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बिहार के इस जिले में 42.4 फीसदी लड़कियों की नाबालिग उम्र में ही हो जाती है शादी, स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट में हुआ खुलासा

जिले में 42.4 फीसदी लड़कियों की शादी नाबालिग उम्र में ही हो जाती है. 18 वर्ष से कम उम्र में ही शादी लड़कियों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है. यह खुलासा भारत सरकार के केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा कराये गये राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-पांच) की रिपोर्ट से हुआ है.

संजीव,भागलपुर: जिले में 42.4 फीसदी लड़कियों की शादी नाबालिग उम्र में ही हो जाती है. 18 वर्ष से कम उम्र में ही शादी लड़कियों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है. यह खुलासा भारत सरकार के केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा कराये गये राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-पांच) की रिपोर्ट से हुआ है.

मासिक धर्म पीरियड में बढ़ा सुरक्षा का भाव

मासिक धर्म के दौरान पुराने सामाजिक व पारिवारिक नियम-कायदों के कारण महिलाएं काफी परेशानी झेलती थी. उन्हें सजग होने में सहयोग नहीं मिलता था. लेकिन सर्वेक्षण की रिपोर्ट में इस मामले में काफी हद तक सुधार हुआ है. वर्ष 2015-16 में जहां मासिक धर्म के दौरान सुरक्षा के हाइजीनिक तरीकों का इस्तेमाल 45.3 फीसदी महिलाएं ही किया करती थीं. वहीं, वर्ष 2019-20 में ऐसी महिलाओं की संख्या बढ़ कर 75.6 प्रतिशत हो गयी.

रिपोर्ट में प्रजनन, बाल स्वास्थ्य और पोषण भी शामिल

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण में जनसंख्या, प्रजनन और बाल स्वास्थ्य, परिवार कल्याण, पोषण और अन्य प्रमुख संकेतकों के आधार पर जानकारी जुटायी गयी है. इसका मुख्य उद्देश्य स्वास्थ्य, परिवार कल्याण और अन्य उभरते मुद्दों पर विश्वसनीय और तुलनात्मक डेटाबेस प्रदान करना है. एनएफएचएस के इन सर्वेक्षणों को मुंबई स्थित इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर पॉपुलेशन साइंसेज ने राष्ट्रीय नोडल एजेंसी के रूप में संचालित किया है.

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इन क्षेत्रों में भी हुआ है सर्वे

–बाल टीकाकरण का विस्तार

–बच्चों के लिए पोषक तत्व

–मासिक धर्म स्वच्छता

–शराब और तंबाकू का इस्तेमाल

–15 साल और उससे अधिक आयु के लोगों में उच्च रक्तचाप

रिपोर्ट की कुछ महत्वपूर्ण बातें

–रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2015-16 में जिले में 29.7 प्रतिशत नाबालिग लड़कियों की शादियां होती थी. वर्ष 2019-20 में यह बढ़ कर 42.4 हो गयी.

–सर्वेक्षण में यह पाया गया कि 15 से 19 वर्ष आयु की महिलाएं या तो मां बन चुकी थीं या फिर वह गर्भवती थीं. ऐसी महिलाओं का वर्ष 2019-20 में संख्या 14.3, जबकि वर्ष 2015-16 में 8.2 प्रतिशत था.

–अच्छी बात यह है कि स्वच्छ ईंधन के साथ रसोई का इस्तेमाल करनेवाली महिलाओं की संख्या में इजाफा हुआ है.

–लिंगानुपात में भागलपुर जिला कमजोर पड़ा है और आयोडीन युक्त नमक का इस्तेमाल करनेवाले परिवारों की संख्या भी घटी है.

–अभी भी 25 फीसदी महिलाओं तक मासिक धर्म के दौरान हाइजीनिक तरीके के इस्तेमाल के प्रति जागरूक करना जरूरी

परिवार नियोजन में सुधार, पर काफी पीछे चल रहा जिला

परिवार नियोजन के तरीकों का वर्तमान उपयोग को लेकर विवाहित 15 से 49 वर्ष की महिलाओं पर सर्वे किया गया. इसमें पाया गया कि परिवार नियोजन की कोई भी विधि 57.4 प्रतिशत महिलाएं अपना रही हैं. यह स्थिति वर्ष 2015-16 में महज 24.6 फीसदी महिलाओं के साथ ही थी. आधुनिक तरीका 46.8 फीसदी महिलाएं अपना रही हैं. महिला नसबंदी का प्रतिशत 31.9 पाया गया, जबकि वर्ष 2015-16 में यह 20.7 प्रतिशत था. पुरुष नसबंदी के एक भी केस नहीं मिले. 3.4 फीसदी महिलाएं परिवार नियोजन के लिए गोलियां (पिल्स) खाती हैं. जबकि परिवार नियोजन के लिए कंडोम का सहारा 9.1 प्रतिशत महिलाएं करती हैं. इंजेक्शन लेकर परिवार नियोजन का उपाय 1.6 प्रतिशत महिलाएं कर रही हैं. 12.8 प्रतिशत महिलाओं को परिवार नियोजन की आवश्यकता है.

Posted By: Thakur Shaktilochan

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