अभिनेता अर्जुन रामपाल इनदिनों ओटीटी प्लेटफार्म पर रिलीज फ़िल्म नेल पॉलिश में नज़र आ रहे हैं. उनकी यह साइको थ्रिलर फिल्म सराही भी जा रही है. उनकी इस फ़िल्म और कैरियर पर उर्मिला कोरी की हुई बातचीत…
फाइनल कॉल भी थ्रिलर थी अब फ़िल्म नेल पॉलिश क्या थ्रिलर जॉनर आपको बहुत पसंद है?
बहुत ही अलग अलग कहानियां दोनों हैं. जॉनर भले ही थ्रिलर का हो या सस्पेंस का. मैं किसी प्रोजेक्ट को चुनता हूं तो जॉनर नहीं ध्यान देता देखता हूं कि कहानी क्या कहती है. किरदार में क्या खामियां हैं कमजोरियां है. हीरोइज्म क्या है. स्ट्रेंथ क्या है. जब ये सब आप पाते हैं तो आप समझते हैं कि किस तरह से आप इसे परफॉर्म कर पाएंगे. किरदार को हमेशा इंसान से जोड़ते हुए परफॉर्म करते हैं तो मज़ा आता है. ये फ़िल्म कोर्टरूम ड्रामा है लेकिन एकदम लाउड नहीं है. जैसा आमतौर पर हमारी फिल्मों में होता है बहुत ही रीयलिस्टिक है.
आपने अपने किरदार के लिए कितना होमवर्क किया था?
हाल ही में मैं इतने ज़्यादा वकीलों से मिल रहा हूं तो उनसे भी बहुत कुछ सीखने को मिला है. वैसे मेरी मौसी की फैमिली में सभी वकील हैं. एक परिवार के तौर पर हम बहुत करीब हैं तो उनसे बहुत कुछ लिया है. जैसे चलने और बात करने का तरीका. उनका ठहराव.
ओटीटी मीडियम को एक्टर के तौर पर कितना एन्जॉय करते हैं?
सबसे पहली बात आपको क्रिएटिवली बहुत एक्सप्लोर करने का मौका देता है. आज से आठ साल पहले हॉलीवुड या यूएस से जो भी सब्जेक्ट ओटीटी के ज़रिए आए हैं. लेखन ,फ़िल्म मेकिंग का सुनहरा दौर करार दिया गया है. ओटीटी की खासियत है कि आमतौर पर फ़िल्म प्रोड्यूसर,स्टूडियोज या फाइनेंसर फ़िल्म थिएटर में चलेगी. ज़्यादा से ज़्यादा ऑडियंस से जुड़ेगी या नहीं ये सब प्रेशर से ओटीटी आपको मुक्त करता है. आपको बस अच्छी कहानियों को कहने का मौका देता है.
ओटीटी के सेंसरशिप पर आपका क्या कहना है?
कभी कभी लोग सेंसरशिप नहीं है इसका गलत फायदा भी उठाते हैं. लोग कहते हैं कि बच्चों को ये चीज़ें नहीं देखनी चाहिए. सच कहूं तो ये दोधारी तलवार है. लेकिन ये भी हकीकत है कि दुनिया में जब सभी माता पिता बिना सेंसरशिप के इन चीजों से अपने बच्चों को दूर रख पा रहे हैं तो हम क्यों नहीं.
ओटीटी में आपके लिए सफलता का मापदंड क्या है यहां 100 करोड़ क्लब जैसा कुछ नहीं है?
हाल ही में मैंने बॉबी देओल के साथ फ़िल्म पेंटहाउस की. उनका जो शो है आश्रम.जो ओटीटी के नए प्लेटफार्म पर आया है. उसने बहुत अच्छा किया है.सेट के आसपास उनको देखते ही उस सीरीज के डायलॉग दोहराने लगते थे.जो एक एक्टर के तौर पर बहुत खास है.हम उसी के लिए तो काम करते हैं. निर्माता के तौर पर कुछ कर रहे हैं अभी तीन चार प्रोजेक्ट्स हैं. दो मूवीज है और एक वेब सीरीज.
आपकी बेटी माहिका के बॉलीवुड डेब्यू की बातें सामने आती रहती है?
पहले वो एक्टिंग की ट्रेनिंग ले लें. फ़िल्म क्या होती है. कैसे बनती है।सारा कुछ सीख लें. अच्छे ग्रेड लेकर आए फिर देखेंगे.
Posted By : Budhmani Minj