21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बारूदी सुरंग विस्फोट कर नक्सलियों ने की थी एसपी केसी सुरेंद्र बाबू की हत्या, 15 साल बाद भी बाहर घूम रहे आरोपी

मुंगेर(Munger) के पुलिस अधीक्षक केसी सुरेंद्र बाबू(kc surendra babu ips) की हत्या के 15 वर्ष बीत गये. अलबत्ता कई आरोपी साक्ष्य के अभाव में रिहा हो गये और जो मामले न्यायालय में लंबित हैं, उसका फैसला अभी नहीं आया है. क्योंकि गवाह उपस्थित नहीं हो रहे. राज्य सरकार ने वर्ष 2011 में इस महत्वपूर्ण कांड को री-ओपेन करते हुए पुन: अनुसंधान की प्रक्रिया प्रारंभ कराया. लेकिन अनुसंधान भी फाइलों में ही दम तोड़ रही है.

मुंगेर(Munger) के पुलिस अधीक्षक केसी सुरेंद्र बाबू(kc surendra babu ips) की हत्या के 15 वर्ष बीत गये. अलबत्ता कई आरोपी साक्ष्य के अभाव में रिहा हो गये और जो मामले न्यायालय में लंबित हैं, उसका फैसला अभी नहीं आया है. क्योंकि गवाह उपस्थित नहीं हो रहे. राज्य सरकार ने वर्ष 2011 में इस महत्वपूर्ण कांड को री-ओपेन करते हुए पुन: अनुसंधान की प्रक्रिया प्रारंभ कराया. लेकिन अनुसंधान भी फाइलों में ही दम तोड़ रही है.

5 जनवरी 2005 को मुंगेर के इतिहास में जुड़ा एक काला

5 जनवरी 2005 मुंगेर के इतिहास में एक काला अध्याय जोड़ गया. जिसमें जिले के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक केसी सुरेंद्र बाबू की भीमबांध प्रक्षेत्र में माओवादियों ने बारूदी सुरंग विस्फोट कर हत्या कर दी थी. घटना को उस समय अंजाम दिया गया था जब वे भीमबांध से सटे पैसरा गांव में नक्सलियों के विरुद्ध छापेमारी कर वापस मुंगेर लौट रहे थे. रास्ते में माओवादियों ने बारुदी सुरंग बिछा रखी थी और ज्योंही एसपी की जिप्सी सुरंग के टारगेट में आया कि उसे विस्फोट कर दिया गया था.

कुल छह पुलिसकर्मी हुए थे शहीद

फलत: इस घटना में एसपी सहित जिप्सी पर सवार चालक व अंगरक्षक सहित कुल छह पुलिसकर्मी शहीद हो गये थे. मृतकों में जिप्सी चालक मो. इस्लाम, अंगरक्षक ओमप्रकाश गुप्ता, मो. अब्दुल कलाम, शिव कुमार राम एवं ध्रुव कुमार ठाकुर शामिल थे.

Also Read: CM नीतीश कुमार ने तय किया 5 साल का लक्ष्य, बिहार के 120 शहरों में बनेंगे बाइपास और फ्लाइओवर
वर्ष 2011 में री-ओपेन हुआ था मामला

केसी सुरेंद्र बाबू हत्याकांड में लगातार आरोपियों की रिहाई के बाद जब पुलिस मुख्यालय ने मामले की समीक्षा की तो उसमें कई स्तर पर खामियां पायी गयी. यहां तक कि घटना के समय जो पुलिस अधिकारी व पुलिसकर्मी मौजूद थे उनकी भी गवाही न्यायालय में नहीं हुई थी. फलत: आरोपियों को लाभ मिलता गया और वे लोग छूटते चले गये. न्यायालय में कांड की पुन: सुनवाई की गुहार लगाते हुए यह कहा गया था कि तारापुर के तत्कालीन अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी सनत कुमार श्रीवास्तव, अवर निरीक्षक रामानंद सिंह, आरक्षी कृष्णानंद यादव, मार्शल टोकनो, भृगु सोरेन का बयान इस कांड में दर्ज होना आवश्यक है. क्योंकि ये लोग घटना के समय मौजूद थे और कांड के संदर्भ में जानकारी रखते थे. काफी मशक्कत के बाद राज्य पुलिस मुख्यालय के निर्देश पर वर्ष 2011 में पुन: इस केस को री-ओपेन किया गया और अनुसंधान का आदेश दिया गया. किंतु अनुसंधान का फाइल कागजों में ही रेंग रहा है. फलत: अबतक मुंगेर पुलिस अपने शहीद एसपी के हत्यारों को सजा दिलाने में कामयाब नहीं हो पायी है.

कई आरोपित हो चुके हैं रिहा

एसपी हत्याकांड का मूल केस सत्रवाद संख्या 429/06 व सत्रवाद संख्या 329/07 का निष्पादन हो चुका है. इस मामले में पुलिस ने अपने अनुसंधान में जमुई जिले के सोनो थाना अंतर्गत बिच्छागढ़ निवासी भोपाल ठाकुर व मंगल राय के विरुद्ध आरोप पत्र दाखिल किया था. पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार इन आरोपियों ने हत्याकांड में अपनी संलिप्तता भी स्वीकारी थी. लेकिन जब मामले की सुनवाई हुई तो गवाहों ने न्यायालय में अभियुक्त की पहचान नहीं की. फलत: साक्ष्य के आरोप में ये आरोपी रिहा हो गये. दूसरे मामले में भी खड़गपुर के प्रसंडो निवासी राजकुमार दास के विरुद्ध आरोप पत्र दाखिल किया गया था और वह भी न्यायालय द्वारा निष्पादित हो चुका है.

Posted By :Thakur Shaktilochan

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें