रांची : प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ रामेश्वर उरांव रविवार को छत्तीसगढ़ के जशपुर में पूर्व राजी दीवान स्वर्गीय बाबा भीखराम भगत की 84वीं जयंती एवं पड़हा पूंप पत्रिका के विमोचन समारोह में शामिल हुए. समारोह को संबोधित करते हुए डॉ उरांव ने कहा कि भाषा, धरती, धर्म एवं संस्कृति को बचाने के लिए पड़हा आदिवासी समाज को शिक्षित होना जरूरी है, तभी हमारा विकास हो सकता है. ग्राम स्वशासन पड़हा समाज लोकतांत्रिक एवं जनतांत्रिक व्यवस्था के अनुरूप कार्य करती है.
ग्राम प्रधान जो गांव का मुखिया होता है, वह भी पढ़हा व्यवस्था के अंदर आता है. संताल में मांझी परगना, मुंडा में मानकी मुंडा और उरांव में पड़हा व्यवस्था आदिवासी समाज की जीवन की सामाजिक व्यवस्था है, जो पेसा कानून पर आधारित है. छत्तीसगढ़ और झारखंड के सीमावर्ती इलाकों से जुटे आदिवासी समुदाय को संबोधित करते हुए डॉ उरांव ने कहा कि देश की आजादी से लेकर देश के पुनर्निर्माण में आदिवासियों के योगदान को नहीं भुलाया जा सकता है.
इतिहासकारों ने यकीनन हमारे योगदान को कम करके पन्नों में स्थान दिया है, लेकिन जहां कहीं भी कांग्रेस की सरकार बनती है,आदिवासी के हितों की रक्षा होती है. आज जल, जंगल जमीन आदिवासी पहचान अगर मौजूद हैं, तो यकीनन भूमि अधिग्रहण अध्यादेश कानून, पेशा कानून, वनों का अधिकार कानून के माध्यम से ही जीवित हैं.
उन्होंने कहा कि पड़हा समाज सदैव ही जागरूक रहा है. अतिथि के रूप में मौजूद छत्तीसगढ़ सरकार में खाद्य एवं संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत ने भी पड़हा समाज के उत्थान एवं उसके योगदान पर चर्चा की. जशपुर के विधायक विनय भगत ने स्वागत किया.
Posted By : Sameer Oraon