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वैक्सीन Covishiled and Covaxin को मंजूरी के बाद नेताओं के बाद एक्सपर्ट ने भी उठाये सवाल, क्लीनिकल ट्रॉयल का डाटा सार्वजनिक करें

Covishiled and Covaxin :Drugs controller general of india ने कल देश में कोवैक्सीन (Covaxin) और कोविशिल्ड (Oxford - AstraZeneca's Covieshield) वैक्सीन को मंजूरी दी. यह मंजूरी आपातकालीन इस्तेमाल के लिए दी गयी है. लेकिन इस मंजूरी के साथ ही विवाद शुरू हो गया है. कल ही कांग्रेस के दो बड़े नेता शशि थरूर और जयराम रमेश ने बिना तीसरे फेज का ट्रॉयल किये बिना वैक्सीन को मंजूरी दिये जाने का विरोध किया था. उनका कहना है इसमें रिस्क है.

Drugs controller general of india ने कल देश में कोवैक्सीन (Covaxin) और कोविशिल्ड (Oxford – AstraZeneca’s Covieshield) वैक्सीन को मंजूरी दी. यह मंजूरी आपातकालीन इस्तेमाल के लिए दी गयी है. लेकिन इस मंजूरी के साथ ही विवाद शुरू हो गया है. कल ही कांग्रेस के दो बड़े नेता शशि थरूर और जयराम रमेश ने बिना तीसरे फेज का ट्रॉयल किये बिना वैक्सीन को मंजूरी दिये जाने का विरोध किया था. उनका कहना है कि इसमें रिस्क है.

अब वैक्सीन को जल्दी में मंजूरी दिये जाने पर विशेषज्ञ भी सवाल खड़े कर रहे हैं. उनका कहना है कि वैक्सीन को मंजूरी दिये जाने की प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं है. इनकी मांग है कि दोनों वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रॉयल के डाटा को सार्वजनिक किया जाये, ताकि भ्रम की स्थिति ना बने और सबकुछ स्पष्ट रहे. इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ बायोएथिक्स के पूर्व अध्यक्ष डॉ. अनंत भान ने कहा है कि वैक्सीन को लेकर लोगों में भरोसा उत्पन करने के लिए यह बहुत जरूरी है. इनका कहना है कि वैक्सीन को किस आधार पर मंजूरी दी गयी इसके बारे में कोई जानकारी नहीं दी गयी है. जिसके कारण कई चिकित्सकों में भी भ्रम की स्थिति बनी हुई है.

गौरतलब है कि कल DGCI की प्रेस कॉन्फ्रेंस में केवल यह बताया गया कि कोरोना के दो वैक्सीन को मंजूरी दी गयी है. ना तो अधिकारियों ने किसी सवाल का जवाब दिया और ना ही कोई प्रक्रिया बतायी कि आधार पर वैक्सीन को मंजूरी दी गयी है. वहीं वैक्सीन एक्सपर्ट डॉ. गगनदीप कांग ने भी इस दावे पर सवाल उठाया है कि कोवैक्सीन कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन के खिलाफ भी कारगर साबित होगा.

डॉ कांग ने कहा कि वैक्सीन को लेकर जो दावे किये जा रहे हैं उसकी सत्यता की पुष्टि कैसे होगी इसके बारे में जानकारी नहीं दी जा रही है. वहीं डॉ. गिरिधर बाबू ने सवाल करते हुए कहा कि जिस आधार पर वैक्सीन को मंजूरी दी गई, उससे संबंधित आंकड़े और दस्तावेज कराये जायें, ताकि भ्रम की स्थिति ना बने और वैक्सीन पर लोगों का विश्वास बढ़े. गौरतलब है कि अमेरिका और ब्रिटेन में वैक्सीन को मंजूरी देने से पहले ट्रॉयल के डाटा को सार्वजनिक किया गया है, ताकि भ्रम की स्थिति ना बने.

भारत में कोरोना वैक्सीन लगाने की शुरुआत कुछ महीनों में ही शुरू हो सकती है. संभव है कि मार्च तक वैक्सीन आम लोगों के लिए उपलब्ध हो, हालांकि प्राथमिकता के आधार पर इसे पहले हेल्थ वर्कर्स को दिया जायेगा. उसके बाद जिन्हें वैक्सीन की ज्यादा जरूरत होगी उन्हें दिया जायेगा, लेकिन वैक्सीन को मंजूरी पर कई तरह के विवाद उभरकर सामने आ गये हैं.

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हालांकि DGCI की प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह बताया गया कि भारत बायोटेक ने आईसीएमआर और एनआईवी, पुणे के साथ मिलकर ‘होल वाइरियन इनएक्टिवेटेड कोरोना वायरस’ (कोवैक्सीन) बनाई है. यह टीका वीरो सेल प्लेटफॉर्म पर बनाया गया है, जिसे देश और विश्व में सुरक्षित एवं प्रभावी माना जाता है. उन्होंने बताया कि करीब 800 लोगों पर किए गए पहले तथा दूसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल में पता चला कि टीका सुरक्षित है. तीसरे चरण के ट्रायल में अब तक 22,500 प्रतिभागियों को टीका लगाया जा चुका है और अब तक उपलब्ध डेटा के मुताबिक यह सुरक्षित पाया गया है.

Posted By : Rajneesh Anand

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