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खरसावां गोलीकांड के शहीदों को श्रद्धांजलि देंगे सीएम हेमंत सोरेन, जानें आजादी के बाद आज के दिन 1948 को क्या हुआ था

Jharkhand news, Kharswan News : एक जनवरी यानी खरसावां के शहीदों को याद करने का दिन. आज से करीब 73 वर्ष पूर्व एक जनवरी 1948 को हुई खरसावां गोलीकांड में बड़ी संख्या में लोग शहीद हुए थे. यहां हर साल झारखंड के विभिन्न हिस्सों से लोग पहुंच कर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं. एक जनवरी, 2021 को भी शहीद दिवस पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा समेत कई सांसद व विधायक भी शहीदों को श्रद्धांजलि देने खरसावां पहुंचेंगे.

Jharkhand news, Kharswan News, खरसावां (शचिंद्र कुमार दाश) : एक जनवरी यानी खरसावां के शहीदों को याद करने का दिन. आज से करीब 73 वर्ष पूर्व एक जनवरी 1948 को हुई खरसावां गोलीकांड में बड़ी संख्या में लोग शहीद हुए थे. यहां हर साल झारखंड के विभिन्न हिस्सों से लोग पहुंच कर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं. एक जनवरी, 2021 को भी शहीद दिवस पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा समेत कई सांसद व विधायक भी शहीदों को श्रद्धांजलि देने खरसावां पहुंचेंगे.

खरसावां गोलीकांड को जानें

1947 में आजादी के बाद पूरा देश राज्यों के पुनर्गठन के दौर से गुजर रहा था. तभी अनौपचारिक तौर पर 14-15 दिसंबर को ही खरसावां व सरायकेला रियासतों का विलय ओड़िशा राज्य में कर दिया गया था. औपचारिक तौर पर एक जनवरी को कार्यभार हस्तांतरण करने की तिथि मुकर्रर हुई थी. इस दौरान एक जनवरी, 1948 को आदिवासी नेता जयपाल सिंह मुंडा ने खरसावां व सरायकेला को ओड़िशा में विलय करने के विरोध में खरसावां हाट मैदान में एक विशाल जनसभा का आह्वान किया था. कोल्हान के विभिन्न क्षेत्रों से जनसभा में हजारों की संख्या में लोग पहुंचे थे. लेकिन, किसी कारणवश जनसभा में जयपाल सिंह मुंडा नहीं पहुंच सके. रैली के मद्देनजर पर्याप्त संख्या में पुलिस बल भी तैनात किये गये थे. इसी दौरान पुलिस व जनसभा में पहुंचे लोगों में किसी बात को लेकर संघर्ष हो गया. तभी पुलिस की गोलियों से हजारों की संख्या में लोगों की मौत हो गयी. हालांकि, मृतकों की संख्या कितनी थी, इसका सही आकलन नहीं हो सका है.

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शहीदों की संख्या बताने वाला कोई सरकारी दस्तावेज नहीं

खरसावां गोलीकांड में शहीद हुए लोगों की संख्या बताने वाला कोई सरकारी दस्तावेज सरकार के पास नहीं है. खरसावां या सरायकेला थाना में इससे संबंधित कोई प्राथमिकी या अन्य दस्तावेज नहीं है. खरसावां गोलीकांड के 73 साल बाद भी अब तक शहीद हुए लोगों की वास्तविक संख्या का पता नहीं चल सका है. आजादी के बाद यह देश का सबसे बड़ा गोलीकांड था. जांच के लिए ट्रिब्यूनल बनाये गये, लेकिन उसकी रिपोर्ट कहां गयी आज तक पता नहीं चल सका. इस घटना के कुछ दिन बाद सरायकेला और खरसावां को ओडिशा से अलग कर बिहार में शामिल किया गया.

शहीदों के सम्मान में बनाया गया है शहीद पार्क

खरसावां के शहीदों के सम्मान में 4 वर्ष पूर्व शहीद पार्क का निर्माण किया गया है. इस वर्ष श्री झारखंड सीमेंट कंपनी की ओर से CSR के तहत पार्क का सौंदर्यीकरण किया गया है. साथ ही अगले एक साल तक शहीद पार्क के रख- रखाव पर कंपनी हर माह 50 हजार रुपये खर्च करेगी.

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एक जनवरी को खरसावां के शहीदों की बरसी पर सुबह से लेकर देर शाम तक श्रद्धांजलि देने वालों का तांता लगा रहेगा. सबसे पहले बेहरासाही के दिउरी द्वारा विधिवत रूप से पूजा- अर्चना कर श्रद्धांजलि दी जायेगी. इसके बाद आम से लेकर खास लोग श्रद्धांजलि देने के लिए पहुंचेंगे. जानकारी के अनुसार, शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन दोपहर एक बजे हेलिकॉप्टर से खरसावां पहुंचेंगे. उनके साथ परिवहन मंत्री चंपई सोरेन, विधायक दशरथ गागराई, सुखराम उरांव, दीपक बिरुआ, निरल पुरती, समीर मोहंती, रामदास सोरेन, सविता महतो आदि पहुंचेंगे. राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री सह केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा सुबह नौ बजे शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे. पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा व सांसद गीता कोड़ा के खरसावां पहुंचने की बात कही जा रही है.

