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Coronavirus Vaccine: क्या होता है Dry Run, जानें कोरोना के टीकाकरण में कैसे करेगा मदद

नयी दिल्ली : देश में कोरोनावायरस संक्रमण (Coronavirus in India) पर लगाम लगाने के लिए टीकाकरण (Coronavirus Vaccine) की तैयारी शुरू हो गयी है. इसको लेकर आज 2 जनवरी 2021 से देशभर में ड्राइ रन (Dry Run) शुरू किया गया है. टीकाकरण से पहले यह एक मॉक ड्रील (Mock Drill) की तरह ही है. इसमें टीकाकरण के लिए पंजीकरण से लेकर वैक्सीन लगाने तक की प्रक्रिया पूरी की जायेगी. सभी प्रकार के कागजी कार्रवाई भी वैसे ही की जायेगी जैसा कोरोना वायरस के टीकाकरण से समय होगा. बहुत से लोगों के मन में ड्राइ रन को लेकर कुछ सवाल है. हम आपको उन सारे सवालों के जवाब यहां बता रहे हैं.

नयी दिल्ली : देश में कोरोनावायरस संक्रमण (Coronavirus in India) पर लगाम लगाने के लिए टीकाकरण (Coronavirus Vaccine) की तैयारी शुरू हो गयी है. इसको लेकर आज 2 जनवरी 2021 से देशभर में ड्राइ रन (Dry Run) शुरू किया गया है. टीकाकरण से पहले यह एक मॉक ड्रील (Mock Drill) की तरह ही है. इसमें टीकाकरण के लिए पंजीकरण से लेकर वैक्सीन लगाने तक की प्रक्रिया पूरी की जायेगी. सभी प्रकार के कागजी कार्रवाई भी वैसे ही की जायेगी जैसा कोरोना वायरस के टीकाकरण से समय होगा. बहुत से लोगों के मन में ड्राइ रन को लेकर कुछ सवाल है. हम आपको उन सारे सवालों के जवाब यहां बता रहे हैं.

ड्राई रन के दौरान असली वैक्सीन की जगह किसी दूसरी दवा या खाली शीशियों को ठीक उसी तरह से ट्रांसपोर्ट किया जाता है. उन दवाओं या शीशियों को अस्पतालों में वैसे ही कोल्ड स्टोर में रखा जाता है जैसे असली वैक्सीन को किया जाना है. वैक्सीन के ट्रांसपोर्टेशन से लेकर वैक्सीन लगाये जाने तक की पूरी प्रक्रिया उसी प्रकार की जाती है, जैसा योजना में शामिल है.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्ष वर्धन ने शुक्रवार को देश भर में चलने वाले ड्राइ रन का जायजा लिया. मंत्रालय ने पहले ही राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इससे संबंधित सभी सुझाव उपलब्ध करा दिये हैं. ड्राइ रन के लिए हर राज्य में कम से कम तीन सेंटर बनाया गया है. राज्यों को कुछ ऐसे इलाकों को भी ड्राइ रन में शामिल करना है जो दुर्गम हो और वहां आवाजाही मुश्किल हो. इससे टीकाकरण के समय व्यवहारिक समस्याओं से निपटा जा सकेगा.

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ऐसे होता है ड्राइ रन

किसी भी वैक्सीन का ड्राई रन केवल इंजेक्शन लगाना नहीं होता है. इसमें सबसे महत्वपूर्ण इस बात की निगरानी करना होता है कि वैक्सीन का कोल्ड चेन मेंटेन हो रहा है या नहीं. कोल्ड चेन का मतलब वैक्सीन को अस्पताल से टीकाकरण केंद्र तक एक निश्चित तापमान में ले जाया जाता है. कोरोना वैक्सीन के मामले में सेंटर पर भीड़ का प्रबंधन भी जरूरी होगा. एक बार में कितने लोगों को वैक्सीन दी जायेगी यह भी देखा जायेगा. वैक्सीन लगाने के बाद लोगों को आधे घंटे तक सेंटर पर रोकने की व्यवस्था करना.

इसके साथ-साथ कम्प्यूटर पर रिकॉर्ड फीड किया जाना. रजिस्ट्रेशन की जांच करना आदि भी शामिल होगा. एक सेंटर पर एक दिन में कितने लोगों को वैक्सीन लगाया जायेगा, यह भी देखा जायेगा. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने संबंधित अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने को कहा कि टीकाकरण स्थल और प्रभारी अधिकारी टीकाकरण के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा तैयार मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) और संबंधित सभी कदमों का पालन करें. पूर्वाभ्यास में मदद के लिए एसओपी को राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों के साथ साझा किया गया है.

Posted By: Amlesh Nandan.

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