलेंस बजट (Balanced budget) ऐसा बजट होता है जब वर्तमान प्राप्तियां मौजूदा खर्चों के बराबर होती हैं.

बैलेंस ऑफ पेमेंट : बैलेंस ऑफ पेमेंट (Balance of payments) की बात करें तो ये देश और बाकी दुनिया के बीच हुए वित्तीय लेनदेन के हिसाब को कहा जाता है. इसे भुगतान संतुलन भी कहा जाता है.

बांड : बांड (Bond) कर्ज का एक सर्टिफिकेट होता है, जिसे कोई सरकार या कॉरपोरेशन जारी करने का काम करती है. इससे पैसा जुटाया जाता है.

विनिवेश : विनिवेश (Disinvestment) सरकार द्वारा किसी पब्लिक इंस्टिट्यूट में अपनी हिस्सेदारी के बेचने को कहा जाता है. ऐसा करते सरकार राजस्‍व जुटाने की प्रक्रिया को अंजाम देती है.

जीडीपी : जीडीपी (GDP) एक वित्तीय वर्ष में देश की सीमा के अंदर उत्पादित कुल वस्तुओं और सेवाओं के कुल जोड़ को कहा जाता है.

Posted By : Amitabh Kumar

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