आदिवासी हो समाज महासभा की ओर से सुबह इसके अलावे विभिन्न सामाजित संगठनों के सदस्यों द्वारा भी श्रद्धांजलि अर्पित की जायेगी. आदिवासी समंवय समिति के बैनर तले हो, संथाल, मुंडा, भूमिज, उरांव आदि समुदाय के लोग दिन के 11 बजे शहीद बेदी पर पारंपरिक रूप से पूजा अर्चना कर श्रद्धांजलि देंगे.

बिना मास्क शहीद पार्क में प्रवेश वर्जित

आदिवासी समन्वय समिति की ओर से बताया गया कि कोविड-19 को देखते हुए शहीद पार्क में प्रवेश करने के लिए मास्क पहनना जरूरी है. पान, गुटखा, खैनी समेत अन्य नशीले पदार्थों का सेवन कर शहीद पार्क के अंदर जाना वर्जित है. शहीद दिवस के मौके पर आदिवासी समन्वयन समिति की ओर से शहीद पार्क के भीतर वोलेंटियर रखे जायेंगे. आदि संस्कृति एवं विज्ञान संस्थान से जुड़े हुए लोग करीब 11.30 बजे शहीद स्थल पर पहुंच कर पूजा अर्चना करेंगे. इस दौरान पारंपरिक तरिके से शहीद बेदी पर तेल डाल कर दिरी दुल सुनुम (श्रद्धांजलि) किया जायेगा. कोविड-19 को लेकर इस वर्ष जन सभा का आयोजन नहीं होगा. शहीद बेदी में प्रवेश व निकासी के लिए अलग- अलग द्वार बनाया गया है.

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सुबह 7 बजे : शहीद स्थल के दिउरी द्वारा पूजा अर्चना की जायेगी
सुबह 9 बजे : केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा समेत भाजपा के नेता श्रद्धांजलि देने पहुंचेंगे
सुबह 11 बजे : आदिवासी समन्वय समिति के बैनर तले हो, संथाल, मुंडा, भूमिज, उरांव आदि समुदाय के लोग श्रद्धांजलि देंगे
सुबह 11.30 बजे : आदि संस्कृति एवं विज्ञान संस्थान से जुड़े हुए लोग दिरी दुल सुनुम करेंगे
दोपहर 01.10 : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, मंत्री चंपई सोरेन, विधायक दशरथ गागराई समेत झामुमो के विधायक श्रद्धांजलि देंगे

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डीसी-एसपी ने लिया तैयारी का जायजा, सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम

पहली जनवरी को खरसावां में आयोजित होने वाली शहीद दिवस की तैयारी पूरी कर ली गयी है. शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए मुख्यमंत्री से लेकर केंद्रीय मंत्री व विधायकों के पहुंचने की बात कही जा रही है. शहीद पार्क से लेकर शहीद बेदी तक को फूलों से सजाया जा रहा है. खरसावां विधायक दशरथ गागराई ने शहीद का मुआयना कर तैयारी का जायजा लिया. विधायक ने अधिकारियों से शहीद दिवस कार्यक्रम के संबंध में किये गये तैयारी की जानकारी ली. दूसरी ओर शहीद दिवस कार्यक्रम में हाई प्रोफाईल नेताओं के आगमन को लेकर सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम किया गया है. डीसी इकबाल आलम अंसारी, डीडीसी प्रवीण गागराई, एसडीओ रामकृष्ण कुमार, एसडीपीओ राकेश रंजन आदि ने सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया. इस दौरान आवश्यक दिशा- निर्देश भी दिया गया.

जगह- जगह पर दंडाधिकारी व सुरक्षा बलों की तैनाती की गयी है. वहीं, खरसावां जाने वाली सभी सड़कों में ड्रॉप गेट लगाया गया है. सुरक्षा के दृष्टीकोण से शहीद पार्क के भीतर व चांदनी चौक में CCTV लगा कर निगरानी की जा रही है. वाहन पार्किंग के लिए खरसावां के ईदगाह मैदान व तसर कार्यालय के समीप मैदान में व्यवस्था की गयी है. शहीद पार्क के मुख्य गेट से अंदर जाने व बाहर निकलने के लिये दो अलग- अलग गेट बनाये गये हैं तथा बैरिकेटिंग की गयी है.

जगह- जगह पर बनाये गये तोरण द्वार

खरसावां शहीद दिवस को लेकर खरसावां शहीद पार्क की ओर जाने वाले सभी सड़कों पर तोरण द्वार बनाये गये हैं. तोरण द्वारों को शहीदों के नाम पर रखा गया है. खरसावां के चांदनी चौक व आसपास के क्षेत्रों में विभिन्न राजनीतिक दलों की ओर से जगह- जगह पर तोरण द्वार लगाये गये हैं. शहीद पार्क को भी साफ- सुथरा रखा गया है.

Posted By : Samir Ranjan.

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